रामकथा की मर्यादा हेतु प्रदीप चौधरी ने दिया त्यागपत्र – बोले "संघर्ष नहीं, समाधान चाहिए, समर्पण चाहिए
गाजियाबाद। श्री आदर्श धार्मिक रामलीला कमेटी (रजि.) संजय नगर से जुड़े पूर्व महामंत्री एवं सक्रिय पदाधिकारी प्रदीप चौधरी ने आज श्रावण मास के पहले दिन अपने घोषित पद से त्यागपत्र देकर श्रीरामलीला की गरिमा को सर्वोपरि मानते हुए एक प्रेरणादायक पहल की है।
प्रदीप चौधरी ने अपने संदेश में कहा कि —
“रामलीला कोई मंच या मेला भर नहीं, यह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की स्मृति और जनभावनाओं की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है। जब मंचन से अधिक चर्चा आपसी टकराव, जातीय ध्रुवीकरण और गुटबाजी की होने लगे, तब यह आत्ममंथन का समय है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह त्याग कोई पराजय नहीं, बल्कि एक आत्मिक विजय है — अपने स्वार्थ, अहम और पक्षधरता पर। उन्होंने अपील की कि रामलीला समिति से जुड़े सभी सदस्य संविधानिक प्रक्रिया, समिति के बायलॉज और लोकसम्मान की मर्यादा में रहकर ही निर्णय लें।
अब समय है कि श्रीरामलीला 2025 को निर्विवाद, भव्य और जनभावनाओं के अनुरूप बनाने हेतु हम सभी अपने-अपने खेमे और अहंकार त्यागकर एकमत हो जाएं। संविधानिक चुनाव ही हर विवाद का एकमात्र सम्मानजनक समाधान है।”
उन्होंने कहा कि मीडिया में जिस प्रकार के विवादात्मक समाचार सामने आ रहे हैं — जैसे "फूल वालों की रामलीला में इस बार चलेंगे एक दूसरे पर भगवा तीर" — वे अत्यंत पीड़ादायक हैं और रामकथा की मर्यादा के प्रतिकूल हैं। ऐसे में आत्मसंयम और मर्यादित व्यवहार ही श्रीराम के आदर्शों का पालन है।
प्रदीप चौधरी ने अपना त्यागपत्र श्रीराम के चरणों में समर्पित करते हुए यह आह्वान किया कि रामकथा को मंच तक सीमित न रखें, उसे अपने आचरण में उतारें।
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