Wednesday, 30 September 2020

हाथरस घटना: बेटी सुरक्षा दल ने दिया राज्यपाल के नाम ज्ञापन


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। बेटी सुरक्षा दल द्वारा उपजिलाधिकारी मोदीनगर को एक ज्ञापन राज्यपाल उत्तर प्रदेश के नाम दिया गया जिसमें कहा गया कि पिछले दिनों जिला हाथरस उत्तर प्रदेश की बेटी मनीषा के साथ हुई बर्बता, बलात्कार, हत्या की घटना से देश स्तब्ध है । प्रदेश की बेटियों में असुरक्षा के कारण भय का माहौल है ।  प्रदेश में बेटियों व महिलाओं पर बड़ते अपराधों के मामले बया कर रहे है। की क़ानून व पुलिस लाचार है अपराधियों व बलात्कारियो के सामने  आज प्रदेश में अपराधी व बलात्कारी बे लग़ाम घूम रहे है । उन्में  प्रशासन का भय समाप्त हो चुका है ।  इसी कारण से आज प्रदेश में बेटीया घर मे रहने को मजबूर है  बेटीया स्कूल ,कॉलेज, छोड़ चुकी है । उन्हें हर वक्त अपने साथ अनहोनी का डर सता रहा है ।  आज समाज व बेटियो में असुरक्षा की भावना है ।  अतः  महामहिम जी से बेटी सुरक्षा दल उत्तर प्रदेश की मांग है कि प्रदेश में बेटी सुरक्षा गारंटी क़ानून बनाया जाए । बलात्कार ,हत्या जैसी घटनाओं पर तुरंत फांशी दी जाए 
बेटी मनीषा के बलात्कारी, हत्यारों को तत्काल फांशी दी जाए ।  बेटी मनीषा को शहीद का दर्जा दिया जाएं ।
डॉ एस के शर्मा  राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकारणी बेटी सुरक्षा दल बबीता शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष बेटी सुरक्षा दल , जुबेर त्यागी  प्रमुख सचिव संजय सिंह  राष्ट्रीय सचिव
डॉ आर के शर्मा उपाध्यक्ष  डॉ जमील खान महा सचिव एडवोकेट संजय मुदगल सुनील शर्मा संरक्षक बेटी सुरक्षा दल राजेंद्र कौशिक वरिष्ठ समाजसेवी संदीप जिनवाल समाजसेवी 
अनिता गौतम समाजसेवी पावन गौतम समाजसेवी कमल शर्मा साई शहर अध्यक्ष बेटी सुरक्षा दल 
रोहित महा सचिव मोदी नगर उपस्थित रहे।



डॉ एस के शर्मा 
राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकारणी


ठाकुर गौरव सिंह राणा को धमकी देने वालो पर हो कार्यवाही: प्रदीप रघुवंशी

समीक्षा न्यूज नेटवर्क


अखिल भारतीय क्षत्रिय सेना के संस्थापक अध्यक्ष व दैनिक सहारा टुडे अखबार के प्रधान संपादक ठाकुर गौरव सिंह राणा को पिछले दिनों कुछ अराजकतत्वों द्वारा जान से मारने की धमकी दिए जाने के कृत्य की अखिल भारतीय क्षत्रिय सेना युवा प्रकोष्ठ घोर नींदा करती है साथ ही युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप रघुवंशी ने गाजियाबाद पुलिस प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि पत्रकारिता क्षेत्र को देश का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है।जो आम लोगो के दुख दर्दो को उनकी आवाज बन कर शासन प्रशासन तक पहुचाने का कार्य करता है।ऐसे में एक मीडियाकर्मी को धमकी देना लोकतंत्र पर हमला करने के समान है।प्रदीप रघुवंशी ने कहा कि स्थानीय पुलिस अखिल भारतीय क्षत्रिय सेना के संस्थापक व मीडिया कर्मी ठाकुर गौरव सिंह राणा को जान से मारने की धमकी देने बालो पर अविलंब कानूनी कार्यवाही करने के साथ ही श्री राणा के परिवार को सुरक्षा मोहया करवाये।अन्यथा अखिल भारतीय क्षत्रिय सेना युवा प्रकोष्ठ सड़को पर उतरने को विवस होगी।जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी गाजियाबाद प्रशासन की होगी।



प्रदीप रघुवंशी
राष्ट्रीय अध्यक्ष युवा
अखिल भारतीय क्षत्रिय सेना


शीर्षक: मैं भी गाँधी


मैं भी गाँधी
हाँ, मैं भी गाँधी....
 
जीवन को जब जाचूँ परखूँ
तौलूँ अपने कर्मों को
घिसूं कसौटी पर नित खुद को
समझूँ सारे धर्मों को
सच्चाई के साथ रहूँ जब
लड़ूँ बुराई से हरदम
तब कहलाऊँ मैं भी गांधी....
 
हर तबके के प्रति जब सोचूँ
जीवन बेहतर करने को
सभी समस्याओं का हल खोजूँ
सबकी पीड़ा हरने को
बहा पसीना उनकी खातिर
जीना जब आसान करुँ
फिर बन जाऊँ मैं भी गाँधी....
 
दीन-दुखी अनपढ़ लोगों की
हालत अगर सुधारूँ मैं
उनके सँग उनकी संगत में
जीवन तनिक गुजारूं मैं
पाठ स्वच्छता या शिक्षा के
अगर पढ़ा पाऊँ थोड़ा
तब जी पाऊँ मैं भी गाँधी....
 
भेद-भाव या ऊँच-नीच की
दीवारें जब ध्वस्त करूँ
द्वेष-ईर्ष्या या कटुता की
कुटिल ताकतें पस्त करूँ
वैचारिक मतभेद भुलाने
की जब कोशिश सफल रहे
हृदय बसाऊँ मैं भी गाँधी....
 
देश प्रेम या देश भक्ति के
नारे व्यर्थ न होने दूँ
राष्ट्र प्रथम, दूजा हित अपना
अवसर कभी न खोने दूँ
ज़िम्मेदारी सभी निभाएँ
प्रेरित इतना कर पाऊँ
तब दुहराऊँ मैं भी गाँधी....
 
बढ़े राष्ट्र उन्नति पथ पर
चले प्रगति की नव आँधी
मैं अपना कर्तव्य निभा कर
बन पाऊँ सच्चा गाँधी
कर पाऊँ खुशहाल सभी को
तब कह पाऊँ मैं भी गाँधी....
हां, कह पाऊँ मैं भी गांधी....
 


 
*कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा*
*30 सितंबर 2020*


व्यापारियों के जान—माल की सुरक्षा हेतु संदीप बंसल के नेतृत्व में व्यापारियों ने दिया एसपी सिटी को ज्ञापन


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल, गाजियाबाद के जिलाध्यक्ष संदीप बंसल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल एस०पी० सिटी महोदय से मिला और उन्होंने व्यापारियों के घरों एवं प्रतिष्ठान में हो रही चोरियां एवं लूटपाट तथा व्यापारियों पर हो रहे हमले के विषय पर वार्तालाप की। व्यापारियों का न तो परिवार और न ही व्यापार सुरक्षित है, दिन दहाडे लूट की जाती है लॉकडाउन की परिस्थितियों में व्यापारी पहले से ही परेशान है, ऊपर से वारदातों ने व्यापारियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, व्यापारियों का कहना है कि जल्द इस घटना का खुलासा किया जाये, बदमाशों को गिरफ्तार कर एनकाउन्टर किया जाये, जिससे कि व्यापारी जनपद में अपना आराम से व्यापार कर सकें।
व्यापारियों ने अपने सुझाव एस०पी० सिटी महोदय के समक्ष प्रस्तुत किये - शहर में पुलिस गस्त बढ़ाई जाये, बाजार के मुख्य मार्ग पर पुलिस की पीआरवी की व्यवस्था हो, सभी बाजारों में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाये, प्रत्येक महीने कोतवाली क्षेत्रों में एक व्यापार मण्डल की मीटिंग बड़े अधिकारियों के साथ की जाए।
इस अवसर पर निम्न व्यापारी उपस्थित रहे - संदीप बंसल, अनिल गर्ग. दीपक गर्ग, प्रेम प्रकाश चीनी, अमन शिशोदिया, महेन्द्र कुमार, सोनू सैनी, संजय बिन्दल, नानक गोस्वामी, राहुल गर्ग, हेमन्त सिंघल, संजय गुप्ता, जगमोहन सिंह, मनीष सिंह आदि व्यापारी थे।



“ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ की रचना क्यों की?”


कोई भी विद्वान जिस विषय को अच्छी प्रकार जानता है, उसको लोगों को जनाने व उस ज्ञान व विद्या से अपरिचित लोगों को परिचित कराने के लिये उस विषयक अपने ग्रन्थ वा पुस्तक की रचना करता है। संसार में इसी उद्देश्य से सहस्रों व लाखों ग्रन्थ लिखे गये हैं। इसके विपरीत कुछ लोग धनोपार्जन व अपने किसी निहित स्वार्थ व विचारधारा के प्रचार के लिये भी ग्रन्थों की रचना करते हैं। यदि रचना करने वाला व्यक्ति अपने विषय का विद्वान हो और उसका उद्देश्य सात्विक व जनकल्याण हों, तो उस व्यक्ति व उसकी रचना का महत्व होता व उससे लाखों लोग लाभान्वित होते हैं। ऋषि दयानन्द भी चारों वेदों के अप्रतिम विद्वान थे। उनके समय में सृष्टि के आदि में ईश्वर प्रदत्त वेद ज्ञान से लोग दूर हो गये थे। वेदज्ञान प्रायः विलुप्त था। चार वेद विद्या के ग्रन्थ हैं और ऋषि दयानन्द के समय में संसार में जो ज्ञान व मान्यतायें प्रचलित थीं वह सत्य ज्ञान पर आधारित न होकर अज्ञान पर आधारित, अन्धविश्वासों से युक्त तथा मनुष्यों का हित करने के स्थान अहित कर रहीं थी। अतः ईश्वर सहित अपने विद्यागुरु प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानन्द सरस्वती एवं अपने कुछ अनुयायियों की प्रेरणा से उन्होंने वैदिक ज्ञान वा विद्या के प्रचार के लिये वेदानुकूल वेद विद्या को प्रचारित व प्रसारित करने वाले ग्रन्थ की रचना की, उसे ‘सत्यार्थप्रकाश’ नाम दिया और उसके माध्यम से विलुप्त वेदों की सत्य व हितकारी शिक्षाओं का देश देशान्तर में प्रचार प्रसार किया। सत्यार्थप्रकाश जैसा ग्रन्थ इतिहास में इससे पूर्व कभी नहीं रचा गया। सत्यार्थप्रकाश वस्तुतः अज्ञान व अविद्या से सर्वथा मुक्त, देश देशान्तर व मनुष्य समाज में सत्य विद्या व वैदिक मान्यताओं का प्रचार करने वाला अपूर्व व अद्भुद ग्रन्थ है। एक साधारण व्यक्ति भी इसे पढ़कर विद्वान बन जाता है और मनुष्य जीवन की सभी समस्याओं व शंकाओं का समाधान प्राप्त करने सहित अपने जीवन के उद्देश्य व लक्ष्यों से परिचित होकर उनकी प्राप्ति के साधनों का ज्ञान भी उसे इस ग्रन्थ के अध्ययन से प्राप्त होता है। सत्यार्थप्रकाश सभी मनुष्यों के जीवन से अविद्या व अन्धविश्वासों को दूर कर उन्हें ईश्वर के सच्चे स्वरूप का परिचय देकर ईश्वर से मिलाता व उसे प्राप्त कराता है। सत्यार्थप्रकाश की तुलना में हमें संसार का कोई ग्रन्थ इतना महत्वपूर्ण नहीं लगता जितना महत्वपूर्ण यह ग्रन्थ है। 
ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश का प्रथम संस्करण सन् 1874 में लिख कर प्रकाशित कराया था। अपने मृत्यु से पूर्व सन् 1883 में आपने इस ग्रन्थ का संशोधित एवं परिमार्जित संस्करण तैयार किया था जो 30 अक्टूबर, 1883 को उनकी मृत्यु के बाद सन् 1884 में प्रकाशित हुआ। यह संशोधित संस्करण ही इस समय देश देशान्तर में प्रचलित है। इस ग्रन्थ की भूमिका में ऋषि दयानन्द जी ने इस ग्रन्थ को बनाने का प्रयोजन अवगत कराया है। वह कहते हैं ‘‘मेरा इस ग्रन्थ के बनाने का मुख्य प्रयोजन सत्य-सत्य अर्थ का प्रकाश करना है, अर्थात् जो सत्य है उस को सत्य और जो मिथ्या है उस को मिथ्या ही प्रतिपादन करना सत्य अर्थ का प्रकाश समझा है। वह सत्य नहीं कहाता जो सत्य के स्थान में असत्य और असत्य के स्थान में सत्य का प्रकाश किया जाय। किन्तु जो पदार्थ जैसा है, उसको वैसा ही कहना, लिखना और मानना सत्य कहाता है। जो मनुष्य पक्षपाती होता है, वह अपने असत्य को भी सत्य और दूसरे विरोधी मतवाले के सत्य को भी असत्य सिद्ध करने में प्रवृत्त होता है, इसलिए वह सत्य मत को प्राप्त नहीं हो सकता। इसीलिए विद्वान् आप्तों (जिन्हें सत्य विद्याओं का यथार्थ व पूर्ण ज्ञान हो तथा जो समाज की उन्नति की भावना से निःस्वार्थ होकर सामाजिक कार्यों में प्रवृत्त हों) का यही मुख्य काम है कि उपदेश वा लेख द्वारा सब मुनष्यों के सामने सत्यासत्य का स्वरूप समर्पित कर दें, पश्चात् वे स्वयम् अपना हिताहित समझ कर सत्यार्थ का ग्रहण और मिथ्यार्थ का परित्याग करके सदा आनन्द में रहें।”
महर्षि दयानन्द ने उपुर्यक्त पंक्तियों में अपने ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश को बनाने का प्रयोजन विदित किया है। उन्होंने जो कहा है उसका उनके द्वारा ग्रन्थ में पूरा पूरा पालन हुआ है। महर्षि दयानन्द सच्चे व सिद्ध योगी थे। उन्होंने योगाभ्यास के द्वारा समाधि अवस्था में ईश्वर का साक्षात्कार किया था। वह वेदों के विद्वान थे। उन्होंने वेदों पर न केवल ग्रन्थ ही लिखे हैं अपितु वेदों का भाष्य भी किया है। आक्समिक मृत्यु के कारण वह वेद भाष्य के महद् कार्य को पूर्ण नहीं कर सके। उन्होंने ऋग्वेद के आंशिक वा आधे से कुछ अधिक तथा यजुर्वेद का सम्पूर्ण भाष्य किया है। चतुर्वेद विषयसूची लिखकर उन्होंने चारों वेदों के भाष्य की अपनी पूरी योजना प्रस्तुत की थी जो अन्य परवर्ती विद्वानों के लिये भी उपयोगी रही है। वेद सब सत्यविद्याओं की पुस्तक हैं। वेद ईश्वर से उत्पन्न सृष्टि विषय परा व अपरा विद्याओं का सत्य ज्ञान है। ऋषि दयानन्द वेद सहित सभी विद्याओं में पारंगत थे। अतः उनका बनाया सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ अन्य मनुष्यों व विद्वानों द्वारा रचे गये ग्रन्थों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं उच्च स्थान रखता है। इस ग्रन्थ की महत्ता का ज्ञान तो इसका अध्ययन करने पर ही होता है। यदि सभी मतों के लोग अपने ग्रन्थों को पढ़ते हुए भी इस सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ को निष्पक्ष होकर पढ़े तो उन्हें भी इसमें ऐसी अनेक बातें प्राप्त होंगी जो उनके मतों में नहीं है। मनुष्य जीवन को इसके लक्ष्य ‘‘मोक्ष” तक पहुंचाने के लिये वेदों सहित सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का अध्ययन करना हमें सर्वथा आवश्यक एवं उचित लगता है। जो भी व्यक्ति निष्पक्ष होकर इस ग्रन्थ का अध्ययन करता है वह इसी निष्कर्ष पर पहुंचता हैं। 
सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ की भूमिका में ग्रन्थ रचना का उद्देश्य बताने के बाद स्वामी दयानन्द ने अत्यन्त महत्वपूर्ण बातें लिखी हैं जो सबके जानने के योग्य हैं। वह लिखते हैं कि मनुष्य का आत्मा सत्याऽसत्य का जानने वाला है तथापि अपने प्रयोजन की सिद्धि, हठ, दुराग्रह और अविद्यादि दोषों से सत्य को छोड़ कर असत्य में झुक जाता है। परन्तु इस सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ में ऐसी बात नहीं रक्खी है और न किसी का मन दुखाना वा किसी की हानि पर तात्पर्य है, किन्तु जिससे मनुष्य जाति की उन्नति और उपकार हो, सत्याऽसत्य को मनुष्य लोग जान कर सत्य का ग्रहण और असत्य का परित्याग करें, क्योंकि सत्योपदेश के विना अन्य कोई भी मनुष्य जाति की उन्नति का कारण नही है। 
सत्यार्थप्रकाश की महत्ता के अनेक कारण हैं। सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में लिखे स्वामी दयानन्द जी के यह शब्द भी अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं ‘यद्यपि आजकल बहुत से विद्वान् प्रत्येक मतों में हैं, वे पक्षपात छोड़ सर्वतन्त्र सिद्धान्त अर्थात् जो-जो बातें सब के अनुकूल सब में सत्य हैं, उनका ग्रहण और जो एक दूसरे से विरुद्ध बातें हैं, उनका त्याग कर परस्पर प्रीति से वर्ते और वर्तावें तो जगत का पूर्ण हित हो। क्योंकि (मत-मतान्तरों व इतर) विद्वानों के विरोध से अविद्वानों में विरोध बढ़ कर अनेकविधि दुःख की वृद्धि और सुख की हानि होती है। इस हानि ने, जो कि स्वार्थी मनुष्यों को प्रिय है, सब मनुष्यों को दुःखसागर में डूबा दिया है।’ ऋषि दयानन्द इसके आगे कहते हैं ‘इनमें से जो कोई सार्वजनिक हित लक्ष्य में धर कर प्रवृत्त होता है, उससे स्वार्थी लोग विरोध करने में तत्पर होकर अनेक प्रकार के विघ्न करते हैं। परन्तु ‘सत्यमेव जयति नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।’ अर्थात् सर्वदा सत्य का विजय और असत्य का पराजय और सत्य ही से विद्वानों का मार्ग विस्तृत होता है। इस दृढ़ निश्चय के आलम्बन से आप्त लोग परोपकार करने से उदासीन होकर कभी सत्य अर्थ का प्रकाश करने से नहीं हटते।’ स्वामी दयानन्द जी ने जीवन भर अपने इन वचनों का पालन किया। बरेली में जब उनके द्वारा असत्य का खण्डन करने से रोकने का प्रयास किया गया तो उन्होंने सिंह घोषणा की थी और कहा था कि जब तक संसार में ऐसा सूरमा सामने नहीं आता जो यह कहे कि वह मेरी आत्मा का नाश व अभाव कर देगा, तब तक मैं असत्य का खण्डन न करने के प्रस्ताव पर विचार भी नहीं कर सकता।   
सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में इसके बाद भी ऋषि दयानन्द ने अनेक महत्वपूर्ण बाते लिखी हैं। वह कहते हैं कि ‘यह बड़ा दृढ़ निश्चय है कि ‘यत्तदग्रे विषमिव परिणामेऽमृतोपमम्।’ यह गीता का वचन है। इसका अभिप्राय यह है कि जो-जो विद्या ओर धर्म-प्राप्ति के कर्म हैं, वे प्रथम करने में विष के तुल्य और पश्चात् अमृत के सदृश होते हैं। ऐसी बातों को चित्त में धरके मैंने इस ग्रन्थ को रचा है। श्रोता वा पाठकगण भी प्रथम प्रेम से देख के इस (सत्यार्थप्रकाश) ग्रन्थ का सत्य-सत्य तात्पर्य जान कर (उनके जनहितकारी उद्देश्य को पूरा व) यथेष्ट करें। इसमें यह अभिप्राय रक्खा गया है कि जो-जो सब मतों में सत्य-सत्य बातें हैं, वे वे सब में अविरुद्ध होने से उनका स्वीकार करके जो-जो मतमान्तरों में मिथ्या बातें हैं, उन-उन का खण्डन किया है। इसमें यह भी अभिप्राय रक्खा है कि सब मतमतान्तरों की गुप्त वा प्रकट बुरी बातों का प्रकाश कर विद्वान् अविद्वान् सब साधारण मनुष्यों के सामने रक्खा है जिससे सब (मनुष्यों) से सब (बातों) का विचार होकर परस्पर प्रेमी हो के एक सत्य मतस्थ होवें।’
सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में कही एक अत्यन्त महत्वपूर्ण बात को भी हम यहां प्रस्तुत करना आवश्यक समझते हैं। वह कहते हैं ‘यद्यपि मैं आर्यावर्त देश में उत्पन्न हआ और वसता हूं, तथापि जैसे इस देश के मतमतान्तरों की झूठी बातों का पक्षपात न कर याथातथ्य प्रकाश करता हूं वैसे ही दूसरे देशस्थ वा मत वालों के साथ भी वर्तता हूं। जैसा स्वदेश वालों के साथ मनुष्योन्नति के विषय में वत्र्तता हूं, वैसा विदेशियों के साथ भी तथा सब सज्जनों को भी वत्र्तना योग्य है। क्योंकि मैं भी जो किसी एक का पक्षपाती होता तो जैसे आजकल के (लोग) स्वमत की स्तुति, मण्डन और प्रचार करते और दूसरे मत की निन्दा, हानि और बन्ध करने में तत्पर होते हैं, वैसे मैं भी होता, परन्तु ऐसी बातें मनुष्यपन (Humanity) से बाहर हैं। क्योंकि जैसे पशु बलवान् होकर निर्बलों को दुःख देते ओर मार भी डालते हैं, जब मनुष्य शरीर पाके वैसा ही कर्म करते हैं तो वे मनुष्य स्वभावयुक्त नहीं, किन्तु पशुवत् हैं। और जो बलवान् होकर निर्बलों की रक्षा करता है वही मनुष्य कहाता है और जो स्वार्थवश होकर परहानि मात्र करता रहता है, वह जानो पशुओं का भी बड़ा भाई है।’
ऋषि दयानन्द ने जिन दिनों वेद व वैदिक मान्यताओं का प्रचार किया था उन दिनों देश व विश्व अज्ञान व अन्धविश्वासों से युक्त तथा सद्ज्ञान व आध्यात्मिक सत्य ज्ञान से कोसों दूर था। उस समय आवश्यकता थी कि सब सच्चे विद्वान एक डाक्टर द्वारा रोगी का उपचार करने की भांति सबको सद्ज्ञान व सद् उपदेश देते। एक सच्चे व योग्य चिकित्सक के कर्तव्य का ही पालन ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश लिखकर व वेद प्रचार कर किया है। यदि वह ऐसा न करते तो आने वाली मनुष्य जाति सत्यासत्य के विवेक से वंचित रहती। उन्हें सत्य धर्म व सत्य मत का कभी बोध ही नहीं होता। ऋषि दयानन्द ने जो कार्य किया वह ईश्वर की आज्ञा का पालन ही था। सभी सच्चे विद्वानों, आचार्यों व उपदेशकों का उद्देश्य व कर्तव्य सत्य मान्यताओं का प्रचार करना ही होता है। ऋषि दयानन्द ने अपना कर्तव्य बहुत ही अच्छी प्रकार से निभाया है। इससे विश्व का उपकार हुआ है। लोगों को मत-मतान्तरों के सत्यस्वरूप व उनमें निहित अविद्या व अन्धविश्वासों का बोध हुआ। कुछ लोग असत्य मतों को छोड़कर सत्य मत को भी प्राप्त हुए हैं। ऋषि दयानन्द ने जो कार्य किये, सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ की रचना की, उससे भावी पीढ़ियों को सत्य मार्ग का बोध होगा जिस पर चलकर वह धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को प्राप्त हो सकते हैं। सत्यार्थप्रकाश की अनेक विशेषतायें हैं। इस कारण से यह विश्व का सर्वोत्तम ग्रन्थ है। सत्यार्थप्रकाश मनुष्य मात्र के लिये हितकारी व सन्मार्ग को प्राप्त कराने वाला है तथा ईश्वर व आत्मा का सत्य ज्ञान कराकर लोगों को उपासना व साधना द्वारा ईश्वर का साक्षात्कार कराने में सहयोगी है जिससे मनुष्यों के सभी दुःखों की निवृत्ति होकर मोक्ष प्राप्त होता है। सत्यार्थप्रकाश की जय हो। सत्यार्थप्रकाश अमर रहे। 
-मनमोहन कुमार आर्य


“परमात्मा ने यह चित्र-विचित्र संसार किसके लिए बनाया है?”


हम मनुष्य हैं। परमात्मा ने हमें जन्म दिया है और हमें संसार का ज्ञान कराने के लिये पांच ज्ञान इन्द्रियां भी दी हैं जिनमें से एक नेत्र इन्द्रिय है। नेत्र से हम इस संसार को देखते हैं। यह संसार अनेक प्रकार के चित्र-विचित्रों से युक्त है। ऐसे ऐसे भव्य एवं सुन्दर चित्र संसार में हैं जिसे देखकर मनुष्य का मन मुग्ध हो जाता है और परमात्मा की सामथ्र्य को अनुभव कर उसके स्वरूप के चिन्तन में खो जाता है। यदि परमात्मा इस संसार को न बनाता तो हम व हमारे समान अनन्त संख्या में जीव ईश्वर की इस अद्भुद सामथ्र्य को न जान पाते। परमात्मा ने अपनी अनन्त सामर्थ्य एवं सर्वशक्तिमान होने के कारण इस इस विशाल सीमातीत ब्रह्माण्ड को बनाया है। इस ब्रह्माण्ड का न कोई ओर है न छोर। वैज्ञानिक भी इस संसार की रचना को देखकर विस्मिृत वा आश्चार्यान्वित होते हैं। भक्त हृदय के मनुष्य ईश्वर की इस महान सामथ्र्य को देखकर उसके प्रति भक्ति में भर जाते हैं और स्तुति तथा प्रार्थना वचनों से उसके यश एवं कीर्ति के गीत गाते हैं। परमात्मा की इस अद्भुत विचित्र रचना को देखकर सभी मुग्ध होकर कुछ इस प्रकार से अपने विचार व्यक्त करते हैं ‘तेरा पार किसी ने भी पाया नहीं, दृष्टि किसी की भी आया नहीं, तेरा पार किसी ने भी पाया नहीं।’ 
परमात्मा यदि इस सृष्टि की रचना न करता और जीवों को मनुष्य आदि भिन्न भिन्न योनियों में उनके पूर्वजन्मों के कर्मानुसार जन्म न देता तो जीवों को ईश्वर के सत्यस्वरूप व उसकी सामथ्र्य का ज्ञान ही न होता है। अपने स्वरूप का ज्ञान कराने के लिये परमात्मा ने चार वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद का ज्ञान भी सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को दिया था। वेदों से ही ईश्वर व जीवात्मा के सत्यस्वरूप सहित इस सृष्टि व इसके अनादि उपादान कारण प्रकृति को जाना जाता है। हमारी यह सृष्टि प्रवाह से अनादि है अर्थात् यह हमेशा से है। कभी इसका आरम्भ नहीं हुआ। अनादि काल से सृष्टि के अनादि उपादान कारण प्रकृति से परमात्मा इस सृष्टि की रचना करते हैं और इसे रचना कर इसका पालन तथा प्रलय करते आ रहे हैं। यह क्रम अनादि काल से चला आ रहा है और अनन्त काल तक इसी प्रकार चलता रहेगा। इस रहस्य को जो मनुष्य जान लेता है वह ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना को अपना कर्तव्य जानकर अन्य कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए ईश्वर के ध्यान, चिन्तन व उपासना आदि में ही अपना जीवन व्यतीत कर दुःखों की निवृत्ति व आनन्दमय मोक्ष को प्राप्त करता है। प्राचीन काल से हमारे देश में वेदों के ज्ञानी, पवित्र बुद्धि के धनी, ईश्वर का साक्षात्कार करने वाले ऋषि, मुनि व योगी देश व जनता की नाना प्रकार से सेवा करते हुए ईश्वर के प्रति उसकी उपासना आदि के अपने कर्तव्यों का निरन्तर सेवन करते आ रहे हैं। ईश्वर के ज्ञान वेदों का अध्ययन कर ही मनुष्य अविद्या से मुक्त होता है अन्यथा वह अविद्या में फंसकर परमात्मा से प्राप्त अपने मानव जीवन को व्यर्थ कर देता है जिसका परिणाम उसे जन्म जन्मान्तरों में दुःख भोगकर चुकाना पड़ता है। 
परमात्मा ने यह संसार क्यों व किसके लिये बनाया है? यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से मनुष्य के मन में उत्पन्न हो सकता है? इसका उत्तर भी वेद एवं वैदिक साहित्य के प्रणेता ऋषि अपने ज्ञान व विवेक के आधार पर देते हैं। वह बताते हैं कि संसार में तीन सत्ताओं यथा ईश्वर, जीव व प्रकृति का अस्तित्व है। यह तीनों पदार्थ व सत्तायें अनादि व नित्य हैं। इनकी उत्पत्ति व रचना कभी किसी से नहीं हुई है। यह तीनों स्वयंभू सत्तायें हैं। इन सत्ताओं का रचयिता कोई नहीं है। यह तीनों अनादि होने के साथ अमर व अविनाशी भी है। इसी कारण हम जीवों का अनादि काल से अस्तित्व है और अनन्त काल तक रहेगा। जैसे इस जन्म में हमारी आत्मा को कर्म करने व उनके फल भोगने के लिये मानव शरीर मिला है उसी प्रकार से सभी अनन्त जीवों को उनके कर्मानुसार अन्य मानवेतर पशु व पक्षी आदि के देह परमात्मा से उनके प्रत्येक जन्म में मृत्यु होने के बाद मिलते हैं। मनुष्यों को परमात्मा ने दो हाथ कर्म करने के लिये दिये हैं। इसके साथ ही उसके पास ज्ञानार्जन में समर्थ बुद्धि भी सुलभ है। इससे सोच विचार कर सत्यासत्य की परीक्षा कर वह मनुष्य के करने योग्य कर्मों का निर्धारण कर उनको करके उनके फलों को प्राप्त होता है। मनुष्य की सहायता के लिये ही परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में चार वेदों का ज्ञान दिया था। आज भी यह ज्ञान प्रासंगिक एवं सार्थक है। वर्तमान में भी वेदों से हमें ईश्वर, जीव व प्रकृति के सत्यस्वरूप व गुण, कर्म व स्वभावों का ज्ञान प्राप्त होता है। मनुष्य के अपने तथा अन्यों के प्रति क्या कर्तव्य हैं, इसका ज्ञान भी वेद व वेदों के व्याख्याकार सरल शब्दों में कराते हैं। ऋषि दयानन्द ने मनुष्यों की इसी आवश्यकता को समझ कर अपने दयालु स्वभाव से मनुष्यों पर दया करके उन्हें वेदों की समस्त शिक्षाओं से परिचित कराने के लिये सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ की रचना की और वह समस्त ज्ञान हमें प्रदान कराया है जो उनके समय में जनसामान्य व विद्वानों को भी उपलब्ध नहीं होता था। सत्यार्थप्रकाश को पढ़कर मनुष्य की प्रायः सभी शंकाओं का समाधान हो जाता है। यदि कोई शंका रहती भी है तो उसका ज्ञान मनुष्य सत्यार्थप्रकाश सहित उपनिषद, दर्शन, विशुद्ध मनुस्मृति आदि वैदिक साहित्य के विविध ग्रन्थों का अध्ययन व मनन कर प्राप्त कर सकता है। वैदिक ज्ञान मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पत्ति व पूंजी है। धन व सम्पत्ति से मनुष्य केवल शरीर की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है परन्तु ज्ञान से आत्मा की भूख की तृप्ति होकर आनन्द की प्राप्ति होती है। इस दृष्टि से मनुष्य के लिए धन सम्पत्ति की तुलना में ज्ञान का महत्व अधिक है। यही कारण था कि हमारे प्राचीन पूर्वज व ऋषि महर्षि त्याग व एषणाओं से मुक्त जीवन व्यतीत करते थे और अपना समय अपने कर्तव्यों के पालन, परोपकार के कार्यों सहित ईश्वर के अध्ययन, चर्चा, चिन्तन, मनन, उपासना व यज्ञ आदि कर्मों को करने में किया करते हैं। वैदिक जीवन ही मनुष्य के लिए सर्वाधिक श्रेयस्कर एवं आचरणीय है। 
परमात्मा का बनाया हुआ यह संसार नेत्र दृष्टि से देखने में आता है। यह सुन्दरता से युक्त एवं दैवीय गुणों से युक्त है। परमात्मा का बनाया सूर्य हमें प्रकाश, गर्मी देता है। सूर्य के प्रकाश के कारण ही हम इस संसार को देखने में समर्थ होते हैं। परमात्मा की बनाई वायु हमारे जीवन की श्वांस प्रणाली को संचालित कर रक्षा करती है। हम संसार में जो भोजन पकाते हैं उसमें भी अग्नि की आवश्यकता होती है। इसे भी परमात्मा ने सृष्टि के उपादान कारण प्रकृति से ही रचा है। यह अग्नि भी सभी मनुष्यों व प्राणियों के लिये अत्यन्त हितकर है। अग्नि में प्रकाश का दिव्य गुण होता है। किसान द्वारा उत्पन्न अन्न भी सूर्य के प्रकाश व ताप से ही पकते हैं। वेदों में ईश्वर के अन्य नामों में अग्नि को भी ईश्वर का नाम बताया है। इसका कारण यह है कि ईश्वर अग्नि के समान ही प्रकाशस्वरूप है। जिस प्रकार अग्नि सदैव ऊपर को जाती है उसी प्रकार ईश्वर भी हमें ऊध्र्वगामी बनाकर ऊपर की ओर ले जाता तथा उन्नति करने के अवसर देता ही रहता है। ऐसा हमारा परमात्मा अनादि काल से सब जीवों के प्रति कर रहा है। आज भी हमें अपने दुःखों की निवृत्ति के लिये अवसर सुलभ है जिन्होंने ईश्वर ने ही सुलभ कराया है। अतः प्रकाश व ज्ञानस्वरूप होने से ईश्वर अग्नि हैं। हमें ईश्वर के इस अग्निस्वरूप का ध्यान कर भी उसको प्राप्त होना चाहिये व उससे ज्ञान व प्रकाश की प्रार्थना करनी चाहिये। 
सृष्टि के सभी पदार्थ परमात्मा ने मनुष्यों व अन्य जीवधारियों के सुख व उपयोग के लिये ही बनाये हैं। यदि ईश्वर न होता तो सृष्टि और इसमें उपलब्ध जीवों को सुख देने वाले पदार्थों को कौन बनाता? अनेक मनुष्य तो ऐसे भी होते हैं जो कृपण मनुष्य को उसके द्वारा याचना करने पर भिक्षा तक नहीं देते। ईश्वर ही एकमात्र ऐसी सर्वव्यापक एवं सर्वशक्तिमान सत्ता है जो प्रत्येक जीव को माता, पिता तथा आचार्य आदि से भी अधिक प्रेम करती व स्नेह प्रदान करती है। ईश्वर की भक्ति व आज्ञा पालन न करने पर भी हमारा वह परमात्मा हमसे कुपित नहीं होता और उस स्थिति में भी हमें हमारे कर्मों का सुख व दुःख रूपी यथायोग्य उचित फल देकर हमारे सुधार करने में तत्पर रहता है। परमात्मा के समान जीवों का अन्य कोई सुहृद मित्र, बन्धु, सखा व हितैषी नहीं है। माता-पिता भी अपनी सन्तानांे से अनेक प्रकार की अपेक्षायें रखते हैं परन्तु परमात्मा तो हम से बिना किसी अपेक्षा के ही हमारे हितों की पूर्ति के लिये अनादि काल से अपने उपकारों की वर्षा हम पर किये जा रहा है। ईश्वर के उपकारों पर बहुत कहा जा सकता है। अनेक विद्वानों इस विषय पर अपने ग्रन्थों में बहुत लिखा है। वेदभाष्य पढ़ते हुए भी हमें ईश्वर की मनुष्यों व जीवों पर कृपा के अनेक प्रसंग व उदाहरण मिलते हैं। उन्हें पढ़कर हमारी ईश्वर के अध्ययन व उपासना में प्रवृत्ति सुदृढ़ होती है। 
परमात्मा ने यह विशाल एवं भव्य सृष्टि जीवात्माओं के सुख व कर्म करने के लिये बनाई है। जीवात्मा को मनुष्य का जन्म मिले या किसी अन्य प्राणी योनि में, सभी योनियों में जीवात्माओं को अनेक प्रकार के दुःख भोगने पड़ते हैं। मनुष्य योनि में सुख अधिक व दुःख कम होते हैं। इस योनि में भी जन्म लेने व मृत्यु के समय दुःख तो साधु व महात्माओं को भी होता ही है। जीवनकाल में भी मनुष्य को आधिदैविक, आधिभौतिक तथा आध्यात्मिक दुःख होते ही रहते हैं। अतः परमात्मा ने कृपा करके जीवों को सृष्टि के द्वारा सुख प्राप्त करते हुए जन्म व मरण से मुक्त होने के लिये मोक्ष के आनन्द का सुख प्रदान करने की व्यवस्था भी की है। मोक्ष में जीवात्मा को किसी प्रकार का लेश मात्र भी दुःख नहीं होता। मोक्ष में जीवात्मा ईश्वर के आनन्दमय साहचर्य व सान्निध्य में रहता है। वह मुक्त-जीव लोक-लोकान्तरों में भ्रमण करता तथा मोक्ष में ईश्वर से प्राप्त सामथ्र्य से मुक्त जीवों से मिलता व उनसे बातचीत करता है। मुक्त जीव मोक्ष में आनन्द का भोग करता है तथा दुःखों से पृथक रहता है। इसी प्रकार सांसारिक माता-पिता भी अपनी सन्तानों को सुखी करने के अनेक प्रयत्न करते हैं। सांसारिक माता-पिता की सामथ्र्य सीमित होती है इसलिये वह जितना चाहते हैं वह सब कुछ नहीं कर पाते। परमात्मा ही हमारा वास्तविक माता व पिता है जो हमें मोक्ष सुख देना चाहता है। इसके लिये हमें भी वेदाध्ययन एवं ऋषियों के ग्रन्थों सहित सत्यार्थप्रकाश एवं ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ग्रन्थों का अध्ययन कर तथा मोक्ष प्राप्ति के साधनों व उपायों को करके मोक्ष को प्राप्त करने के लिये पुरुषार्थ करना चाहिये। मोक्ष की प्राप्ति होने तक जीवात्मा जन्म व मरण लेता हुआ भटकता रहता है। 
परमात्मा ने यह संसार अपनी अनादि प्रजा जीवों को सुख देने सहित मोक्ष प्रदान करने व पुरुषार्थ करने के लिये बनाया है। इसे जानकर व अपने जीवन को वैदिक साधनाओं से युक्त कर हम अपने अपने मनुष्य जीवन को सुखी व मोक्षगामी बना सकते हैं। यही हमारे जीवन का लक्ष्य है। हमें इस मार्ग पर हम सबको आगे बढ़ना चाहिये। 
-मनमोहन कुमार आर्य


नगर निगम ने भरवाये शहरी विक्रेताओं हेतु 10,000 रुपए आर्थिक सहायता लोन फार्म


अनवार चौधरी—समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। साहिबाबाद क्षेत्र के गांव पसोंडा वार्ड नंबर 66 में शहरी विक्रेताओं हेतु 10,000 रुपए आर्थिक सहायता लोन नगर निगम गाजियाबाद द्वारा फार्म भरवाए गए। जिसमें महानगर उपाध्यक्ष अल्पसंख्यक नादिर अली, भोपुरा मंडल संयोजक अल्पसंख्यक अनवार चौधरी, कन्हैया लाल, बबीता आदि सभी लोगों ने मौजूद रहकर फार्म भरवाने में सहयोग किया।



पप्पू पहलवान ने चलाया वार्ड 78 में सफाई अभियान


अनवार चौधरी—समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। वार्ड 78 शालीमार गार्डन में महानगर महामंत्री पप्पू पहलवान ने महात्मा गांधी जी के स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक वातावरण वाले भारत के निर्माण के सपने को साकार करने के लिए निवासियो को प्रेरित करने के माध्यम से राधा कृष्णा पार्क सोसाइटी प्लॉट नम्बर 585 से 558 तक के पीछे की सर्विस लेन मे सफाई अभियान चलाया। जिसमें सोशल वेल्फयर अध्यक्ष डीन कौल, आरडब्लूए सचिव देवेन्द्र चौहान, प्रतीक माथुर, भुषण लाल, प्रेम त्यागी, केशव सक्सेना, दिनेश माथुर, डाकटर सुरेश कसाना, सुमन सती, मुनीश कसाना, आरपी सिंह, आदित्य सिंह, आरके गुप्ता, मोहित आदि गणमान्य निवासी सम्मिलित हुए । 


मौलिक कर्तव्य देश के नागरिकों के लिए एक प्रकार से सचेतक का कार्य करता है: धीरेंद्र सिंह, शाखा प्रबंधक


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के प्लान  एक्शन 2020- 21 के अनुपालन में माननीय जनपद न्यायाधीशध् अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशन में माननीय सचिव मंजू कुमारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के आदेश पर तहसील विधिक सेवा समिति मोदीनगर के क्षेत्राधिकार में ग्राम सुल्तानपुर ब्लॉक मुरादनगर कॉमन सर्विस सेंटर में सिटीजन ड्यूटीज अवेयरनेस प्रोग्राम (सीडीएपी) प्रोजेक्ट के तहत 15 से 26 नवम्बर तक हर माह निर्धारित विषय पर डिजिटल ग्रामों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजन किए जाने की कार्य योजना भारत सरकार विधि एवं न्याय मंत्रालय नई दिल्ली के द्वारा प्रस्तावित की गई है। इसके तहत 30 सितंबर को ब्लॉक मुरादनगर के अंतर्गत डिजिटल ग्राम सुल्तानपुर कॉमन सर्विस सेंटर में सिटीजन ड्यूटीज अवेयरनेस प्रोग्राम सीडीएपी का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता ओरिएंटल बैंक शाखा ग्राम सुल्तानपुर से उपस्थित धीरेंद्र सिंह शाखा प्रबंधक ने की संचालन महेश यादव नामित अधिवक्ता ने किया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में ओरिएंटल बैंक शाखा ग्राम सुल्तानपुर से उपस्थित धीरेंद्र सिंह शाखा प्रबंधक ने गांव के उपस्थित लोगों को संविधान में प्रदत्त मौलिक कर्तव्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में नागरिकों के 11कर्तव्य बताए गए हैं। भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों संस्थाओं और राष्ट्र ध्वज राष्ट्रगान का आदर करें। स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले कुछ आदर्शों को हृदय में संजोए रखें भारत की प्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करें। प्रत्येक माता-पिता का यह कर्तव्य है कि 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करें । इस कार्यक्रम में ग्राम सुल्तानपुर कामन सर्विस सेंटर के बीएलई ने वीडियो के माध्यम से शिविर में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को विधिक साक्षरता शिविर की जानकारी उपलब्ध कराई का शिविर में उपस्थित   बैरिस्टर गिरी परामर्शदाता अमूल्य वित्तीय साक्षरता केंद्र ने बैंक की विभिन्न जमा एवं कृषि ऋण योजनाओं तथा भारत सरकार के सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के विषय में जानकारी उपलब्ध कराई   शिविर में उपस्थित अभिषेक कुमार जिला समन्वयक अधिकारी कॉमन सर्विस सेंटर गाजियाबाद के द्वारा प्रधानमंत्री डिजिटल साक्षरता अभियान तथा ला मिनिस्ट्री एवं आईटी मिनिस्ट्री के संयुक्त रूप से संचालित किया टेली ला प्रोजेक्टआदि योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराई गई जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गाजियाबाद  से उपस्थित शहजाद अली ,प्रीति चैधरी के द्वारा निशुल्क वकील मध्यस्था केंद्र लोक अदालत आदि के संबंध में जागरूक किया शिविर में उपस्थित नेहा ग्राम विकास अधिकारी  विकास खंड मुरादनगर के द्वारा स्वयं सहायता समूह योजना की जानकारी उपलब्ध कराई शिविर का समापन ग्राम सुल्तानपुर के बीडीसी मेंबर विपिन  ने धन्यवाद देकर किया शिविर में उपस्थित प्रीति चैधरी एवं आशा कार्यकर्ती वह स्वयं सहायता समूह की महिलाएं उपस्थित रहे।
साभार—राकेश चौहान


फौजी अनुज सिंह को दी भावभीनी श्रद्धांजली


अतुल त्यागी—समीक्षा न्यूज
हापुड़। गांव मोहम्मदपुर खुडलिया के निवासी व पश्चिमी बंगाल के पानगढ में तैनात फौजी अनुज सिंह की ह्रदयघात से निधन हो गया था उनका पार्थिव शरीर आज प्रातः लगभग छ बजे गांव मोहम्मदपुर खुडलिया पहुंचा
सूचना मिलते ही राष्ट्रीय सैनिक संस्था के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष चौधरी मनवीर सिंह जिला महासचिव कपिल शर्मा जिला उपाध्यक्ष मुकेश त्यागी जिला कोषाध्यक्ष मुकेश प्रजापति नगर सूचना प्रसारण मंत्री श्याम वर्मा ने फौजी अनुज सिंह के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर सैल्यूट किया



किसान विरोधी बिलों के विरोध में एक दिवसीय उपवास पर बैठेंगे किसान    


 अतुल त्यागी—समीक्षा न्यूज
हापुड़। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन हापुड़ राष्ट्रीय सैनिक संस्था हापुड़ पदाधिकारियों  की एक संयुक्त बैठक का आयोजन किया गया जिसमें यह तय किया गया कि सरकार द्वारा किसानों के विरोध में जो काले कानून बिल पास हुए हैं उनके विरोध में दोनों संस्था संयुक्त रूप से 2 अक्टूबर गांधी जयंती व जय जवान जय किसान का नारा बुलंद करने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री किसान पुत्र लाल बहादुर शास्त्री जी की जयती के अवसर पर उनकी प्रतिमा के समक्ष  किसान दुखी होकर अपने हकों के लिए शांति पूर्वक 11:00 बजे से शाम  3:00 बजे तक एक दिवसीय उपवास पर बैठेंगे और सरकार से एक ही अपेक्षा लेकर की किसान विरोधी बिलों में परिवर्तन करने की मांग करेंगे बैठक की अध्यक्षता चौधरी नरेंद्र सिंह व संचालन राष्ट्रीय सैनिक संस्था के जिला अध्यक्ष ज्ञानेंद्र त्यागी ने किया बैठक में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रवक्ता मुकुल कुमार त्यागी जिला अध्यक्ष वीरेश चौधरी मेरठ मंडल के युवा अध्यक्ष  परविंदर ढिल्लों पूर्व जिला अध्यक्ष वीरपाल सिंह जिला प्रवक्ता निरंजन शास्त्री
राष्ट्रीय सैनिक संस्था के जिला उपाध्यक्ष मुकेश त्यागी जिला कोषाध्यक्ष मुकेश प्रजापति रोहित चौधरी तरूण हरदयाल सिंह अजय रघुवंशी जी आदि लोग मौजूद रहे


मनीषा वाल्मीकि के आत्मा की शांति के लिए निकाला कैं​डल मार्च


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना जिला गाजियाबाद द्वारा उदल नगर वार्ड नंबर 19 आदि क्षेत्रों में कैंडल मार्च निकाला गया आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन धारण किया गया मनीषा वाल्मीकि समाज की बेटी की हाथरस क्षेत्र के गांव  भूल घड़ी मैं अन्य जाति के लोगों ने अत्याचार किया शोषण किया बलात्कार किया रीड की हड्डी तोड़ दी जुबान काट दी वे उसके बाद जब उसको दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर उसने दम तोड़ दिया उसके बाद पुलिस द्वारा जास्ती भरते हुए उसमें गांव ले जाया गया और रात को 2:00 बजे अपनी मर्जी से बगैर घरवाले की उपस्थिति में अंतिम संस्कार कर दिया जिसको देखने के लिए लड़की के मां-बाप और परिवार के लोग तड़पते रहे और शासन प्रशासन से गुहार लगाते रहे लेकिन प्रशासन के सामने परिवार की एक न चली हम लोग इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और सरकार से मांग करते हैं यह दरिंदों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाए तभी जाकर मनीषा बाल्मीकि  की आत्मा को शांति मिलेगी पीड़ित परिवार को एक करोड़ की सहायता दी जाए एक सरकारी नौकरी सरकार दे इस मौके पर भारी संख्या में महिलाएं और बच्चों ने कैंडल मार्च में भाग लिया और इंसाफ की मांग उठाई मुख्य रूप से मौजूद रहे वरिष्ठ समाजसेवी सुरेंद्र सिंह चंदेल वीरेंद्र कंडेरा प्रदीप मचल आजाद बाल्मीकि आकाश मेहरा सुनील मिंटू मनोज चंदेल सुरेंद्र कुमार सिंह प्रवीण मराठा सैकड़ों की संख्या में मौजूद रहे।


बिग्नर्स कोर्स का हुआ समापन


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गौतम बुध नगर। द्वितीय बैच बिग्नर्स कोर्स ( 30 सितम्बर 2020 )भारत स्काउट गाइड संस्था गौतम बुध नगर उत्तर प्रदेश के  तत्वधान से जिला मुख्यालय पंचशील बालक इंटर कॉलेज में जिला संगठन कमिश्नर  स्काउट शिवकुमार एवं जिला संगठन कमिश्नर गाइड  शैफाली गौतम के द्वारा एक प्रशिक्षण बिग्नर्स कोर्स का आयोजन किया गया । यह कार्यक्रम  श्री अनिल कुमार सिंह मुख्य विकास अधिकारी एवं जिला कॉर्डिनेटर स्काउट, गौतम बुध नगर  के निर्देशन में किया गया ।
, जिसमें कोर्स का संचालन गाइड कैप्टन  परिणीता गुप्ता नोएडा एजुकेशनल अकादमी के द्वारा किया गया । कार्यक्रम में  विशेष अतिथि के रुप में जिला समन्वयक  ( प्रशिक्षण )  बेसिक  श्री सूर्य प्रकाश राय ,  प्रादेशिक प्रशिक्षण आयुक्त स्काउट अरविंद श्रीवास्तव, प्रादेशिक  प्रशिक्षण आयुक्त गाइड  देवकी  शोभित, सहायक प्रादेशिक संगठन आयुक्त मयंक शर्मा, जिला मुख्य आयुक्त डा. राकेश कुमार राठी,  स्काउट कमिश्नर  विजेंद्र सिंह,  गाइड कमिश्नर मिथलेश गौतम , जिला सचिव डॉ शिवकुमार शर्मा उपस्थित रहें । जिला संगठन कमिश्नर स्काउट शिव कुमार द्वारा संपूर्ण प्रशिक्षण को संक्षिप्त में कब - बुलबुल , स्काउट - गाइड ,  रोवर - रेंजर के हर आवश्यक  बिंदुओं जैसे:-  स्काउटिंग के विषय  पर  प्रकाश डालते हुए सरल एवं सजग भाषा में  :- प्रार्थना , प्रतिज्ञा , चिन्ह , संक्षिप्त इतिहास , सैल्यूट , वेश भूषा , बायां हाथ मिलाना , प्रवेश का  कोर्स  , आयु  विभाजन , कबिंग की  शुरुआत , कबिंग की बेश  - भूषा , मोगली की कहानी तारा की कहानी ,  आदि का आमुख  पटल पर लाइव एवं यू ट्यूब   पर प्रशिक्षण दिया। इस प्रशिक्षण में गौतम बुध नगर के लगभग 250 स्काउट मास्टर एवं गाइड कैप्टन ने प्रशिक्षण लिया।
इस प्रशिक्षण का विशेष उद्देश्य देश के भविष्य को देश-सेवा के लिए प्रेरित करना एवं प्रत्येक बच्चे तक स्काउट एवं गाइड , कब-बुलबुल के प्रशिक्षण को पहुंचाना था।
यह प्रशिक्षण हम सभी के लिए अद्भुत और अनोखा था।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जिला गाइड कैप्टन भारती श्रीवास्तव, ब्लॉक गाइड कैप्टन आरती कुलश्रेष्ठ, ज्योतिर्मयी  पांडे, रश्मि त्रिपाठी (बेसिक ), दीपा भट्ट (प्रधानाचार्या नोएडा एजुकेशनल अकादमी) का विशेष  सहयोग रहा।
तकनीकी प्रकिया में, भावना सारस्वत, कुमारी नैंसी सचान, विकास कुमार, कुलदीप कुमार आदि का सहयोग सराहनीय रहा है एवं स्काउट विश्वशनीय, स्काउट तुषार दास, स्काउट अंकित की भूमिका प्रशंसनीय है।


हिन्दू रक्षा दल व उत्तर प्रदेशीय सफाई कर्मचारी संघ ने किया हाथरस कूच करने का ऐलान


अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
लोनी। हिंदू रक्षा दल व उत्तर प्रदेशीय सफाई कर्मचारी संघ ने माननीय मुख्यमंत्री जी के नाम उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सोपा जिसमे हाथरस गैंगरेप व मृत्यु पर खेद दुखद जताते हुए अनुरोध किया है कि हाथरस गैंगरेप व मृत्यु की निष्पक्ष जांच करके पीड़िता मनीषा के अपराधियों को फास्ट ट्रेक अदालत में सुनवाई करा कर जल्द से जल्द फांसी तक पहुंचाने की कृपा करें। जिससे इस तरह के अपराधियों का मनोबल ध्वस्त हो सके। और भविष्य में कोई भी ऐसी दरिन्दगी करने से पहले खोफ खाए। ये एक मनीषा नही मानवता की हत्या है। इस पर जल्द न्याय होना, न्याय हित में होगा संगठन सदैव आपका आभारी रहेगा। उत्तर प्रदेश सयोजक अमित प्रजापति हिंदू रक्षा दल व प्रदेश प्रमुख हिन्दू रक्षा दल व नगर अध्यक्ष उत्तर प्रदेशीय सफाई कर्मचारी संघ श्रवण चंदेल ने बताया कि दिनांक 1 अकटुबर को बहन मनीषा के परिवार से मिलने हिन्दू रक्षा दल टीम के साथ हाथरस कूच करेगा प्रशासन द्वारा किये गए लेट व गलत कार्यवाही के खिलाफ परिवार की आवाज को बुलंद करेंगे। और परिवार को सांत्वना देकर मजबूत कार्यवाही का आश्वाशन देंगे। कोई भी ऐसी घटना हमारे प्रदेश में बर्दाश नही की जाएगी। इस मौके पर जोंटी वाल्मीकि,ललित राणा, सुमित सूद,जिद्दी पर्चा, पारस कांगड़ा,सुमितचंदेल, भारत सिलेलान, मोनू भाई, कपिल सौदाई, गौविन्दा,अनुज भाई , रणपाल वाल्मीकि, रोहित,अमित, आदि सेकड़ो लोग मौजद रहे।


बाबरी विध्वंस केस में 28 वर्ष बाद जीत पर मिठाई बांटकर खुशियां मनाई हुई सत्य की जीत : धर्मेंद्र त्यागी


अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
लोनी। बुधवार को मानव कल्याण चैरिटेबल फाउंडेशन अध्यक्ष और पदाधिकारियों ने वार्ड नंबर 36 में बाबरी विध्वंस केस में 28 साल बाद मिले फैसले का स्वागत करते हुए मिठाई बांटकर खुशियां मनाई। अध्यक्ष धमेन्द्र त्यागी ने कहा बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत का बहुचर्चित फैसला आज आ गया 49आरोपियों में 17 इस दुनिया में नहीं रहे 32 आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया आखिरकार सत्य की जीत हुई इस केस में राजनीति भी बहुत ही लेकिन फैसला आते-आते 28 साल लग गए जो 17 आरोपी इस दुनिया में नहीं रहे उनके लिए पुष्पांजलि अर्पित करते है  और भगवान श्रीराम से उन्हें और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। बाबरी विध्वंस के इस मुकदमे के विशेष जज एस के यादव ने 32 आरोपी लालकृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी उमा भारती महंत नृत्य गोपाल दास पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह साध्वी रितंभरा  जय भगवान गोयल समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया जज एसके यादव ने अपने कार्यकाल का अंतिम फैसला सुनाते हुए कहा अयोध्या विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था घटना के प्रबल साक्ष नहीं है इसलिए इन सभी आरोपियों को बरी किया जाता है इस मौके पर मुख्य रूप से आरडब्ल्यू अध्यक्ष दया चंद गुर्जर नरेन्द्र मास्टर राजकुमार चौहान सतीश त्यागी मुनेश त्यागी मास्टर शिवकुमार वशिष्ठ सुनील त्यागी गौरव त्यागी आदि मौजूद रहे।


बलात्कार करने वाले दरिंदों को जल्द हो फांसी : डॉक्टर मोबिन


अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
ग़ाज़ियाबाद। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 19 वर्षीय बहन मनीषा दरिंदगी की शिकार हुई तथा  दर्दनाक निर्मम हत्या की गई, पहले रेप फिर गर्दन तोड़ी गई और रीढ़ की हड्डी भी तोड़ दी गई एवं एबं जिव्हा को भी काटा गया, भारत की बेटी मनीषा आज जिंदगी की जंग हार गई. 
जुल्म के खिलाफ आज आवाज की जरूरत है, भारत की बेटी न्याय चाहती है।मनीषा ने मरते दम तक बोला कि चारों ने मेरा रेप किया फिर भी पुलिस वालों ने 8 दिन तक एफ आई आर नहीं लिखी और ना ही कोई कार्रवाई की शायद किसी के दबाव में होंगे।और अब सबूत मिटाने के लिए मनीषा के मृत शरीर को घर वालों को बिना बताए जला दिया गया।हाथरस कांड में चारों अपराधियों को सार्वजनिक सरेआम फांसी की सजा दी जानी चाहिए ताकि तभी इस तरीके की  जघन्य निंदनीय अपराध करने की कोई हिम्मत ना करें, साथ-ही साथ  उन पुलिस वालों को भी कड़ी से कड़ी सजा होना चाहिए जो सबूत मिटाने पर लगे हैं। हमारे देश की शान है बेटियां जिन्हें हम देवी के रूप में मानते हैं उन्हें पूजते हैं और आज  हमारे देश की बेटी की जघन्य निर्मम हत्या हुई जो भारत में एक कलंक के रूप में हमेशा के लिए दाग लग गया, जो कभी भुलाया नहीं जा सकता, यह लोकतंत्र की हत्या है।


दुष्कर्म के दोषियों को तुरंत फांसी पर लटकाया जाए: सुशील श्रीवास्तव


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव के नेतृत्व में हाथरस में हुई दलित समाज की बेटी मनीषा वाल्मीकि जी की दुष्कर्म के बाद निर्मम हत्या करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में देश के माननीय प्रधानमंत्री जी के नाम लोनी उपजिलाधिकारी को दिया गया ज्ञापन, प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष ने ज्ञापन देते हुए कहा देश में दलित समाज की बेटी मनीषा वाल्मीकि जी के साथ उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में कुछ राक्षस प्रवृत्ति के मनुष्य द्वारा सामूहिक बलात्कार कर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई, देश व प्रदेश में कानून को अपने हाथ का खिलौना मानने वाले बलात्कारियों के हौसले इसलिए मजबूत है की हमारे देश का कानून इतना लचीला हो गया है की सालों साल उन पर मुकदमे चलाए जाते हैं, इसी बीच में अपराधियों द्वारा पीड़ित परिवार पर दबाव बनाकर ज्यादातर मामलों में कार्रवाई ही बंद करवा दी जाती है, आज तक सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या करने जैसे संगीन मामलों में भी पूरे देश में पांच परसेंट बेटियों को भी न्याय नहीं मिला है, इसीलिए अपराधियों के हौसले बुलंद है, प्रवासी विकास मंच आपसे अनुरोध करता है की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या जैसे निर्मम मामलों में अपराधियों को 1 महीने के अंदर-अंदर फांसी की सजा सुनाई जाए, ताकि किसी भी बहन बेटी की तरफ आंख उठाने से पहले अपराधियों की रूह कांप उठे अपराधियों का पकड़े जाना, और उन्हें जेल भेजा जाना और उन्हें सरकारी मेहमान बना कर सालों साल उन पर मुकदमा चलाया जाना, यह किसी भी इंसाफ को देने से पहले पीड़ित परिवार को सालों साल हजारों यातनाओं को देने के बराबर है, इसीलिए ऐसे संगीन अपराध करने वालों को बिल्कुल भी बक्शा जाना नहीं चाहिए, तुरंत एक महीने में ही इन पर कार्यवाही कर इन्हें फांसी के तख्ते पर लटका देना चाहिए,
साथ ही हमारी माननीय प्रधानमंत्री जी से अनुरोध व अपील है की पीड़ित परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए ताकि उन पर किसी प्रकार का कोई दबाव ना बनाया जा सके और सरकारी सहायता भी उन्हें उपलब्ध कराई जाए सहायता के रूप में सरकारी नौकरी परिवार के किसी एक सदस्य को, एक करोड रुपए मुआवजा के तौर पर धनराशि एवं रहने के लिए एक मकान की भी व्यवस्था कराई जाए



इस मौके पर मौजूद प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव, नगर मंत्री कपिल कुमार, नगर मंत्री रवि श्रीवास्तव, नगर सह मीडिया प्रभारी नीतिश ठाकुर, नगर कार्यकारणी सदस्य आकाश राजपूत, वार्ड अध्यक्ष राजा भैया, वार्ड अध्यक्ष अनिल कुमार, वार्ड अध्यक्ष राकेश कुमार, वार्ड महामंत्री राजू कुमार, विवेक कश्यप, रिंकू दिवाकर, मोनू कश्यप, आदि उपस्थित रहे,


Tuesday, 29 September 2020

“वर्तमान समय में वेद एवं वेदेतर मत-पन्थों की प्रासंगिकता”


महाभारत काल के बाद संसार में अनेक ज्ञानी व अल्पज्ञानी मनुष्य हुए जिन्होंने समय समय पर देश, काल, परिस्थिति एवं अपनी योग्यतानुसार अनेक मतों का प्रचलन किया। समय के साथ उनके द्वारा चलाये गये मत पल्लवित व पोषित होते रहे और आज अनेक अवैदिक मतों का संसार पर प्रभाव व प्रधानता है। महाभारतकाल के बाद का काल मध्य काल कहा जाता है और वर्तमान काल को आधुनिक काल कहते हैं। महाभारत काल से पूर्व काल को वैदिक काल या प्राचीन काल कहते हैं। महाभारत काल व उससे भी कहीं अधिक प्राचीन चार वेद हैं। वेदों की प्राचीनता से संसार के अधिकांश बुद्धिजीवी परिचित हैं। ऋषि दयानन्द द्वारा संसार में वेदों का जो प्रचार किया गया है, उससे संसार वेदों के महत्व से परिचित हुआ। महाभारत आदि वैदिक ग्रन्थों से यह ज्ञात होता है कि महाभारत काल से पहले ऐसा काल रहा है कि जब सारे विश्व में वेदों का प्रचार था और वेद तथा वेदानुकाल शिक्षाओं को ही धर्म मानकर उसका संसार के सभी लोग पालन करते थे। महाभारत युद्ध के बाद वेदों का पठन-पाठन कम होता गया और विश्व की जनसंख्या तेजी से वृद्धि को प्राप्त होती गई। संसार में आवागमन के सुविधाजनक साधन न होने पर भी लोग विश्व के अनेक स्थानों पर आने जाने लगे। भारत भी एक विशाल साम्राज्य न रहकर छोटे छोटे राज्यों में विभक्त हो गया। असंगठित देश व शक्ति का जो परिणाम होता है, वह कालान्तर में भारत में देखने को मिला। वेद की शिक्षाओं का स्थान भारत में अज्ञान व अविद्या के ग्रन्थ 18 पुराणों ने ले लिया। महाभारत के उत्तर काल में रचित इन पुराणों की शिक्षाओं से सत्य सनातन वैदिक धर्म का पतन हुआ। इनके कारण ही वैष्णव, शैव व शाक्त आदि मत अस्तित्व में आये। जिस परिवार व समाज की शासन व अनुशासन व्यवस्था खराब होती है वहां शिक्षा व अध्ययन-अध्यापक, अनुसंधान तथा विद्या की उन्नति की उपयुक्त व्यवस्था नहीं रहती। ऐसा ही कुछ हमारे देश में व्यापक रूप से हुआ। 
कालान्तर में वेद के पण्डितों के आलस्य व प्रमाद के कारण वेद विलुप्ति को प्राप्त हो गये और धर्म का स्थान वेद की शिक्षाओं के स्थान पर पुराणों की शिक्षाओं ने लिया। अविद्या के ऐसे ही समय में एकेश्वरवाद के स्थान पर अवतारवाद व बहुदेवतावाद के सिद्धान्त तथा मूर्तिपूजा, मृतक श्राद्ध तथा फलित ज्योतिष आदि के व्यवहार प्रचलित हुए। लोग जड़ देवताओं को भी चेतन देवता मानने लगे और आज भी यह अविद्या हिन्दू समाज में व्याप्त है। वायु, जल व अग्नि आदि जड़ देवता हैं परन्तु इनकी भी ईश्वर मानकर पूजा की जाने लगी। देवता उसे कहते हैं जो दिव्य गुणों से युक्त हों। अग्नि, वायु व जल में दिव्य भौतिक गुण होते हैं। इसी कारण यह पदार्थ देवता कहलाते हैं परन्तु जड़ होने से यह उपासना के योग्य नहीं होते। ईश्वर व देवताओं की पूजा की जो विधि हिन्दू मतों में है वह अविवेकपूर्ण लगती है। यह पृथिवी पर खड़े होकर सूर्य को भी जल देते हैं। इन सब लक्षणों को देखकर यही कहा जा सकता है पौराणिक मत के प्रभाव से समाज में विवेक बुद्धि नष्ट हो गई और इस अविद्या के कारण हिन्दू समाज बिखरने के साथ नष्ट भ्रष्ट होता रहा। 
उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में देश में ऋषि दयानन्द जी का आविर्भाव हुआ। वह सत्य व सच्चे ईश्वर की खोज सहित आत्मा के सत्यस्वरूप को जानने के लिए अपने घर को छोड़कर निकले थे। इसके बाद वह अनेक योगियों व ज्ञानियों के सम्पर्क में आये और एक अच्छे योगी व ज्ञानी बने। वह विभिन्न ग्रन्थों के अध्ययन तथा योगदर्शन के अनुसार योगाभ्यास से ईश्वर का साक्षात्कार करके भी सन्तुष्ट नहीं हुए। सन् 1857 में देश में राजनीतिक उथल पुथल हो रही थी। तब भी स्वामी दयानन्द एक उच्च कोटि के विद्या गुरू की खोज कर रहे थे। उन्हें अपने एक गुरु से मथुरा के प्रज्ञाचक्षु दण्डी स्वामी विरजानन्द सरस्वती जी का पता मिला। स्वामी दयानन्द उनके पास पहुंच जाते हैं। तीन वर्ष तक उनके सान्निध्य में रहकर अध्ययन करते हैं और वेद वेदांगों का ज्ञान प्राप्त करते हैं। उन्हें सत्य व असत्य ग्रन्थों की कसौटी भी अपने गुरु से प्राप्त होती है। उन्होंने जाना कि जिन धर्म ग्रन्थों में ऋषियों की आलोचना व निन्दा है वह अनार्ष कोटि के ग्रन्थ हैं। उन ग्रन्थों का त्याग कर देना चाहिये और जिन ग्रन्थों में प्राचीन ऋषियों की प्रशंसा व उनके ज्ञान व विचारों की चर्चा है उनका अध्ययन तर्क व विवेक बुद्धि से करना चाहिये। ऋषि व आप्त पुरुषों के सद्ग्रन्थों की परीक्षा करके उनके वेदानुकूल, तर्क व युक्तियों के अनुकूल होने पर ही उन्हें स्वीकार करना उचित होता है। 
अपने गुरु की प्रेरणा से स्वामी दयानन्द जी न, ईश्वर से सृष्टि के आरम्भ में प्राप्त वेद ज्ञान का प्रचार व प्रसार किया। उन्होंने वेद विरुद्ध सभी मतों की आलोचना व समीक्षा कर वेद की शिक्षाओं को सबके लिए ग्राह्य और मत-मतान्तरों की शिक्षाओं को हानिकारक, अनुपयोगी एवं मनुष्य की सांसारिक एवं पारलौकिक उन्नति में बाधक बताया। उन्होंने अपने ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश में इसके पक्ष में प्रचुर तर्क व प्रमाण भी दिये हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि सभी मतों में हलचल हुई। सभी ऋषि दयानन्द जी के विरोधी व शत्रु बन गये। सत्य को ग्रहण करने व असत्य को छोड़ने का साहस अपवाद स्वरूप ही किसी में होता है। स्वामी जी द्वारा वेदों का प्रकाश करने पर भी देशवासी अपने-अपने  हित-अहित को ध्यान में रखकर अपने मत में ही बने रहे। उन्होंने सत्य मत के ग्रन्थ वेदों को स्वीकार नहीं किया। आज भी यही स्थिति है। ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना कर उसको दस स्वर्णिम दिये जिनमें से चैथा नियम है कि सत्य के ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिये। आज यदि सभी मतों पर दृष्टि डाली जाये तो सत्य मान्यताओं से युक्त धर्म व मत की इच्छा रखने व उसे स्वीकार करने वाले ढूंढने पर भी नहीं मिलते। जिस मनुष्य का जहां हित सिद्ध होता होता है, जहां प्रलोभन हों तथा अतिश्योक्तिपूर्ण बातें हों, वहीं सब वेदविद्या हीन लोग जाते हुए दीखते हैं। वर्षों की गुलामी व अविद्या के संस्कारों के कारण मनुष्यों की बुद्धि ऐसी जड़ हो गई है कि वह अपनी बुद्धि से सत्य व असत्य का निर्णय नहीं कर पाते। इस विषय को वह अपने अपने अविद्या से ग्रस्त आचार्यों व धर्म गुरुओं पर छोड़ देते हैं। मत-मतान्तरों के आचार्य अपने चेलों का भावनात्मक व आर्थिक दोहन करते हैं। ऐसे कई धर्म गुरू विगत कुछ समय में कानून की पकड़ में भी आये हैं। लोग यह भूल बैठे हैं कि संसार में ईश्वर केवल और केवल एक है और उसके गुणों व शिक्षाओं का धारण व पालन ही मनुष्यों का धर्म व कर्तव्य है और वह सब मनुष्यों के लिए एक है। 
आजकल धर्म व मत के नाम से जो संगठन व संस्थायें चल रहीं हैं वह सब धर्म की परिभाषा सत्याचरण से युक्त नहीं हैं और न ही सत्य को सर्वोपरि महत्व देती हुई दीखती हैं। वस्तुतः धर्म तो सत्य का आचरण करना ही होता है और वह सबके लिए एक ही है। सभी धर्मों व उनकी पुस्तकों पर विचार करते हैं तो वेद के अतिरिक्त सभी एंकागी हैं। इसके अतिरिक्त उनकी अनेक शिक्षायें लिंग समानता पर आधारित न होकर पक्षपातपूर्ण हैं। विज्ञान की कसौटी पर कसने पर भी प्रायः सभी मत ज्ञान व विज्ञान के सिद्धान्तों के विरुद्ध सिद्ध होते हैं। अनेक मतों में काल्पनिक किस्से व कहानियां भी देखने को मिलती हैं। प्रायः सभी मतों में विज्ञान विरोधी बातें पायी जाती हैं। केवल वेद ही एकमात्र ऐसा ग्रन्थ है जिसकी सभी शिक्षायें व मान्यतायें मनुष्यों के गुण, कर्म व स्वभाव सहित उनकी योग्यता व पात्रता पर आधारित हैं। समानता व न्याय के सिद्धान्त का पालन भी वेदों की मान्यताओं एवं सभी सिद्धान्तों में होता है। सम्पूर्ण सत्य ज्ञान के आकर ग्रन्थ होने से वेद ही ईश्वरीय ज्ञान सिद्ध होता है। वेद के बाद यदि कोई ग्रन्थ मनुष्यों के लिए सबसे उपयोगी है तो वह सत्यार्थप्रकाश है। उसके बाद उपनिषद, दर्शन, विशुद्ध मनुस्मृति तथा ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका आदि समस्त वेदानुकूल वैदिक साहित्य को रख सकते हैं। अतः वेद व वेदानुकूल सभी ग्रन्थ ही धर्म ग्रन्थ कहला सकते हैं। वेद सब ग्रन्थों व विद्याओं का आदि स्रोत होने के कारण परमधर्म के शीर्ष स्थान पर स्थित है। 
वेदों और मत-मतान्तरों के ग्रन्थों में एक बड़ा अन्तर यह है कि वेदों में ईश्वर, जीवात्मा व प्रकृति (कारण व कार्य) का यथार्थ वर्णन उपलब्ध होता है जबकि वेदेतर ग्रन्थों में अनेक प्रकार के भ्रम, संशय व अनिश्चय की स्थिति बनती है। इसी कारण से वेद वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं। वेदाचरण से मनुष्य धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को प्राप्त होता है। वेदाचरण से मनुष्य अपने इहलोक व परलोक को भी सुधारता हैं। अन्य मत मनुष्य जीवन को सुसंस्कारित बनाने सहित इहलोक को सुधारने का कोई युक्ति संगत ज्ञान नहीं है। परलोक को भी वेदेतर मत प्रायः अपने मत के प्रवर्तक की दया व कृपा पर छोड़ देते हैं या फिर आचार्यों द्वारा अपनी अल्पज्ञता व चातुर्य के कारण कह दिया कि उनके मत पर विश्वास ले आने पर उनके मतानुयायियों के पाप दूर हो जाते हैं जिससे उनकी सदगति व इच्छाओं की पूर्ति होती है। यह सिद्धन्त अविद्या से युक्त है। इसे ज्ञान व तर्क कइी कसौटी पर सिद्ध नहीं किया जा सकता। बहुत से मत व उनके अनुयायी पुनर्जन्म के यथार्थ सिद्धान्त को भी नहीं मानते। उनके मत के लोगों की मृत्यु होने पर उनके मत के लोगों की आत्माओं का क्या होता है? वह स्वर्ग व जन्नत की बातें करते हैं जो कि एक प्रकार से पौराणिक कल्पित स्वर्ग जैसा ही लगता है। इन बातों का न तो कोई शास्त्रीय प्रमाण है और न तर्क या बुद्धिसंगत सिद्धान्त ही। तर्क व बुद्धि को तो लगता है कि मत-मतान्तरों ने तिलांजलि दे रखी है। तर्क व युक्ति पर यदि किसी धर्म या मत के सिद्धान्त सत्य सिद्ध होते हैं तो वह केवल वैदिक धर्म व वैदिक मत ही है। एक दृष्टि सभी मतों की पूजा पद्धतियों पर भी डालनी उचित है। वेैदिक धर्म आत्मा से परमात्मा के गुणों का विचार, चिन्तन, उसकी स्तुति, प्रार्थना व उपासना सहित जप व कृतज्ञता व्यक्त करने को उसकी पूजा व उपासना मानता है जिसमें वेदों व वेदानुकूल ऋषिकृत ग्रन्थों का स्वाध्याय व उनका आचरण भी सम्मिलित है। अन्य मतों में कुछ लिखी हुई प्रार्थनाओं को याद कर उसे दोहरा देते हैं और कुछ शारीरिक आसन आदि करते हैं। ऐसा करके न तो किसी को ईश्वर प्राप्त होता है और न ईश्वर का साक्षात्कार होने की सम्भावना ही लगती है। 
योगदर्शन में अष्टांग योग का उल्लेख है। समाधि अष्टांग योग का अन्तिम अंग है। योगदर्शन में समाधि की प्राप्ति के साधन वर्णित हैं। समाधि वह अवस्था होती है जिसमें मनुष्य की आत्मा को ईश्वर का साक्षात्कार होता है। स्वामी दयानन्द व पूर्व के सभी ऋषियों ने समाधि अवस्था को प्राप्त कर स्वयं को ईश्वर के गुण कर्म व स्वभाव के अनुसार बनाया था व मानवता के उपकार के लिये कार्य किये थे। वेदेतर मतों में जीवन व आचरण की शुद्धि व पवित्रता पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता। उनसे केवल अपने मत की सत्यासत्य मान्यताओं का अनुकरण ही कराया जाता है। आज के आधुनिक युग में मत-मतान्तरों की मान्यताओं का परीक्षा तक नहीं की जाती कि क्या वह समग्र रूप में सत्य भी हैं या नहीं। मनुष्य का स्वभाव है कि वह जिस ध्येय का चिन्तन करता है व जिन लोगों की संगति करता है उसके अनुरूप ही वह बन जाता है। सत्य को जानने व उसका पालन करने के प्रति तीव्र भावना, दृण इच्छा विरले मनुष्यों में ही होती है। जो ऐसा करते हुए सत्यज्ञान व आचरण को प्राप्त होते हैं वही वास्तव में धर्मज्ञ व धर्मपुरूष होते हैं। 
लेख को विराम देने से पूर्व यह कहना है कि किसी भी ऐसे प्राणी की हत्या जो हमारा हितकारी है, अपकारी नहीं है, एक पाप होता है। उसका मांस खाना उससे भी बड़ा पाप है। पशु की हत्या करने वाले, उसके क्रय विक्रय करने वाले, मांस को पकाने वाले, परोसने व खाने वाले यह अधर्म का कार्य करते हैं। मनुस्मृति में यह बात डंके की चोट पर कही गई है। विदेशियों के सम्पर्क में आकर भारत के आर्य व हिन्दू जाति के कुछ लोग मांसाहार करने लगे। यह उनकी बहुत बड़ी अविद्या है। मानवता में विश्वास रखने वाले मनुष्यों को मांसाहार तुरन्त बन्द कर देना चाहिये अन्यथा जन्म जन्मान्तर में इस पाप कर्म रूपी अपराध का दण्ड भोगना पड़ेगा। हो सकता है कि अनेक बार पशु बन कर उन पशुओं के समान पीड़ित होना पड़े जिनका हमने मांस खाया है। धर्म का अर्थ सभी अच्छे व श्रेष्ठ गुणों को धारण करना है। श्रेष्ठ गुणों का धारण व उनका आचरण ही श्रेष्ठ धर्म है। यह वेद ही सिखाते व बताते हैं। अतः वेद वर्तमान समय में भी प्रासंगिक एवं उपयोगी है। अन्य मतों में असत्य मान्यताओं व सिद्धान्तों के होने के कारण भले ही वह प्रचलित रहें, इसके अनेक कारण हैं, परन्तु वह प्रासंगिक नहीं हैं। आने वाले समय में उनका प्रभाव धीरे धीरे समाप्त हो सकता है। ईश्वर जब चाहेंगे तभी ऐसा होना सम्भव है। जीव कर्म करने में स्वतन्त्र और अपने कर्मों के फल भोगने में परतन्त्र है। जो जैसा करेगा वैसा ही भोगेगा। यह वैसा ही है जैसे मनुष्य जो बोता है वही काटता है। संसार के सभी लोग वेदों का अध्ययन करें व ईश्वर प्रदत्त वैदिक धर्म का पालन कर अपने इहलोक व परलोक को सफल बनायें। वेदों का मार्ग मनुष्य को ईश्वर का साक्षात्कार कराता है और अन्य मार्ग उसे आत्मा की मुक्ति व मोक्ष के स्थान पर बन्धनों में फंसा कर जन्म व मरण के दुःखों में बांधते हैं। वैदिक धर्म के समग्र रूप में पालन करने से ही मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह वेद के ऋषियों का सत्य सिद्धान्त है।
-मनमोहन कुमार आर्य


होम्योपैथी से कोरोना से करें बचाव पर गोष्ठी सम्पन्न


धनसिंह—समीक्षा न्यूज


कोरोना से बचाव के लिए स्वच्छ्ता का विशेष ध्यान रखे -डॉ डी सी प्रजापति,(अध्यक्ष अखिल भारतीय चिकित्सक ऐसो०)
रोगप्रतिरोधक क्षमता के विकास से ही रोगों का अंत सम्भव - राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य


गाज़ियाबाद। मंगलवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में कोरोना से जंग होम्योपैथी के संग विषय पर ऑनलाईन गोष्टी गूगल मीट पर आयोजित की गई।यह कोरोना काल परिषद का 96वां वेबिनार था।
मुख्य वक्ता डॉ डी सी प्रजापति, (अध्यक्ष अखिल भारतीय चिकित्सक ऐसो०) ने कहा कि कोरोना वायरस से बचने के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।साथ ही संक्रमण से बचने के लिए होम्योपैथी की आर्सेनिकम एल्बम 30 दवा प्रातः काल लेने की सलाह दी।होम्योपैथिक का सिद्धांत कहता है कि यदि अत्यधिक पानी के साथ खाने की कोई चीज़ इंसान के पेट में पहुंचती है तो उसकी "मेमोरी" शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रक्रिया को शुरु कर सकती है।आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड को अधिक डाइल्यूट करने पर आर्सेनिकम मिलता है।होम्योपैथी में कई लक्षणों के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल होता है। होम्योपैथी कारगर विधि है जिसमें हर बीमारी का सुगम उपचार उपलब्ध है।उन्होंने निम्बू,गिलोय, तुलसी और रात्रि दूध हल्दी के सेवन का परामर्श दिया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए सभी मेडिकल पद्धति जैसे - आयुर्वेद,एलोपैथी,होम्योपैथी आदि सभी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने पर हीं जोर देते हैं।इसमे योग का भी महत्वपूर्ण योगदान है।नियमित योग ना केवल आपको स्वस्थ रखता है,बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कोरोना वायरस जैसी बीमारियों से लडऩे की शक्ति देता है। संतुलित आहार के साथ नियमित योग से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
सुप्रसिद्ध समाजसेवी राकेश चोपड़ा ने कहा कि आजकल के खानपान और ग़लत जीवन शैली के कारण हमारा रोग प्रतिरोधक तंत्र इतना मजबूत नहीं रहता है की वह रोगो से लड़ सके।जिसके कारण हमारा शरीर शीघ्र ही रोगग्रसित हो जाता है।इसलिए आवश्यक है की हम अपने खानपान व जीवनशैली को अच्छा रखें।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा की परिषद निरंतर स्वास्थ्य, अध्यात्म,मनोरंजन,महापुरुषों की जयंती व पुण्यतिथि व सांस्कृतिक विषयों पर गोष्ठियों का आयोजन कर रही है जो कि सराहनीय है।
प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए कहा कि रात्रि में खिचड़ी,दलिया हल्के भोजन से कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
आर्य नेत्री सुषमा बुद्धिराजा, प्रतिभा सपरा,विमला आहूजा, संध्या पांडेय,देवेन्द्र गुप्ता,रविन्द्र गुप्ता,ईश्वर आर्या आदि ने भजन व गीत सुनाये।
प्रमुख रूप से आनंदप्रकाश आर्य (हापुड़),प्रकाशवीर शास्त्री, यज्ञवीर चौहान,देवेन्द्र गुप्ता (इंदिरापुरम),देवेन्द्र भगत,सुरेन्द्र शास्त्री,संतोष शास्त्री,ओम सपरा, वीरेन्द्र आहूजा,वीना वोहरा आदि उपस्थित थे।
भवदीय,
प्रवीण आर्य,


Monday, 28 September 2020

लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा मनाई की शहीदे आजम भगत सिंह की जयंती


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में महान क्रान्तिकारी, राजनीतिक विचारक, सामाजिक क्रान्ति के प्रखर चिन्तक शहीदे आजम भगत सिंह का जन्म-दिन “किसान, मजदूर सम्मान दिवस” के रूप में मनाया गया, कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के जिला महासचिव वीरेन्द्र यादव एडवोकेट और सभी गणमान्य, राजनैतिक, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर इन्कलाब जिंदाबाद, साम्राज्यवाद का नाश हो तथा मजदूर, किसान एकता जिंदाबाद के उद्घोष के साथ महान क्रान्तिकारी सरदार भगत सिंह का स्मरण किया, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव, संचालन अंशू ठाकुर ने किया। 
   कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए शिक्षाविद, समाजवादी चिन्तक राम दुलार यादव ने कहा कि सरदार भगत सिंह के मन में अंग्रेजों द्वारा वीभत्स जलियांवाला बाग नर संहार ब्रिटिश सरकार के प्रति आक्रोश पैदा कर दिया, उसमे साइमन कमीशन द्वारा लाला लाजपतराय के ऊपर लाठियों से वर्षा तथा उनका शहीद होना भगत सिंह के मानस पर आग में घी का काम, अंग्रेजों से बदला लेने तथा पराधीन भारत को स्वतंत्र कराने का संकल्प पैदा कर गया। सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर बदला ले लिया, 1929 में दिल्ली में बम फेंक कर अंग्रेजों की नींद हराम कर दिया उन्होंने कहा कि हमें असेम्बली में किसी की जान नहीं लेना था बल्कि गूंगी, बहरी सरकार को यह एहसास कराना था कि भारत के नवजवान ब्रिटिश सरकार की चूलें हिलाने में सक्षम हैं।
  23 मार्च 1931 को इन्होने फांसी के फन्दे को हँसते-हँसते चूम लिया, जिससे क्रांति की ज्वाला नवजवानों में प्रज्वलित रहे तथा देश की आजादी की गति मद्धिम न पड़ जाय, भगत सिंह क्रान्तिकारी ही नहीं, प्रखर समाजवादी चिन्तक थे, इतने कम उम्र में इन्होने देश और दुनिया के राजनैतिक, सामाजिक चिंतकों की सैकड़ो पुस्तकों का अध्ययन कर लिया था, वे लेलिन तथा डा0 भीमराव अम्बेदकर के चिंतन से प्रभावित थे, वे किसानों और कामगारों, समाज के वंचित वर्ग के लिए काम करना चाहते थे उनका मानना था कि जब भारत आजाद होगा तो हर भारतीय यह गर्व करेगा की यह मेरा देश है और यहाँ सम्मान पूर्वक जीने व जीविकोपार्जन का हमें अधिकार प्राप्त है लेकिन हम आज भी सरदार भगत सिंह के सपनों का भारत नहीं बना पाये सबसे अधिक आज किसान, मजदूर का शोषण हो रहा है, न किसान को उचित मूल्य मिल पा रहा है, न मजदूर को मजदूरी, स्वतंत्र भारत में किसानों, मजदूरों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है, तालाबंदी में ही हजारो मजदूर मारा गया, तथा किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहा, हम शहीदे आजम भगत सिंह का नाम तो लेते है लेकिन उनके सपनों का भारत बनाने में निष्क्रिय हैं, उनका मानना था शोषण विहीन समाज, समतामूलक समाज से ही भारत में समता, समानता, न्याय, भाईचारा कायम होगा इसलिए उन्होंने कहा कि “शक्तिशाली साम्राज्य ध्वस्त हो जाते हैं लेकिन विचार कभी भी नष्ट नहीं होते”।  कार्यक्रम में राम दुलार यादव, वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, शिवानन्द चौबे, अंशू ठाकुर, नागेन्द्र मौर्य, अशोक शाह, सुरेन्दर यादव, इंजी0 धीरेन्द्र यादव, सुभाष यादव, पप्पू, श्याम बीर, अखिलेश शुक्ला, मुकेश, विजय भारद्वाज, मो0 अशरफ, शौकत, फारुख, विनोद, प्रेम चन्द पटेल, स्वपन मजुमदार, राजीव गर्ग, सुरेश कुमार भारद्वाज, अंकित राय, केदार सिंह, हरिकिशन आदि उपस्थित रहे। 
भवदीय
हरिशंकर यादव                       


देश की प्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के प्लान  एक्शन 2020- 21 के अनुपालन में माननीय जनपद न्यायाधीशध् अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशन में माननीय सचिव मंजू कुमारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के आदेश पर तहसील विधिक सेवा समिति मोदीनगर के क्षेत्राधिकार में ग्राम सुल्तानपुर ब्लॉक मुरादनगर कॉमन सर्विस सेंटर मैं सिटीजन ड्यूटीज अवेयरनेस प्रोग्राम (सीडीएपी) प्रोजेक्ट के तहत 15 से 26 नवम्बर तक हर माह निर्धारित विषय पर डिजिटल ग्रामों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजन किए जाने की कार्य योजना भारत सरकार विधि एवं न्याय मंत्रालय नई दिल्ली के द्वारा प्रस्तावित की गई है। इसके तहत 28 सितंबर को  ब्लॉक मुरादनगर के अंतर्गत डिजिटल ग्राम सुल्तानपुर कॉमन सर्विस सेंटर में सिटीजन ड्यूटीज अवेयरनेस प्रोग्राम सीडीएपी का आयोजन जिसकी अध्यक्षता तहसील मोदीनगर से उपस्थित प्रभारी राजस्व निरीक्षक राकेश शर्मा ने की संचालन शहजाद अली ने किया   इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में तालुका विधिक सेवा समिति मोदीनगर से उपस्थित प्रभारी कानूनगो राकेश शर्मा ने गांव के उपस्थित लोगों को संविधान में प्रदत्त मौलिक कर्तव्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में नागरिकों के 11कर्तव्य बताए गए हैं। भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों संस्थाओं और राष्ट्र ध्वज राष्ट्रगान का आदर करें। स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले कुछ आदर्शों को हृदय में संजोए रखें भारत की प्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करें। प्रत्येक माता-पिता का यह कर्तव्य है कि 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करें ।



इस कार्यक्रम में ग्राम सुल्तानपुर कामन सर्विस सेंटर के बीएलई ने वीडियो के माध्यम से शिविर में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को विधिक साक्षरता शिविर की जानकारी उपलब्ध कराई का शिविर में उपस्थित   बैरिस्टर गिरी परामर्शदाता अमूल्य वित्तीय साक्षरता केंद्रनेट बैंक की विभिन्न जमा एवं कृषि ऋण योजनाओं तथा भारत सरकार के सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के विषय में जानकारी उपलब्ध कराई   शिविर में उपस्थित अभिषेक कुमार जिला समन्वयक अधिकारी कॉमन सर्विस सेंटर गाजियाबाद के द्वारा प्रधानमंत्री डिजिटल साक्षरता अभियान तथा सीएससी पर संचालित आदि योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराई गई तहसील विधिक सेवा समिति मोदीनगर से उपस्थित महेश कुमार यादव नामित अधिवक्ता के द्वारा निशुल्क वकील मतदाता केंद्र लोक अदालत आदि के संबंध में जागरूक किया शिविर में उपस्थित राजेश अग्रवाल एडीओ खंड विकास मुरादनगर के द्वारा स्वयं सहायता समूह योजना की जानकारी उपलब्ध कराई शिविर के इस मौके पर न्याय विभाग भारत सरकार के द्वारा उपलब्ध कराई गई टी शर्ट जिला प्रबंधक गौरव चैधरी, आशुतोष साहू, अभिषेक कुमार ,कॉमन सर्विस सेंटर व मंच पर उपस्थित मंचासीन के कर कमलों द्वारा प्राविधिक स्वयंसेवक प्रीति चैधरी, शहजाद अली, सीएससी संचालक विपिन  को  वितरित की शिविर का समापन ग्राम सुल्तानपुर के बीडीसी मेंबर विपिन  ने धन्यवाद देकर किया शिविर में उपस्थित प्रीति चैधरी एवं आशा कार्यकर्ती वह स्वयं सहायता समूह की महिलाएं उपस्थित रहे।
साभार: राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी


सुनील शर्मा विधायक ने मनाई शहीद भगत सिंह की पुण्यतिथि


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। सुनील शर्मा विधायक साहिबाबाद के कार्यालय पर शहीद भगत सिंह की पुण्यतिथि मनाई गई| सुनील शर्मा विधायक साहिबाबाद ने कहा कि शहीद भगत सिंह के बलिदान को बुलाया नहीं जाएगा उन्होंने हंसते-हंसते इस देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए मैं भारत माता के इस महान सपूत को शत शत नमन करता हूं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। 
इस मौके पर सचिन डागर पार्षद, विनोद शर्मा पार्षद, योगेश चौधरी पूर्व पार्षद, अमित प्रधान, कौशल गोस्वामी, सुभाष यादव, अविनाश शर्मा, कुलदीप गोस्वामी, हरी चंद शर्मा तरुण भारद्वाज आदि मौजूद रहे


संपूर्ण भारतवर्ष भूल नहीं सकता देश की आजादी में सरदार भगत सिंह जी का बलिदान : सुशील श्रीवास्तव


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
नोएडा। प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव जी के नेतृत्व में टोनिक सिटी में स्थित शहीद भगत सिंह जी की मूर्ति की साफ-सफाई एवं पुष्पा अर्पण कर जन्म जयंती मनाई गई, इस मौके पर प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव जी ने कहा भगत सिंह जी का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था, उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। यह एक किसान परिवार था अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह जी ने भारत की आज़ादी के लिये नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी। वर्ष 1922 में चौरी-चौरा हत्‍याकांड के बाद गांधीजी ने जब किसानों का साथ नहीं दिया तब भगत सिंह जी बहुत निराश हुए। उसके बाद उनका अहिंसा से विश्वास कमजोर हो गया और वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सशस्त्र क्रांति ही स्वतंत्रता दिलाने का एक मात्र रास्ता है। उसके बाद वह चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्‍व में गठित हुई गदर दल के हिस्‍सा बन गए। काकोरी काण्ड में राम प्रसाद 'बिस्मिल' सहित 4 क्रान्तिकारियों को फाँसी व 16 अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह जी इतने अधिक उद्विग्न हुए कि पण्डित चन्द्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन से जुड गये और उसे एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करना था। भगत सिंह जी ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसम्बर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अधिकारी जे० पी० सांडर्स को मारा था। इस कार्रवाई में क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद ने उनकी पूरी सहायता की थी। क्रान्तिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह जी ने वर्तमान नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेण्ट्रल एसेम्बली के सभागार संसद भवन में 8 अप्रैल 1929 को अंग्रेज़ सरकार को जगाने के लिये बम और पर्चे फेंके थे। बम फेंकने के बाद वहीं पर दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दी। संपूर्ण भारतवर्ष भूल नहीं सकता देश की आजादी में सरदार भगत सिंह जी का बलिदान इस मौके पर उपस्थित प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव, लोनी नगर मंत्री दिलीप कुमार, नगर मीडिया प्रभारी विक्की शर्मा, लोनी नगर सह मीडिया प्रभारी नितेश ठाकुर, वार्ड अध्यक्ष अमित गुप्ता, रोहित दिवाकर, लक्ष्मण शर्मा, लक्ष्य, सूरज, मोहित श्रीवास्तव, आकाश राजपूत, अभिषेक गहलोत, विशाल, रितिक, निखिल, कुणाल, सत्यम, विवेक, आदि उपस्थित रहे



मुस्लिम सेवा समिति मकनपुर ने किया पौधा रोपण


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। ग्राम मकनपुर बार्ड 57 में मुस्लिम सेवा समिति ने कब्रिस्तानों में साफ सफाई कर पौधा रोपण किया। मुस्लिम सेवा समिति की टीम लगता तार मकनपुर बार्ड 57 में  साफ सफाई कर निरंतर  पौधा रोपण कर रही है।
इस मे मोजूद रहे .हाजी बाबु सचिव MSS. शरीफुद्दी MSS कोसाअध्यक्ष,इस्लाम खान सदस्यMSS .वकील अहमद(बाबा खान)महासचिव MSS व ग्रामवासी आदि लोग मौजूद रहे



चैयरमैन श्रीमती रंजीता धामा ने किया विकास कार्यों का उद्घाटन


प्रमोद मिश्रा—समीक्षा न्यूज
लोनी।  भारतीय जनता पार्टी की लोनी नगरपालिका अध्यक्ष रंजीता धामा व मनोज धामा ने किया विकास कार्यों का नारियल फोड़कर उद्घाटन ।
इस अवसर पर कालोनीवासियों ने रंजीता धामा व मनोज धामा का फूल-माला पहनाकर व पुष्प वर्षा करते हुये भव्य स्वागत किया ।
लोनी नगरपालिका अध्यक्ष ने जानकारी देते हुये बताया कि वार्ड नं 33 जवाहर नगर मे 47 लाख 56 हजार की लागत से मुख्य मार्ग पर आरसीसी के नाले व इंटरलाकिंग का निर्माण कराया जायेगा । 
बरसात के कारण इस मार्ग पर जलभराव की समस्या बढती जा रही थी तथा ये कालोनी को बेहटा नहर मार्ग से जोडने वाला मुख्य मार्ग है जिससे कालोनी के हजारों लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड रहा था इसलिये ही इस मुख्य मार्ग का निर्माण कराया जा रहा है जिससे क्षेत्र के हजारों की संख्या मे आने-जाने वाले कॉलोनी वासियों की एक बडी समस्या का समाधान हो जायेगा । 
रंजीता धामा ने ठेकेदार को जल्द से जल्द मजबूती के साथ काम करने को लेकर निर्देशित किया ताकि भविष्य मे जलभराव की समस्या से कालोनीवासियों को निजात मिल जाये   ।
सैकडों की संख्या मे उपस्थित लोगों ने लोनी नगरपालिका अध्यक्ष रंजीता धामा व पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष मनोज धामा का आभार प्रकट किया। 
इस अवसर पर सभासद बबलू शर्मा, रूपेन्द्र चौधरी, सतपाल शर्मा, मुकेश पाल, अमित तोमर, RWA अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा, राजकुमार चौहान, मेनपाल ठाकुर, राजू सैनी, रानी, सुनीता देवी, शीला देवी सहित सैकड़ों की संख्या मे कालोनीवासी उपस्थित रहे ।



"अमर शहीदों का बलिदान सदा याद रखेगा हिन्दुस्तान": मनोज धामा


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
लोनी। शहीद ए आजम भगत सिंह जी के जन्मोत्सव पर गांव बख्तावरपुर मे हिन्दु समाज संगठन के दूारा एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया । 
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के रूप मे भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष मनोज धामा पँहुचे । 
कार्यक्रम के आयोजकों दूारा मनोज धामा जी का पटका पहनाकर स्वागत किया । 
इस अवसर पर मनोज धामा ने ज्योति प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया तथा शहीद भगत सिंह जी के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित कर याद किया । 
कार्यक्रम मे हरियाणा प्रदेश से आये कलाकारों ने बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति दी तथा उपस्थित लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया । 
शहीद ए आजम भगत सिंह जी के सम्मान मे कलाकारों ने रागनी गायी तथा देशभक्ति से ओत-प्रोत गीतों का गायन किया जिससे उपस्थित लोगों ने भगत सिंह जी के सम्मान मे अपनी जगह से खडे होकर सम्मान किया । 
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पँहुचे मनोज धामा ने अपने विचार रखते हुये कहा कि हम सभी को अपने वीर शहीदों का सम्मान हमेशा करना चाहिए ये वो लोग रहे हैं जिनके कारण हम आजाद भारत मे सांस ले रहे हैं हम और हमारी आने पीढी जीवन मे कभी भी उनके दूारा देश के लिये दिये गये सर्वोच्च बलिदान को भूल नही सकते । मात्र 23 वर्ष की अल्पआयु मे शहीद हुये भगत सिंह जी ने देश के लिये हसंते हसंते अपने जीवन का बलिदान दे दिया ये हमारी आज की पीढी को आत्मसात करने की आवश्यकता है । हम सभी को अपने महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा अपने जीवन को एक आदर्श चरित्र के साथ जीना चाहिये । 
मनोज धामा ने कहा कि मुझे कभी -कभी बेहद दुःख होता है कि कुछ छोटी सोच के व्यक्ति महापुरुषों को भी जातिवाद के बंधन मे बांध लेते हैं तथा अपनी जाति विशेष के लोगों की जयंती एवं पुण्यतिथि मनाते हैं लेकिन मेरा मत है कि महापुरुष किसी भी जाति -धर्म-समाज के नही होते ये सर्वसमाज के लिये समान होते हैं तथा सर्वमान्य होते हैं । 
हम सभी को ये जानकारी अपने बच्चों को देनी चाहिए कि महापुरुषों का सम्मान करो क्युकिं ये वो लोग है जिन्होंने देश की आजादी के लिये लडाई लडी तथा कभी किसी जाति समाज के हित के लिये काम नही किया हमेशा देशहित इनके लिये प्रथम रहा तभी ये लोग हमारे आदर्श हैं । 



उपस्थित लोगों ने तालियां बजाकर मनोज धामा जी की बात का समर्थन किया तथा कार्यक्रम के समापन पर मनोज धामा को शहीद भगत सिंह जी का जीवन चरित्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया । 
उपस्थित लोगों के दूारा शहीद भगत सिंह जी के सम्मान मे 
"शहीद भगत सिंह अमर रहे"
" अमर शहीदों का का बलिदान याद करेगा हिन्दुस्तान"
"शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले
देश पर मिटने वालों का यंही बाकी निशां होगा"
आदि जोशीले नारों से आकाश गूंज उठा 
इस अवसर पर कृष्ण दादा,कालीरमन, सुदेश कुमार,एसडीएम आंचल चौहान, अंतरराष्ट्रीय कृष्ण पहलवान, नीटू, 
बबलू खलीफा, दिनेश ढाका,प्रमोद, कौशिक, राहुल हिन्दु, ओमप्रकाश चौहान,मास्टर रमन कुमार,राजेश कालीरमन,सतीश सैनी, महेश खत्री, अमित पंवार,गौरव धामा, प्रवीन मलिक, बिट्टू पहलवान, आशीष चौधरी, हिन्दु समाज संगठन के पदाधिकारीगण व सैकड़ों की संख्या मे कार्यकर्ता उपस्थित रहे ।
साभार—शोभित मलिक


ईश्वर हमारा माता, पिता और आचार्य भी है


ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनादि, अनन्त, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय एवं सृष्टिकर्ता है। वह जीवात्माओं के जन्म-जन्मान्तर के कर्मों के अनुसार न्याय करते हुए उन्हें भिन्न-भिन्न योनियों में जन्म देकर उनको सुख व दुःख रूपी भोग व फल प्रदान करता है। संसार में असंख्य प्राणी योनियां देखने को मिलती है। इन सभी योनियों में मनुष्य योनि ही एक ऐसी योनि है जो उभय योनि कहलाती है। यह कर्म करने की और भोग योनि होने से उभय योनि कहलाती है। मनुष्येतर अन्य सभी योनियां केवल भोग योनियां होती हैं। भोग योनियों में हम अपने पूर्वजन्मों में मनुष्य योनियों में किये हुए पाप कर्मों का फल भोगते हैं और मनुष्य योनि में हमें अपने पूर्वजन्मों के पाप व पुण्य कर्मों का भोग प्राप्त होता है। मनुष्य योनि में पूर्व कर्मों के फलों का भोग करने के साथ हम नये कर्मों को भी करते हैं जिससे हमारी आत्मा सहित शरीर की उन्नति होती है। आत्मा की उन्नति होने पर मनुष्य पुण्य कर्मों को करता है जिससे उसे सुखों की प्राप्ति होती है तथा मृत्यु के बाद अवशिष्ट पुण्य कर्मों के कारण उसे पुनः मनुष्य योनि प्राप्त होती है। परमात्मा अनादि काल से जीवों के लिये प्रत्येक प्रलय काल के बाद सृष्टि को बनाता व उसका पालन करता है। हम सृष्टि काल में जन्म लेकर सृष्टि के पदार्थों का भोग करते हुए अपनी शारीरिक तथा आत्मा की उन्नति के कार्यों सहित ज्ञान प्राप्ति, ईश्वरोपासना, परोपकार व दान आदि कर्मों को करते हैं। 
हम प्रायः विचार ही नहीं करते कि परमात्मा हमारा माता, पिता और आचार्य भी है। परमात्मा के अगणित गुण, कर्म व स्वभाव हैं जिनकी गणना मनुष्य नहीं कर सकते। परमात्मा सब जीवों के माता व पिता सहित आचार्य के कर्तव्यों का निर्वहन भी करता है। माता निर्माता होती है। वह जन्मदात्री व पालनकर्ता भी होती है। वह अपनी सन्तानों को भाषा का ज्ञान कराकर उसे संस्कारों की शिक्षा भी देती है जिससे मनुष्य असुरत्व को त्याग कर देवत्व में दीक्षित होता है। यह सभी कार्य परमात्मा भी सभी जीवों के प्रति सदा से करता आ रहा है। परमात्मा न केवल हमें जन्म देता है अपितु हमारी मृत्यु के समय वही हमारी आत्मा को प्रेरणा कर शरीर से बाहर निकालता है। आत्मा का जो कर्म संचय होता उसे केवल परमात्मा ही जानता है। परमात्मा उस कर्म संचय वा प्रारब्ध के अनुसार जीवात्मा के लिये योग्य माता-पिता का चयन कर उनके द्वारा आत्माओं को जन्म देने के लिये प्रत्येक आत्मा को उसके योग्य पिता व माता के शरीर में प्रविष्ट कराता है। जीवात्मा पहले पिता के शरीर में जाता है, उससे माता में और फिर शिशु का शरीर बनने पर प्रसव द्वारा संसार में आता है जिसे जीवात्मा का जन्म कहते हैं। माता के शरीर में शिशु का शरीर परमात्मा वा उसकी व्यवस्था द्वारा ही बनाया जाता है। शिशु जन्म के बाद भी परमात्मा द्वारा ही उस शिशु की रक्षा व पालन के अनेक उपाय किये जाते हैं। माता तो केवल अपने शिशु को दुग्ध व अन्न खिलाती है परन्तु शरीर में पहुंच कर उस दुग्ध व अन्न से शरीर की वृद्धि, आरोग्यता व बल आदि की प्राप्ति परमात्मा ही कराता है। माता, पिता को जो शरीर मिले हैं व दुग्ध व शारीरिक शक्तियां उनके पास होती हैं, वह सब भी परमात्मा प्रदत्त ही होती हैं। नये बालक बालिकाओं के लिये यह सब व्यवस्थायें परमात्मा द्वारा की गयी होती हैं जिससे परमात्मा माता व पिता दोनों कहलाता है। 
माता-पिता बालक को प्राथमिक शिक्षा, ज्ञान व संस्कार देते हैं। यही कार्य जीवात्माओं के अन्तर्मन व शरीर में परमात्मा भी सर्वान्तर्यामी स्वरूप से करता है। परमात्मा ही शुभ कर्मों का प्रेरक होता है। हमारी आत्मा में सत्कर्मों के प्रति जो प्रेम व उत्साह उत्पन्न होता है तथा अशुभकर्मों के प्रति जो भय, शंका व लज्जा होती है, उसे भी परमात्मा ही उत्पन्न करते हैं। परमात्मा ने ही सब जीवों के लिये पिता द्वारा आवास गृह बनाये जाने की भांति इस सृष्टि व भूमि को बनाया है जो हमें आश्रय का सुख देती है। पृथिवी पर परमात्मा ने हमारे लिए वायु, अग्नि, प्रकाश, जल, अन्न, दुग्ध, फल, ओषधियां आदि नाना प्रकार के पदार्थ बनाकर निःशुल्क प्रदान कर रखे हैं। हम अपनी आवश्यकता के अनुसार पृथिवी में अन्नादि पदार्थों को उत्पन्न कर सकते हैं और इनका सेवन कर सकते हैं व अपने प्रियजनों को भी करा सकते हैं। परमात्मा ने ही हमें माता-पिता की भांति सृष्टि के आरम्भ में चार वेदों का ज्ञान दिया था। चार वेद हैं ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद। यह चार वेद ज्ञान, कर्म, उपासना नामी त्रयी विद्याओं के ग्रन्थ हैं। ऋषि दयानन्द ने चारों वेदों का अध्ययन कर बताया है कि वेद सब सत्य विद्याओं के पुस्तक हैं। वेद का पढ़ना व पढ़ाना तथा सुनना व सुनाना सब मनुष्यों व शुभ लक्षणों से युक्त मनुष्य आर्यों का परमधर्म है। वेदाध्ययन कर वेदों के परमधर्म होने की पुष्टि होती है। वेदों में मनुष्य के कर्तव्यों व अकर्तव्यों का विधान है। कर्तव्य पालन से मनुष्य उन्नति होती है तथा अकर्तव्यों का सेवन करने से मनुष्य निन्दित होता है। 
सभी आचार्य अपने शिष्यों को ज्ञान देकर उनके जीवन का कल्याण करते हैं। वस्तुतः मनुष्य ज्ञान व संस्कारों को प्राप्त होकर ही सच्चा व अच्छा ज्ञानी वा विद्वान मनुष्य बनता है। यह कार्य सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा ने चार ऋषियों को वेदों का ज्ञान देकर किया था। फिर उन ऋषियों ने ईश्वर की प्रेरणा से ही वेदज्ञान को अन्य मनुष्यों में प्रचारित व प्रसारित किया। आज भी यह ज्ञान हमें परम्परा से प्राप्त है। हमारे सभी आचार्य व गुरु भी वेद ज्ञान को पढ़कर ही हमें पढ़ाते व शिक्षा देते हैं। वेदों को पढ़ व पढ़ाकर ही मनुष्य आचारवान बनता है। आचार्य का काम अपने शिष्यों को आचारवान बनाना ही होता है। यह काम परमात्मा व आचार्य दोनों मिलकर करते हैं। सृष्टि में वेद ज्ञान देने व आदि ऋषियों का आचार्य होने के कारण परमात्मा सब मनुष्यों व प्राणियों का आचार्य भी है। मनुष्येतर पशु पक्षी योनियों में सबको परमात्मा ने ही स्वाभाविक ज्ञान दिया है। उसी के दिये ज्ञान से सभी पशु व पक्षी अपने अपने व्यवहार करते हैं। इस दृष्टि से भी परमात्मा ही मनुष्यों व सभी प्राणियों का आचार्य भी सिद्ध होता है। 
परमात्मा सब मनुष्यों सहित पशु पक्षियों आदि प्राणियों का भी माता, पिता व आचार्य है। इससे सम्बन्धित चर्चा हमने इस लेख में की है। हम आशा करते हैं कि पाठक इस लेख को पसन्द करेंगे। 
-मनमोहन कुमार आर्य


113 वें जन्मदिन पर शहीद भगत सिंह को दी श्रद्धांजलि


शहीद भगत सिंह युवा शक्ति के आदर्श रहेंगे- राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। सोमवार केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में अमर शहीद भगत सिंह के 113वें जन्मदिन पर ऑनलाईन गूगल मीट पर प्रेरणा सभा का आयोजन किया गया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि शहीद भगत सिंह के बलिदान ने देश की आजादी की लड़ाई में लोगों में नई ऊर्जा का संचार किया।उनका जन्म 28 सितम्बर 1907 को पाकिस्तान के ग्राम बंगा जिला लायलपुर में हुआ था।उनका नाम ही युवाओं के लिये आदर्श बन गया।अब लोगों को लगने लगा कि आजादी शांति पूर्वक धरनों से नहीं आएगी सशस्त्र संघर्ष करना ही होगा। 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के बाल मन पर गहरा प्रभाव डाला।भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसम्बर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अधिकारी जे० पी० सांडर्स को मारा था।इस कार्यवाही में क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद ने उनकी पूरी सहायता की थी।क्रान्तिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह ने वर्तमान नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेण्ट्रल एसेम्बली के सभागार संसद भवन में 8 अप्रैल 1929 को अंग्रेज़ सरकार को जगाने के लिये बम और पर्चे फेंके थे।बम फेंकने के बाद वहीं पर दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दी।
आर्य नेता नरेंद्र आर्य सुमन ने कहा कि भगतसिंह का परिवार आर्य समाज की विचारधारा से जुड़ा हुआ था और महर्षि दयानन्द से प्रेरणा लेकर देश की आजादी की लड़ाई में कूद पड़ा।उन्होंने देशभक्ति गीत सुनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
बीजेपी नेता प्रोमिला घई ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि शहीद राजगुरु,सुखदेव व भगत सिंह का नाम सदा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा।
प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि क्रांतिकारी आंदोलन युवाओं का प्रिय आंदोलन बन चुका था अंग्रेजों को भारत छोड़ कर जाना ही था अंग्रेजी हकूमत कोई चरखे तकली से देश छोड़ कर नहीं गए इसके लिए हजारों लोगों ने बलिदान दिया था।
डॉ सुनील रहेजा,वीना वोहरा,उषा मालिक,प्रतिभा सपरा,विमला आहूजा,उषा आहूजा,इंद्रा वत्स, नरेश प्रसाद आदि ने देशभक्ति गीत सुनाये।
आचार्य महेन्द्र भाई,आनंदप्रकाश आर्य,प्रकाशवीर शास्त्री,यज्ञ वीर चौहान,देवेन्द्र गुप्ता,देवेन्द्र भगत, सुरेन्द्र शास्त्री आदि उपस्थित थे।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह व आर्य नेता विश्वनाथ आर्य के निधन पर शोक व्यक्त किया गया।
भवदीय,
प्रवीण आर्य


कार में लगी आग,तीन युवकों ने कूदकर बचाई जान


अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
लोनी। कोतवाली क्षेत्र की रामेश्वर पार्क स्थित दिल्ली रेस्टोरेंट दिल्ली सहारनपुर रोड पर चलती कार में संदिग्ध हालात में आग लग गई। कार सवार तीन युवकों ने कूदकर जान बचाई।सूचना पर पहुंची दमकल कर्मियों ने आग पर पानी डालकर काबू पाया। तीन युवक कार में शाम करीब आठ बजे पुश्ता मार्ग की ओर जा रहे थे। तभी कार में अचानक आग लग गई। युवकों ने किसी तरह कूदकर अपनी जान बचाई। राहगीरों ने घटना की सूचना पुलिस और दमकल विभाग को दी। मौके पर पहुंचे दमकलकर्मियों ने पानी डालकर आग पर काबू पाया। कोतवाली प्रभारी ने बताया कि आग लगने के चलते मार्ग पर जाम की स्थिति बन गई थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने रूट डायवर्ट कर यातायात सुचारू कराया। साथ ही युवकों को उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है।


1500 रुपये के लिए राहगीरों से छीनते थे मोबाइल, गिरफ्तार


अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
लोनी। थाना टोनिका सिटी पुलिस ने चेकिंग के दौरान दो स्नैचर को गिरफ्तार किया है। जिनके कब्जे से 290 ग्राम नशीला पाउडर भी बरामद हुआ है। पुलिस ने दोनो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
थाना टोनिका सिटी प्रभारी ओपी सिंह ने बताया कि रविवार शाम पुलिस टीम ए वन धर्म कांटा आरएमएस की तरफ जाने वाली सड़क पर चेकिंग कर रही थी। तभी पुलिस टीम में दो व्यक्ति पर नज़र पडी तो उनको रोका गया। रोककर उनकी तलाशी ली गयी थी उन दोनों के कब्जे से 290 ग्राम नशीला पाउडर बरामद हुआ है। वही एक उनका एक साथी भागने में कामयाब रहा। अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया सोनू जो भाग गया है। उसके साथ मिलकर मोबाइल छीनने का काम करते हैं सोनू मोटरसाइकिल चलाता है। सोनू हम लोगों को रोजाना 15 सो रुपए के हिसाब से मजदूरी देता है। इन्हे मोबाइलों को सोनू भेजता है। इसके साथ-साथ हम लोग आने जाने वाले लोगों के नशीला पदार्थ भी भेजते हैं। लूटे गए मोबाइल को उन्होंने आने जाने वाले लोगों को बेच दिया था। जो पैसे मिले थे वह खर्च कर दिए है। पुलिस अभियुक्त ने अपनी पहचान आसिफ और जुबेर है। पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।



स्कूल प्रबंधक एसोसिएशन ने समस्याओं को लेकर नगरपालिका अध्यक्ष को दिया ज्ञापन


अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। जिला स्तर पर सेल्फ फाइनेंस प्रोगेसिव स्कूल प्रबंधक एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमेन्द्र शर्मा ने बताया कि गत सप्ताह से चल रही कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया जिला स्तर पर लगभग पूर्ण हो चुकी है। गठन में सर्वसम्मति एवं पारदर्शिता बरती गई है। प्रदेश स्तर पर स्कूल प्रबंधकों के सामने आने वाली मुख्य समस्याओं से निदान के लिए संघर्ष एवं उनके समाधान हेतु विचार विमर्श के लिए जनपद के अधिकांश स्कूल प्रबंधकों की मीटिंग कर सर्वसम्मति से पद वितरित किए गए हैं इसमें ध्यान रखा गया है कि संघर्षशील एवं दृढ़ निश्चय विचारधारा के लोगों को उनकी क्षमता एवं योग्यता के आधार पर सर्वसम्मति से पद वितरित करते हुए गठन किया गया है।उन्होंने सभी के परामर्श पर सहमति से कार्यकारिणी का गठन कर घोषणा कर दी गई है।उन्होंने जानकारी देते हुए बताया की एसोसिएशन के गठन में किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया गया है। गठन के बाद स्कूलों की समस्याओं को लेकर एसोसिएशन ने निदान हेतु प्रयास आरंभ कर दिए हैं। सोमवार को एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल एसोसिएशन अध्यक्ष प्रर्मेंद्र शर्मा के नेतृत्व में फिलहाल स्कूलों पर आ रहे भारी हाउस टैक्स तथा यूजर टैक्स को समाप्त करने की मांग को लेकर लोनी नगर पालिका अध्यक्ष रंजीता धामा से उनके कैंप कार्यालय पर मिला तथा ज्ञापन सौंपा एसोसिएशन अध्यक्ष ने दिए ज्ञापन में मांग की है की हाई कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुसार कोई भी विद्यालय हाउस टैक्स की श्रेणी में नहीं आता उन्होंने कहा कि इस आपदा की स्थिति में जबकि सभी विद्यालय बंद है ऐसी स्थिति में विद्यालय पर टैक्स का बोझ विद्यालय प्रबंधको के लिए अधिक चिंता का विषय है। ऐसी विकट परिस्थिति में विद्यालय प्रबंधक अन्य खर्चों को ही पूरा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे समय में किसी प्रकार टैक्स को भरने की स्थिति में नहीं है। इसको समाप्त करने के लिए नगर पालिका अध्यक्ष से मांग की गई है। रंजीता धामा ने आश्वासन दिया कि नगर पालिका अधिशासी अधिकारी से इस संबंध में बात कर विचार विमर्श किया जाएगा। इसके अलावा प्रतिनिधिमंडल खंड शिक्षा अधिकारी लोनी से भी समस्याओं को लेकर मिले खंड शिक्षा अधिकारी पवन भाटी ने भी हर संभव मदद करने और समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया।इस मौके पर जिलाध्यक्ष प्रमेन्द्र शर्मा ब्लॉक अध्यक्ष जितेंद्र भाटी, जिला सचिव बबलू चौधरी एवम् दीपक त्यागी,आदि कई दर्जन स्कूल प्रबंधक मौजूद रहे।



एटीएम बदलकर खाते से पैसे निकालने वाले चार गिरफ्तार 


अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
लोनी। बॉडर थाना पुलिस ने एटीएम बदलकर पैसे निकलने वाले गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। जिसके कब्ज़े से 19 एटीएम व पिस्टल,चाकू,स्कूटी और चोरी की मोटरसाइकिल बरामद की है। पुलिस ने गिरफ्तार कर आरोपियों को जेल भेज दिया है।
लोनी बॉडर थाना प्रभारी ज्ञानेश्वर बौद्ध ने बताया कि सोमवार  सुबह इंद्रपुरी पुलिस चौकी की टीम दो नम्बर पर चैकिंग कर रही थी। तभी मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि मूवी मैजिक के पास एक्सिस बेक के एटीएम के अंदर कुछ लोग घुसे हुए है। जो लोगो के एटीएम कार्ड को बदलकर पैसे निकाल रहे है। पुलिस ने मौके पर पहुँच चार युवकों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने चारों अभियुक्तों की तलाशी ली तो उनके कब्ज़े से 19 एटीएम कार्ड, पिस्टल 32 बोर,कारतूस, एक चाकू, मोटरसाइकिल व स्कुटी बरामद की गई है। पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने अपनी पहचान सतीश उर्फ काकू पुत्र सूरजमल,खुर्शीद पुत्र नोशाद,मोहम्मद आरिफ पुत्र शमीम,आबिद पुत्र अख्तर बताया है। अभियुक्तों ने बताया कि हम लोग एटीएम पर सीधे साधे लोगो के एटीएम कार्ड बदलकर उनके खाते से धोखे से पैसे निकाल लेते हैं। और एक पिस्टल भी हम लोग रखते हैं। जिससे लोगों को डराकर चैन स्नैचिंग वह चोरी आदि के घटना दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में करते हैं। यह जो हमारे पास मोटरसाइकिल है। यह हमने विजय नगर से चुराई थी। इस काम से हमें जो भी पैसे मिलते हैं वह हम आपस में बांट लेते हैं।गिरफ्तार करने वाली टीम उपनिरीक्षक अरुण कुमार,उपनिरीक्षक नरेश कुमार, उपनिरीक्षक अर्जुन सिंह, हेड कांस्टेबल रजिस्टर सिंह,कांस्टेबल रविन्द्र सिंह,कांस्टेबल सत्येंद्र कुमार, रहे।


आबादी के बाहर स्थित कालोनियों में बढ़ाई जाएगा गश्त: क्षेत्राधिकारी अतुल कुमार


अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
लोनी। आने वाले दिनों में लोनी क्षेत्र में आबादी के बाहर स्थित कालोनियों व मार्गो पर पुलिस की गश्त बढ़ाई जाएगी। आबादी के बाहर स्थित घरों व दुकानों में होने वाली वारदातों को ध्यान मे रखते हुए पुलिस ने गश्त बढ़ाने का फैसला  किया है।
क्षेत्रधिकारी अतुल कुमार सोनकर का कहना है कि बीते कुछ महीनों में देखने में आया है कि आपराधिक तत्व नगर में आबादी के बाहरी छोर पर स्थित घरों व दुकानों को अपना निशाना बनाते हैं और वारदात को अंजाम देकर गांवों को जोड़ने वाले रास्तों पर भाग जाते हैं। इसलिए पुलिस बाहरी मार्गों पर गश्त बढ़ाएगी, ताकि इस प्रकार के आपराधियों पर लगाम लगाई जा सके। इसके अलावा नगर में अनेक स्थानों पर असामाजिक तत्व बिना कारण बाइकों व पैदल घूमते रहते हैं इस प्रकार के तत्वों के घूमने पर भी रोक लगाई जाएगी। इस प्रकार बाइकों पर घूमते आवारा युवक ही अक्सर रेकी का काम भी करते हैं। दिन ढलने के बाद यदि इस प्रकार के लोग घूमते हुए पाये गये तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


चोरी की मोटरसाइकिल के साथ दो चोर गिरफ्तार, वाहन बरामद


अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
लोनी:कोतवाली पुलिस ने सोमवार सुबह चैकिंग के दौरान लोनी तिराहा से दो वाहन चोर गिरफ्तार किया है। इनके कब्ज़े से चोरी की दो मोटरसाइकिल बरामद हुई है। पुलिस वाहन चोरो को जेल भेज दिया है।
कोतवाली प्रभारी बिजेंद्र सिंह भड़ाना ने बताया कि सुबह करीब नौ बजे पुलिस टीम लोनी तिराहा पर चेकिग कर रही थी। इस दौरान टीम ने मोटरसाइकिल पर बिना हेलमेट और मास्क लगाए जा रहे दो युवकों को चेकिग के लिए रोका। कागजात मांगे जाने पर वे संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। मोटरसाइकिल की जांच करने पर चोरी की होने का पता चला। पुलिस टीम उन्हें गिरफ्तार कर थाने ले आई। पूछताछ में उन्होंने अपना नाम शाहरुख निवासी पूजा कॉलोनी और अरशद निवासी जमालपुरा राशिद अली गेट बताए। उन्होंने दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र से मोटरसाइकिल चुराया जाना स्वीकार किया। पुलिस ने इनकी निशानदेही पर चोरी कर छिपा कर रखी एक अन्य मोटरसाइकिल बरामद की है।


Sunday, 27 September 2020

हेमलता शिशौदिया ने बेटियों के साथ वृक्षारोपण करके बनाया बेटी दिवस


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
दादरी। " बेटियों के साथ वृक्षारोपण करके बनाया बेटी दिवस " गौतमबुद्ध नगर विद्या नगर स्थित सैंट हुड कान्वेंट स्कूल दादरी में कार्यरत समाज सेविका और शिक्षिका हेमलता शिशौदिया ने आज बेटी दिवस के अवसर पर बच्चियों के साथ मिलकर वृक्षारोपण कार्यक्रम किया और उन बेटियों को उन वृक्षों की देख- रेख का कार्यभार सौंपा । इस अवसर पर जय भारत मंच के जिलाध्यक्ष डॉ आशा शर्मा ने भी बच्चियों के साथ मिलकर पौधारोपण किया । इस अवसर पर उत्तर प्रदेश स्काउट एंड गाइड गौतमबुद्ध नगर जिले की गाइड कैप्टन और जय भारत मंच मेरठ मंडल महामंत्री महिला मोर्चा उ०प्र० हेमलता शिशौदिया ने बेटी दिवस पर बच्चियों की सुरक्षा का संकल्प लिया।
साभार—राकेश चौहान


राष्ट्र के लिए समर्पित है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रत्येक कार्यकर्ता  : सुशील श्रीवास्तव


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। प्रवासी विकास मंच द्वारा  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गुरु दक्षिणा का कार्यक्रम गोल्डी पब्लिक स्कूल, नहर रोड, संगम विहार में करवाया गया, इस कार्यक्रम में प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष  सुशील श्रीवास्तव ने कहा की राष्ट्र के लिए समर्पित है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रत्येक कार्यकर्ता यह कार्यक्रम एक वर्ष मे एक बार आने वाला राष्ट्र सेवा मे एक यज्ञ आहुति के समान है, प्रवासी विकास मंच के सभी कार्यकर्ताओं ने राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए गुरु वंदना की। कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अधिकारी एवं प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव, लोनी नगर उपाध्यक्ष व (पूर्व सभासद) प्रमोद गुप्ता, नगर मंत्री कपिल कुमार, नगर मंत्री रवि श्रीवास्तव, नगर मीडिया प्रभारी विक्की शर्मा, और अलग-अलग वार्डो के पदाधिकारी जिसमें :- वार्ड नं.7, वार्ड नं.15, वार्ड नं.28, वार्ड नं.33, वार्ड नं.20, वार्ड नं.42, वार्ड नं.36, वार्ड नं.41, वार्ड नं.5, वार्ड नं.27, वार्ड नं.39, वार्ड नं.37, वार्ड नं.9, वार्ड नं.26, वार्ड नं.19, वार्ड नं.16, वार्ड नं.22 के पदाधिकारी मौजूद रहे, साथ ही कमल प्रकाश जी, पूर्व ग्राम प्रधान पंचायत सदुलाबाद श्री बच्चू प्रधान जी, आशु ठाकुर, राजीव शर्मा, बिजेन्द्र सिंह, मनोज सक्सेना, विपिन शर्मा आदि उपस्थित रहे।



लोनी का सर्वांगीण विकास है एकमात्र लक्ष्य: विधायक नंदकिशोर गुर्जर


प्रमोद मिश्रा
लोनी। विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने रविवार को लगभग 1 कऱोड 57 लाख से अधिक के विकास कार्यों का सकलपुरा, पाबी में गढ़ी जस्सी से गढ़ी शब्लू मार्ग और फारुख नगर-सिरोरा मार्ग का शिलान्यास और उद्घटान कर लोनी की जनता को विकास कार्य की सौगात दी। विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि कॉरोना काल में भी लोनी में विकास की गति नहीं रुकी है इसके लिए मैं प्रदेश के मा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, लोक निर्माण मंत्री केशव प्रसाद मौर्या जी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह जी का आभार व्यक्त करता हूँ।  इस दौरान स्थानीय लोगों ने सड़क निर्माण और शिलान्यास कार्य पर खुशी जताई और विधायक का आभार जताते हुए कहा कि मार्ग निर्माण की काफी समय से मांग थी लेकिन आज इसका निर्माण और शिलान्यास होना हमारे लिए खुशी की बात है। इस दौरान विधायक ने स्थानीय निवासियों की समस्याओं को भी सुना और निस्तारण किया।
"1 कऱोड 57 लाख से अधिक के विकास कार्यों से लोनी के विकास को लगेंगे पंख, लाखों लोगों को पहुंचेगा फायदा"
विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने विकास कार्यों का उद्घाटन  करने के बाद कहा कि आज बहुप्रतीक्षित और लोनी के लाखों लोगों के आवागमन को सुगम बनाने के लिए 1 कऱोड 2 लाख से अधिक की लागत से पाबी में गढ़ी जस्सी से गढ़ी शब्लू मार्ग के नवनिर्माण कार्य का शिलान्यास किया गया है।  फारुख नगर से सिरोरा मार्ग के 3.70 किलोमीटर हिस्से के नवीनीकरण कार्य का शिलान्यास 35 लाख से किया गया।  वहीं 20 लाख की लागत से सकलपुरा मार्ग के सी.सी रोड़ निर्माण कार्य संपन्न होने पर जनता को समर्पित किया गया है। इन मार्गों के निर्माण से क्षेत्र की लाखों जनता का दैनिक आवागमन सुगम होगा तो क्षेत्र के विकास को भी अभूतपूर्व गति मिलेगी।
"कॉरोना काल में भी नहीं रुका लोनी के विकास का पहिया, क्षेत्र का सर्वांगीण विकास है एकमात्र लक्ष्य":
विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि कॉरोना काल के बावजूद आज लोनी के विकास की गति धीमी जरूर हुई है लेकिन प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, लोक निर्माण मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या जी, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह जी के विशेष आशीर्वाद और लगातार विभागों का सामंजस्य बिठाकर प्रयासरत रहने के कारण ठप नहीं हुई है। मौजूदा समय में भी मेरे आग्रह पर लगातार क्षेत्र के विकास के लिए धन आवंटित होना बताता है कि वर्षों से विकास कार्यों में उपेक्षित रखी गई लोनी का विकास आज प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है।



हमारा एकमात्र लक्ष्य है कि हमारी लोनी आने वाले समय में एक आदर्श विधानसभा बनें जिसके लिए हम लगातार प्रयासरत है।आज लोनी की चर्चा पूरे प्रदेश भर में हो रही है क्योंकि हमने शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, सड़क, पानी, कानून व्यवस्था हर क्षेत्र में पिछले 3 सालों में वो कर दिखाया है जो आजतक किसी ने करने की कोशिश नहीं की। उपस्थित लोगों ने दिल्ली सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के नवनिर्माण कार्य शुरू होने पर विधायक का धन्यवाद किया। विधायक ने बताया कि जलनिकासी के लिए लगातार सदन से लेकर लखनऊ-दिल्ली और जल निगम के अधिकारियों के साथ बैठक जारी है और सर्वे का शुरू हो चुका है। बेहटा नहर के पक्कीकरण और सौंदर्यीकरण के लिए 11 कऱोड की डीपीआर शासन को प्रेषित कर दी गई है। जल्द लोनी एनसीआर की सर्वश्रेष्ठ विधानसभा होगी। इस दौरान विधायक ने पीडब्ल्यूडी के एक्सन, अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि विभाग लगातार हमारे द्वारा दिये गए क्षेत्र के विकास कार्यों को तरजीह दे रहे है और पूरे मनोयोग से लोनी के विकास के लिए जुटे हुए है।
वहीं विधायक प्रतिनिधि पण्डित ललित शर्मा ने लोगों को पिछले 3 वर्ष में विभिन्न क्षेत्रों में किये गए विकास कार्यों की विस्तृत जानकारी दी।
इस दौरान पीडब्ल्यूडी विभाग के सहायक अभियंता एसके सारस्वत, अवर अभियंता गुलाब सिंह भाटी-कर्मेन्द्र-नकुल कौशिक और स्थानीय कर्मवीर प्रधान, सुरेंद्र मास्टर, भोपाल सिंह प्रधान, बाबू राम प्रधान, सभासद अनिल, योगेंद्र, श्री प्रताप, राजा, अनिल, सुखबीर, रामदेव मास्टर, एडवोकेट विजय कसाना, चंद्रशेखर प्रधान, विजेंदर गुरु, तेजी, विजयपाल, रजनीश बंसल, वेदराम आदि लोगों ने भाग लिया