गौतमबुद्धनगर: गन्ने की फसल के उत्पादन में बाधक लीफ हापर कीट, किसानों को अलर्ट रहने की सलाह

 डीएम के निर्देश पर कृषि विभाग की एडवाइजरी: लीफ हापर पर सटीक नियंत्रण जरूरी

गन्ने की पैदावार में 31.6% तक की गिरावट का कारण बन सकता है लीफ हापर

भरपूर गन्ना उत्पादन हेतु लीफ हापर कीट पर नियंत्रण जरूरी, कृषकगण करें प्रबंधन

गौतमबुद्धनगर। जिलाधिकारी गौतम बुद्ध नगर मनीष कुमार वर्मा के निर्देशों के क्रम में जिला कृषि रक्षा अधिकारी गौतम बुद्ध नगर विनोद कुमार ने जनपद के समस्त कृषकों को गन्ने में लगने वाले प्रमुख विनाशकारी कीटों में से एक लीफ हापर (पाइरिला पर्पुसिला) के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यह भारतीय चीनी उद्योग के लिए एक खतरा है और एक गम्भीर कीट है, जो उचित प्रबन्धन न होने पर गन्ने की उपज में 31.6 प्रतिशत की कमी और चीनी की रिकवरी में 2-3 प्रतिशत तक की कमी का कारण बनता है। 

जिला कृषि अधिकारी ने कीट लीफ हापर (पिरिला पर्पुसिला) के संबंध में एडवाइजरी जारी करते हुए बताया कि कृषकों को इस कीट के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है। यदि इस पर समय से नियंत्रण न किया गया तो गन्ने की फसल को गंभीर नुकसान हो सकता है। भरपूर गन्ना उत्पादन के लिए लीफ हापर कीट पर नियंत्रण के लिए प्रबंधन बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने कीट के जीवन चक्र, किट से क्षति एवं कीट प्रबंधन के संबंध में कृषकों  क्रमवार जानकारी दी। 

जीवन चक्रः

अण्डे़: मादा पाइरिला अंडे देने के लिए मध्य शिरा के पास पत्तियों के निचले, छायादार छिपे हुए हिस्से को पसंद करती है। चार से पाॅच पत्तियों (30-40 संख्या/कलस्टर) में जमा होते हैं और मादा द्वारा स्रवित मोमी धागे जैसे पदार्थ से ढके होते हैं।

निम्फ़ः नये उभरे निम्फ 0.8 से 1.0 मिमी लम्बे दूधिया सफेद रंग के होते हैं और वयस्क बनने के लिए पांच इनस्टार से गुजरते हैं, जिन में से प्रत्येक 7 से 41 दिनों का होता है। अधिकतम कुल निम्फ अवधि 134 दिन का होता है।

वयस्क: पाइरिला एक हल्के पीले रंग का मुलायम शरीर वाला कीट है, जिसका सिर आगे की ओर झुका होता है। वयस्क का जीवन काल 14 से 200 दिनों का होता है और मादाएं नर के तुलना में थोड़ी अधिक अवधि तक जीवित रहती हैं।

क्षति का स्वरूप:

पाइरिला वयस्क और निम्फ, दोनों ही गन्ने के साथ-साथ द्वितीयक मेजबान पौधों जैसे गेहूं, जौ, जई, जंगली घास आदि पर पत्तियों के निचले भाग से रस चूसते हैं, लेकिन अधिकांश नुकसान निम्फ के कारण होता है। पत्तियों के रस चूसने के कारण पत्तियां पीली होकर मुरझा जाती हैं और पौधे की वृद्धि धीमी हो जाती है। कीट पत्तियों पर हानीड्यू का स्राव करता है, जो ब्लैक मोल्ड नामक सैप्रोफाइटिक कवक के विकास के लिए एक अच्छा माध्यम बन जाता है, जिससे पत्तियों की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित होती है। फलस्वरूप गन्ने में सुक्रोज 2-34 प्रतिशत तक कम हो जाता है। साथ ही गन्ने में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे गुण बनाने में प्रयोग करने पर गुड़ नीला हो जाता है, जो ठीक से जम नहीं पाता है। गन्ने के वृद्धि के दौरान प्रारम्भिक संक्रमण से उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जबकि सितम्बर के बाद देर से होने वाला संक्रमण मुख्य रूप से खेत में गन्ने के सुक्रोज सामग्री को प्रभावित करता है।

प्रबन्धन:

सेट्स का उपचार: रोपण से पहले सेट्स को क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी का 2 मिली/लीटर पानी की दर से घोल में डुबो कर बुवाई करनी चाहिए। रैटून फसल लेने से बचना चाहिए। कीटों की निगरानी एवं उनके संख्या के आकलन हेतु 1 लाईट ट्रैप/5 एकड़ की दर से शाम 06 बजे से रात 10 बजे तक लगाना प्रभावकारी होता है। पाइरिला के तेजी से गुणन और आगे प्रसार को रोकने के लिए नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों का विवेकपूर्ण प्रयोग करना चाहिए। पाइरिला के अण्डों को इकट्ठा कर नष्ट कर देना चाहिए।

3-5 पाइरिला प्रति पत्ती दिखाई देने पर प्रति एकड़ 4000-5000 कोकून या एपिरिकेनिया मेलानोल्यूका के 4 से 5 लाख अण्डे छोड़ना चाहिए। मेटारिजियम एनिसोप्लिया 107 स्पोर प्रति मिली की दर से पर्णीय छिड़काव करना चाहिए।

3 से 5 कीट/पत्ती या प्रति पत्ती एक अण्डा दिखाई देने पर क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी 1500 मिली/हेक्टेयर अथवा क्यूनालफॉस 25% ईसी 1200 मिली/हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।



Comments