2 माताओं की गोद सुनी, जिम्मेदार कौन!



धनसिंह—समीक्षा न्यूज

गाजियाबाद। पिछले दिनों आॅटो सवार युवती से फोन ​छीनने के चक्कर में बाईक सवार बेरोजगार युवा ने युवती का हाथ खींचकर सड़क पर गिरा दिया। जिसकी ईलाज के दौरान मौत हो गयी। पुलिस ने कार्यवाही में थाना प्रभारी सहित अन्य को पुलिस अधिकारियों को ​निलंबित किया और मुख्य आरोपी का एन्काउंटर कर दिया। इन सभी प्रकरण में नुकसान किसका हुआ 2 मां की गोद सुनी हो गयी, 1 वंश चलाने वाला और  01 वंश चलवाने वाली की मृत्यु हो गयी, एक अपराधी कम हुआ तो आने वाले समय में शायद एक रतन बनने वाली कम हो गयी। 2 परिवारों के सदस्य कम हो गये। पुलिस अधिकारी/कर्मचारी के निलंबन से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो जायेगी।

इसमें गलत कौन!

1. फोन को लापरवाही से पकड़ने वाली युवती!

2. बाईक सवार को अनदेखा करने वाली आॅटो चालक!

3. युवा द्वारा फोन खींचने पर युवती को आॅटों से खींचने के दौरान अन्य सवारियों का युवती को ना पकड़ना या बचाव ना करना!

4. युवाओं का बेरोजगार होना!

5. युवाओं के माता—पिता का संस्कार ना देना, गलत रास्ते पर जाने से ना रोकना!

6. पुलिस प्रशासन की लापरवाही!

7. अपराध करने वालों में सजा का डर ना होना!

8. सभी में लचीलापन होना?

इनके साथ ही अनेक बिन्दु ऐसे हैं जिन पर विचार करने की महत्ता आवश्यकता हैं, यदि इन पर विचार नहीं किया गया तो ऐसे प्रकरण बारम्बार सामने आते रहेंगें। वो तो दुर्भाग्यवंश उस लड़की की मृत्यु हो गयी, तब यह मामला प्रकाश में आया है। नहीं तो आए दिन ना जाने कितनी ऐसी घटनाऐं होती रहती हैं जिनकी कोई जानकारी ही नहीं होती। पीड़ित सिर्फ रो पाता हैं या सर पकड़कर बैठ जाता हैं। क्योंकि कहें तो किससे! क्योंकि कहने के लिए फारमल्टी इतनी होती हैं कि कुछ कह नहीं पाता, और जब पता हैं कि होना कुछ नहीं हैं तो कह कर फायदा क्या! 

अपराध का सम्बंध सिर्फ पुलिस से या सरकार से नहीं होता अपितु हम सभी से हैं। क्योंकि जब अपराधी भी इंसान हैं, पुलिस भी इंसान है और सरकार भी इंसान हैं तो गलत कौन है? गलती पालन कर्ता, शिक्षित कर्ता और उन्हें गलत करते देखने के उन्हें ना समय से ना रोकने वालों की हैं। यह सब जानते हैं कि जीव का स्वभाव सही की तरफ से ज्यादा गलत की तरफ आकर्षित होता हैं और जब इसका बच्चों को ज्ञान नहीं होता हैं वे गलत की तरफ चलते—चलते अपराधी बन जाते हैं। उन बच्चों को गलत की तरफ जाने से रोकने की हमारी ही जिम्मेदारी हैं। 

अपराध प्रकरण पर जितना लिखा जाये उतना कम हैं और ज्यादा लिखकर की कोई फायदा होना नहीं हैं, क्योंकि होना.............!

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