मुरादनगर। अखिल भारतीय ध्यान योग संस्थान के तत्वावधान में आज एक विशेष मडबाथ (Mud Bath) मिट्टी लेपन कार्यक्रम का आयोजन गंग नहर के पवित्र तट छोटा हरिद्वार, मुरादनगर पर किया गया। इस आयोजन में लगभग 500 योग साधकों ने भाग लिया, जिसमें मातृशक्ति की सक्रिय भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से शरीर का शुद्धिकरण, चर्म रोगों से मुक्ति, तथा सामान्य रक्तचाप की प्राप्ति था। मिट्टी लेपन में विशेष रूप से हल्दी, चंदन, एलोवेरा, गुलाब, केवड़ा और अन्य औषधीय वनस्पतियों का समावेश किया गया।
सभी साधकों ने एक घंटे तक मिट्टी लेपन कर अपने शरीर को धरती मां की गोद में समर्पित करते हुए डिटॉक्सिफिकेशन, त्वचा पोषण, तथा मानसिक शांति का अनुभव किया।
श्री कृष्ण कुमार अरोड़ा (अध्यक्ष, अखिल भारतीय ध्यान योग संस्थान ) ने कहा:
"आज के युग में योग और प्राकृतिक चिकित्सा ही हमारी जीवनशैली को संतुलित रखने का आधार हैं। मडबाथ से ना केवल शरीर का शुद्धिकरण होता है बल्कि यह हमें प्रकृति से जोड़ता है।"
वरिष्ठ योग साधक डॉ. आर. के. पोद्दार ने कहा:
"मिट्टी चिकित्सा शरीर के भीतर की गर्मी और विषैले तत्वों को बाहर निकालती है। यह उच्च और निम्न रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी सहायक है।"
योग शिक्षक श्री देवेंद्र बिष्ट ने कहा:
"योग और मड़वाद का सम्मिलन सम्पूर्ण आरोग्यता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में इसे और अधिक जन-जन तक पहुंचाया जाएगा।"
प्रदीप चौधरी (योग साधक) का वक्तव्य:
"मैंने व्यक्तिगत रूप से मडबाथ के लाभों को अनुभव किया है। यह विधि मुझे मानसिक सुकून और शरीर की ताजगी प्रदान करती है। मैं चाहूंगा कि समाज का हर व्यक्ति इसका लाभ उठाए। यह एक अनमोल प्राकृतिक चिकित्सा है जो हमें दवाओं से मुक्त करती है।"
मंगल चौधरी (योग साधक) का वक्तव्य:
"मडबाथ ने मेरी त्वचा की समस्याओं में अद्भुत सुधार किया है। शरीर हल्का महसूस होता है और दिन भर ऊर्जा बनी रहती है। हम सभी को इस पारंपरिक और प्राकृतिक पद्धति को अपनाना चाहिए।"
संकल्प:
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित साधकों ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया:
"करें योग, रहें निरोग। जान है तो जहान है। योग ही हमारी पहचान है।"
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