गौतमबुद्धनगर: डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण पर बाढ़ से होने वाली क्षति के निर्माण करता स्वयं होंगे जिम्मेदार

गौतमबुद्धनगर। अधिशासी अभियंता सिंचाई निर्माण खंड गाजियाबाद ने जानकारी देते हुए बताया कि गौतम बुद्ध नगर में इस खंड के नियंत्रण अधीन हिडन तटवर्ती एवं रिंग बंध के निकट हिंडन नदी के डूब क्षेत्र में ग्राम छजारसी, चोटपुर, यूसुफपुर, चकशाहबेरी, बहलोलपुर गढीचीखंडी, हैबतपुर, परथला, खंजरपुर, सोरखा जहीदाबाद, ककराला, अलीवर्दीपुर, जलपुरा, हल्द्वानी, कुलेसरा एवं हिंडन यमुना दोआब बंध के निकट ग्राम इलाहाबास, सूथियाना,  शहदरा, लखनावली, बेगमपुर, मुबारकपुर, गुर्जरपुर, झट्टा बादोली बांगर, सफीपुर, चुहडपुर एवं मोमनाथल तक हिंडन नदी के डूब क्षेत्र की परिधि के अंतर्गत आते हैं एवं इसी बंध पर यमुना नदी बायें किनारे पर ग्राम मोतीपुर, तिलवाडा, गढ़ी समस्तीपुर, बादौली खादर, कोंडली खादर, कामबक्शपुर, गुलावली, दोस्तपुर मंगरौली, छपरौली, असदुल्लापुर तथा (हरियाणा साईड) दायें किनारे पर औरंगाबाद, दलेलपुर, याकूतपुर की भूमि डूब क्षेत्र की परिधि में आती है।

उन्होंने बताया कि इस खूब क्षेत्र में स्थित भूमि में निर्मित एवं निर्माणाधीन भवन स्कूल, फार्म हाउस, क्रेशर प्लांट, होट मिक्स प्लांट, कंक्रीट रेडी मिक्स प्लांट एवं बदरपुर सैन्ड की धुलाई की होदियां आदि अवैध निर्माण स्थित हैं। बाढ़ के कारण इन अवैध निर्माणों के क्षतिग्रस्त होने से भारी जन-धन की हानि हो सकती है। यह निर्माण /बस्ती अवैध होने के कारण बाढ़ के समय सिंचाई विभाग, जिला प्रशासन एवं शासन द्वारा सुरक्षा प्रदान किया जाना सम्भव नहीं हो सकेगा। शासनादेश, सं0-1417वी सत्ताईस -सिं-2-181/बाढ/09 सिं अनु.-2, दिनांक 16.03.2010 एवं मा० एन.जी.टी. नई दिल्ली में प्रस्तुत एप्लीकेशन सं0-89/2013 आकाश वशिष्ठ एवं अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य में पारित आदेश दिनांक 20.05.2013 द्वारा ये निर्माण प्रतिबंधित कर रखे है तथा ये भी निर्देशित किया गया है कि इस प्रकार के अवैध निर्माण के कारण बाढ से होने वाली क्षति की कोई प्रतिपूर्ति शासन द्वारा नहीं की जायेगी तथा बाढ सुरक्षा कार्य नहीं कराये जायेंगे। साथ ही अवैध निर्माण से होने वाली क्षति की वसूली अवैध निर्माणकारियों से की जायेगी।

अतः सर्वसाधारण से उपरोक्त तथ्यों से अवगत हो, तथा उपरोक्तानुसार हो रहे अवैध निर्माणों को तत्काल हटा लें या तोड दे, अन्य कोई नया निर्माण न करें अन्यथा इन अवैध निर्माणों के विरूद्ध किसी भी प्रकार की कार्यवाही एवं अप्रत्याशित जन-धन की हानि के लिये आप निर्माणकर्ता स्वयं उत्तरदायी होंगे। सिंचाई विभाग/प्रशासन किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा।


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