वेदाध्ययन और ईश्वर की उपासना क्या प्राप्त होता है?
मनुष्य के जीवन वेदाध्ययन का क्या महत्व है? उसे वेदाध्ययन क्यों करना चाहिये? मनुष्य जीवन में यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिस पर सबको विचार करके सार्थक व लाभप्रद निष्कर्ष निकाल कर उसे अपने जीवन में धारण कर लाभ उठाना चाहिये। वेदों का महत्व अन्य सभी सांसारिक ग्रन्थों से सर्वाधिक है। इसका कारण यह है कि वेद सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि में ईश्वर द्वारा उत्पन्न चार ऋषि अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा को प्राप्त हुए थे। यह ज्ञान इन चार ऋषियों ने ब्रह्मा जी नाम के ऋषि को दिया था। यहीं से इन ऋषियों द्वारा अन्य मनुष्यों को भाषा सहित ज्ञान देने की परम्परा आरम्भ हुई। आज भी हमारे पूर्वजों के पुरुषार्थ से वेद अपनी उत्पत्ति के लगभग 1.96 अरब वर्ष बाद भी सर्वथा शुद्ध स्थिति में हमें प्राप्त हैं। वेद का दूसरा प्रमुख महत्व यह है कि वेदों से हमें ज्ञात होता है कि ईश्वर ही इस सृष्टि का रचयिता, धारक, पालक तथा संहारक है। ईश्वर का सृष्टि रचना व मनुष्यों को बनाने का सत्य उद्देश्य व रहस्य विदित है। उसी से चार वेद प्राप्त हुए हैं। अतः सभी विषयों का वेदों से अधिक सत्य व पुष्ट ज्ञान अन्य किसी सत्ता व उसके बनाये