साहिबाबाद। मंजिल उन्हीं को मिलती है। जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है….इन प्रेरणादायी पंक्तियों को एशियाई पैरा- बैडमिंटन चैंपियनशिप 2025 में भारतीय पैरा एथलीटों ने अपने शानदार प्रदर्शन से साबित किया है। शारीरिक अक्षमताओं के बावजूद,उन्होंने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं हुए सफलता प्राप्त की। यह उनके संघर्ष, दृढ़ संकल्प,कड़ी मेहनत और कभी हार न मानने के जज्बे का उदाहरण है।
-डॉक्टर वंदना तंवर फिजियोथैरेपिस्ट
भारतीय पैरा शटलरों ने एशियाई- पैरा- बैडमिंटन चैंपियनशिप 2025 में अपना दबदबा बनाते हुए 27 पदक जीते। यह भारतीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों का एशियाई चैंपियनशिप में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। 2016 बीजिंग, चीन में आयोजित संस्करण में अपने 13 पदकों के रिकॉर्ड को बेहतर बनाया।
2025 एशिया पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (बीडबल्यूएफ़) द्वारा थाईलैंड में 17 से 22 जून 2025 तक आयोजित की गई थी।
पैरा बैडमिंटन में खिलाड़ियों को उनकी विकलांगता के आधार पर छह खेल वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है। छह खेल वर्ग हैं। व्हील चेयर (डबल्यूएच)1, व्हील चेयर (डबल्यूएच) 2, स्टैंडिंग लोअर (एसएल) 3, स्टैंडिंग लोअर (एसएल) 4, स्टैंडिंग अपर (एसयू) 5 और स्टैंडिंग अपर (एसयू) 6।
भारत के पदक विजेता
भारतीय शटलरों ने 27 पदक जीते - चार स्वर्ण, 10 रजत और 13 कांस्य पदक।
नितेश कुमार ने पुरुष एकल, एसएल 3, मिश्रित युगल एसएल3-एसयू 5 (एम. तुलसीमथी के साथ) और पुरुष युगल एसएल 3-एसएल 4 (सुकांत कदम के साथ) में तीन स्वर्ण पदक जीते।भारतीय पैरा शटलरों ने अपने प्रदर्शन से साबित किया है कि अगर हौसला हो तो कोई बाधा आपकी राह नहीं रोक सकती। पैरा एशियाई बैडमिंटन में भाग लेने वाले कई एथलीट अपने खेल कौशल की बदौलत सामान्य एथलीटों का भी मुकाबला कर चुके हैं.।भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन न केवल पैरा- एथलीटों की कड़ी मेहनत का प्रतिबिंब है, बल्कि उन्हें सशक्त बनाने वाली विकसित होती समर्थन प्रणाली का भी प्रमाण है। सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता, कॉर्पोरेट प्रायोजन और जन समर्थन के साथ,भारत पैरा-एथलीटों को वैश्विक मंच पर अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए प्रेरित करते हुए और भी ऊँचे लक्ष्य हासिल कर सकता है।
राजेंद्र नगर साहिबाबाद निवासी.डॉ वंदना तंवर फिजियोथैरेपिस्ट ( गोल्ड मेडलिस्ट ) जो थाईलैंड में आयोजित पैरा- -एशियाई बैडमिंटन एशियाई 2025 खेलों में भारतीय टीम का हिस्सा थी। खिलाड़ियों की (sports physiotherapist ) खेल चिकित्सक के रूप में उन्होंने अपनी सेवाएं दी। खिलाड़ियों की चोटों के निवारण , शारीरिक, मानसिक रूप से उन्हें मजबूत बनाकर उनके मनोबल को बढ़ाने का कार्य किया। पैरा एथलीटो के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि
पैरा एथलीट वे एथलीट होते हैं जो शारीरिक अक्षमताओं के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। वे अक्सर चोटों, बीमारियों या जन्मजात स्थितियों के कारण शारीरिक रूप से अक्षम होते हैं। हालांकि, वे हार नहीं मानते और खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
पैरा एथलीटों के लिए सफलता का मार्ग अक्सर चुनौतियों से भरा होता है। उन्हें शारीरिक सीमाओं, सामाजिक बाधाओं और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उन्हें अक्सर खेल सुविधाओं, उपकरणों और प्रशिक्षण तक पहुंच प्राप्त करने में कठिनाई होती है। उन्हें अक्सर जनता द्वारा कम आंका जाता है और उन्हें अपने कौशल और प्रतिभा को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
इसके बावजूद, पैरा एथलीटों ने खेल में शानदार सफलता हासिल की है। उन्होंने न केवल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं, बल्कि उन्होंने लाखों लोगों को प्रेरित भी किया है। उनके दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और कभी हार न मानने के जज्बे ने उन्हें एक प्रेरणादायक उदाहरण बनाया है।
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