गाजियाबाद। जल समस्त जीवों एवं वनस्पतियों के जीवन की आधारभूत आवश्यकता है। जहॉं एक ओर प्रदेश की लगभग 70 प्रतिशत सिंचाई भूजल संसाधनों पर निर्भर है, वहीं अधिकांश पेयजल योजनाओं एवम् औद्योगिक क्षेत्रों में जल आवश्यकताओं की पूर्ति भी मुख्य रुप से भूजल से ही होती है। इस कारणवश यह सीमित प्राकृमिक संसाधन उपलब्धता एवं गुणवत्ता की दृष्टि से प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में गम्भीर स्थिति में पहुॅच गया है। भूजल संसाधन के नवीनतम आंकलन-2022 के अनुसार प्रदेश के 54 विकासखण्ड अतिदोहित, 46 विकासखण्ड क्रिटिकल एवं 169 विकासखण्ड सेमी-क्रिटिकल श्रेणी में वर्गीकृत किये गये हैं। वर्ष 2000 में प्रदेश में अतिदोहित/क्रिटिकल विकासखण्डों की संख्या मात्र 20 थी, जो पांच गुना बढकर वर्तमान आंकलन में 100 पहुॅच चुकी है। साथ ही भूजल उपलब्धता के दृष्टिगत सुरक्षित विकासखण्डों की संख्या वर्ष 2000 में 745 थी जो वर्ष 2022 के आंकलन के अनुसार घटकर 557 हो चुकी है।
प्रदेश सरकार भूजल की सुरक्षा, नियोजित विकास, संरक्षण, उनके विवेकपूर्ण उपयोग तथा विनियमित दोहन के लिए प्रतिबद्ध है। इस हेतु न केवल विभिन्न स्तरों पर जल संचयन एवं प्रबन्धन की दिशा में प्रभावी कार्य किये जा रहे हैं अपितु विभिन्न क्षेत्रों में अनियंत्रित एवं अविवेकपूर्ण भूजल दोहन को विनियमन की परिधि में भी लाया गया है। विनियिमन के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश ग्राउण्ड वाटर (मैनेजमेन्ट एण्ड रेगुलेशन) एक्ट-2019 प्रख्यापित किया गया है, जो पदेश में 02 अक्टूबर-2019 की तिथि से लागू है। अधिनियम के अन्तर्गत प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला भूजल प्रबन्धन परिषद के द्वारा जनपद में भूजल के प्रबन्धन तथा नियमन हेतु समुचित प्रयास किये जाने है। इन्ही समग्र प्रयासों के फलस्वरुप विगत 02 वर्षों में प्रदेश के 29 विकासखण्ड संकटाग्रस्त स्थिति से बाहर भी आये हैं।
जैसा कि हम लोग अवगत हैं कि उत्तर प्रदेश में भूगर्भ जल के महत्व के प्रति आम जन मानस को जागरुक करने के उद्देश्य से वर्ष 2012 से प्रत्येक वर्ष 16 से 22 जुलाई के मध्य भूजल सप्ताह का निरन्तर आयोजन किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में मुख्य सचिव महोदय, उ0प्र0, शासन लखनऊ पत्र सं0-647/76-3-2025-830/98 दिनंाक 04-07-2025 के अनुसार प्रत्येक वर्ष की भॉति इस वर्ष भी “16 से 22 जुलाई-2025 के मध्य भूजल सप्ताह“ के रुप में मनाये जानेे हेतु आदेश दिये गये हैं। इस वर्ष का मुख्य विचार बिन्दु “जल सुरक्षित तो कल सुरक्षित“ रखा गया है, जिस पर उक्त आयोजन केन्द्रित रहेगा।
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