Thursday, 31 December 2020

“मनुष्य जीवन व उसके लक्ष्य पर विचार”




  हमारा यह जन्म मनुष्य योनि मे हुआ था और हम अपनी जीवन यात्रा पर आगे बढ़ रहे हैं। हमें पता है कि कालान्तर में हमारी मृत्यु होगी। ऐसा इसलिये कि सृष्टि के आरम्भ से आज तक सृष्टि में यह नियम चल रहा है कि जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु अवश्य ही होती है। गीता में भी यह सिद्धान्त प्रतिपादित है जो कि वेद एवं वैदिक शास्त्रों से भी अनुमोदित है। मनुष्य को जीवन में सुख व दुःख की अनुभूतियां होती है। किसी को कम होती हैं तो किसी को अधिक। दो मनुष्यों के सुख व दुःख में समानता नहीं होती। इसके अनेक कारण होते हैं। हमें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिये। जो देते हैं वह अन्यों की तुलना में अपवादों को छोड़ कर स्वस्थ, सुखी एवं दीर्घायु होते हैं। हम संसार में यह भी देखते हैं कि अधिकांश लोगों को स्वास्थ्य के नियमों का ज्ञान नहीं है। अतः वह स्वास्थ्य के नियमों का पालन करें, ऐसी अपेक्षा उनसे नहीं की जा सकती। जो लोग स्वास्थ्य के नियमों को जानते हैं वह भी अनेक बार अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए स्वास्थ्य के नियमों का उल्लंघन करते हुए देखे जाते हैं। अतः हमें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिये और स्वस्थ जीवन के रहस्य को जानकर उससे जुड़े नियमों का निष्ठापूर्वक पालन करना चाहिये। इससे हम अपने जीवन में होने वाले दुःखों को काफी कम कर सकते हैं तथा सुखों को बढ़ा सकते हैं। 


हमारे दुःखों का कारण आहार, निद्रा, ब्रह्मचर्य पर आधारित भी बताया जाता है और यह ठीक भी है। हमारा आहार पौष्टिक एवं सन्तुलित होने सहित समय पर कम मात्रा में होना चाहिये जिसमें हमें भोजन विषयक सिद्धान्तों का ध्यान रखना चाहिये। हमें उचित मात्रा में निद्रा भी लेनी चाहिये। कम या अधिक निद्रा लेने का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। निद्रा का आदर्श समय रात्रि दस बजे से प्रातः 4.00 बजे तक का है। ब्रह्मचर्य का अर्थ अपनी सभी इन्द्रियों सहित मन को वश में रखना होता है और उसे सार्थक, उपयोगी व हितकर तथा आवश्यक कार्यों में लगाने के साथ इसे नियमित रूप से सद्ग्रन्थों के स्वाध्याय एवं ईश्वर के चिन्तन व ध्यान में भी लगाना चाहिये। यदि हम संयम से रहते हैं और हमारी सभी इन्द्रियां वश में है तथा हम सुख भोग के शास्त्रीय नियमों का पालन करते हैं तो इसका अर्थ है कि हम ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं। हमने जो लिखा है वह ब्रह्मचर्य से सबंधित सामान्य बात व सिद्धान्त है। ब्रह्मचर्य पर अनेक वैदिक विद्वानों यथा डा. सत्यव्रत सिद्धान्तांकार, स्वामी ओमानन्द सरस्वती तथा स्वागी जगदीश्वरानद सरस्वती के ग्रन्थ उपलब्ध हैं। स्वामी दयानन्द के सभी ग्रन्थों में भी ब्रह्मचर्य संबंधी विचार विद्यमान है। वीर्य रक्षा भी ब्रह्मचर्य का एक आवश्यक अंग है। इन सबका अध्ययन कर इस विषय को गहराई से समझा जा सकता है। ऐसा करके हम अपने जीवन को सामान्य मनुष्यों से अधिक स्वस्थ रख सकते हैं। 


हमें जीवन में जो सुख व दुःख मिलते हैं उसका एक कारण हमारे कर्म होते हैं। हमनें कर्मों को हमने इस जन्म में किया होता है और पूर्वजन्मों में भी किया हुआ है। जिन कर्मों का हम फल भोग चुके होते हैं इससे इतर जो बचे हुए शुभ व अशुभ कर्म होते हैं वह भी हमारे सुख व दुःख का कारण होते हैं। पूर्वजन्म के अभुक्त कर्मों को ही प्रारब्ध कहा जाता है। इसी से हमारे इस जन्म वा योनि का निर्धारण जगतपति ईश्वर करते हैं। इस जन्म में बाल्याकाल के बाद हम जो कर्म करते हैं वह भी स्वरूप से पाप व पुण्य या शुभ व अशुभ कर्म कहलाते हैं। इनमें से क्रियमाण कर्मों का फल तो हमें साथ साथ मिल जाता है, कुछ कर्मों का कुछ समय व्यतीत होने पर मिलता है तथा शेष बचे हुए कर्मों के कारण हमारा आगामी जन्म का प्रारब्ध बनता है उससे हमारा पुनर्जन्म व उसकी योनि व जाति निर्धारित होने के साथ आयु व सुख दुःख आदि भोग भी निर्धारित होते हैं। अतः सुखों की वृद्धि व दुःखों से बचने के लिये हमें शुभ व पुण्य कर्म ही करने चाहिये तथा अशुभ व पाप कर्मों का सेवन पूर्णतया बन्द कर देना चाहिये। शुभ व अशुभ कर्मों का ज्ञान हमें वेदादि शास्त्रों सहित ऋषि दयानन्द के सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों से भी होता है। सुख की प्राप्ति में हमारे स्वाध्याय सहित ईश्वरोपासना तथा अग्निहोत्र देवयज्ञ आदि पंचमहायज्ञों एवं परोपकार के कार्यों व सुपात्रों को दान आदि का भी महत्व होता है। ऐसा करके हम परजन्म में अपनी जाति, आयु व भोगों में उन्नति कर उत्तम परिवेश की मनुष्य जाति में जन्म प्राप्त कर सकते हैं और वहां रहते हुए हम वेदादि शास्त्रों के अनुकूल आचरण करते हुए मोक्षमार्ग के पथिक बनकर जन्म जन्मान्तरों में जन्म व मरण से अवकाश अर्थात् अवागमन से मुक्त होकर मोक्षावधि 31 नील 10 खरब 40 अरब वर्षों तक ईश्वर का सान्निध्य प्राप्त कर दुःखों से सर्वथा मुक्त तथा आनन्द से युक्त रह सकते हैं। यही मनुष्य जीवन प्राप्त कर आत्मा का लक्ष्य होता है। यही सबके लिए प्राप्तव्य होता है। हमारे प्राचीन सभी ऋषि, मुनि, योगी, ईश्वरोपासक, विरक्त, यज्ञ करने वाले मोक्ष मार्ग के पथिक ही हुआ करते थे। ऐसा करने से ही वस्तुतः मनुष्य जीवन कल्याण को प्राप्त होता है। इससे न केवल मनुष्य जीवन को लाभ होता है वहीं ऐसा अधिक होने पर समाज में सुख व शान्ति भी आती है। 


हमें संसार को समझने के साथ अपनी आत्मा तथा परमात्मा के स्वरूप व गुण-कर्म-स्वभाव को भी जानना चाहिये और आत्मा की उन्नति में सहायक ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना आदि वैदिक कर्मों को करके सुखों की प्राप्ति करनी चाहिये। हमें यह ज्ञात होना चाहिये कि हमारा आत्मा एक चेतन सत्ता वाला अनादि व नित्य पदार्थ है। यह सूक्ष्म है जिसे हम आंखों से नहीं देख सकते। इसके अस्तित्व का ज्ञान जीवित मनुष्य व अन्य प्राणियों के शरीरों की क्रियाओं को देखकर होता है। आत्मा अविनाशी एवं जन्म-मरण धर्मा है। जन्म का कारण जीवात्मा के पूर्वजन्म के वह अभुक्त कर्म सिद्ध होते हैं जिनका उसे भोग करना होता है। यह सत्य वैदिक सिद्धान्त है कि जीवात्मा को किये अपने सभी शुभ व अशुभ जिन्हें पुण्य व पाप कर्म भी कहते हैं, अवश्य ही भोगने पड़ते हैं। परमात्मा सर्वव्यापक व सर्वान्तर्यामी सत्ता है। वह सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अनादि, अनुत्पन्न, सर्वाधार, जीवों को कर्म फल प्रदाता तथा सृष्टिकर्ता है। परमात्मा भी अनादि तथा नित्य सत्ता है। वह अनादि काल से, जिसका कभी आरम्भ नहीं है, इस विशाल सृष्टि को बनाता तथा इसका पालन करता चला आ रहा है। सृष्टि की अवधि पूर्ण होने पर वही इसकी प्रलय करता है और प्रलय की अवधि पूरी होने पर वही पुनः इस सृष्टि की उत्पत्ति करता है जिससे अनादि व नित्य चेतन जीव अर्थात् आत्मायें अपने अपने कर्मों के अनुसार सुख व दुःख का भोग कर सकें। मनुष्य को किन कर्मों का सेवन करना है, इसका पूरा ज्ञान व विज्ञान परमात्मा ने अपने नित्य ज्ञान चार वेदों में दिया हुआ है। यह वेद ज्ञान सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न चार ऋषि अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को दिया था। चार ऋषियों से लेकर अद्यावधि हुए ऋषियों व वैदिक विद्वानों ने वेदज्ञान की अद्यावधि रक्षा की है। वेदज्ञान का स्वाध्याय कर उसके अनुरूप जीवन व्यतीत करना तथा वेदों की रक्षा करना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है। जो इसके विपरीत आचरण करते हैं वह ईश्वरीय दण्ड के पात्र होते व हो सकते हैं। अतः सबको मर्यादाओं का पालन करते हुए वेदों की रक्षा करनी चाहिये और ईश्वरीय वेदाज्ञाओं का पालन कर अपने जीवन को सफल करना चाहिये। 


मनुष्य जीवन का लक्ष्य जन्म व मरण अर्थात् आवागमन से मुक्त होना होता है। इसका संक्षिप्त वर्णन हम सत्यार्थप्रकाश के नवम समुल्लास से कर रहे हैं। पाठकों को चाहिये कि वह सत्यार्थप्रकाश और इसका नवम समुल्लास अवश्य पढ़े। इससे उन्हें मनुष्य जीवन की उन्नति विषयक अनेक सत्य रहस्यों का ज्ञान होगा। यह ऐसा ज्ञान है जो संसार के अन्य ग्रन्थों में इतनी उत्तमता से प्राप्त नहीं होता। ऋषि दयानन्द मुक्ति वा मोक्ष के विषय में बताते हुए कहते हैं कि मुक्ति किसको कहते है? उत्तर- जिस में छूट जाना हो उसका नाम मुक्ति है। प्रश्न- किससे छूट जाना? उत्तर- जिस से छूटने की इच्छा सब जीव (मनुष्य आदि प्राणी) करते हैं। प्रश्न- किससे छूटने की इच्छा करते हैं? उत्तर- जिससे छूटना चाहते हैं। प्रश्न- किससे छूटना चाहते हैं? दुःख से। प्रश्न- छूट कर किस को प्राप्त होते हैं और कहां रहते हैं? उत्तर- सुख को प्राप्त होते और ब्रह्म (सर्वव्यापक आनन्दस्वरूप ईश्वर) में रहते हैं। प्रश्न- मुक्ति और बन्ध किन-किन बातों से होता है? उत्तर- परमेश्वर की आज्ञा पालने, अधर्म, अविद्या, कुसंग, कुसंस्कार, बुरे व्यसनों से अलग रहने और सत्यभाषण, परोपकार, विद्या, पक्षपातरहित न्याय, धर्म की वृद्धि करने, परमेश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना अर्थात् योगाभ्यास करने, विद्या पढ़ने, पढ़ाने और धर्म से पुरुषार्थ कर ज्ञान की उन्नति करने, सब से उत्तम साधनों को करने और जो कुछ करें वह सब पक्षपातरहित न्यायधर्मानुसार ही करें। इत्यादि साधनों से मुक्ति और इन से विपरीत ईश्वराज्ञाभंग करने आदि काम करने से बन्ध होता है। 


ऋषि दयानन्द ने मोक्ष व मुक्ति पर जो ज्ञानामृत प्रस्तुत किया है उसका एक छोटा अंश ही हमने उपर्युक्त पंक्तियों में प्रस्तुत किया है। इस समुल्लास का सभी जिज्ञासुओं को बार बार अध्ययन करना चाहिये जिससे उनके जीवन का सुधार हो सके और वह कल्याण मार्ग के पथिक बन सकें। हमने मनुष्य जीवन तथा उसके लक्ष्य मोक्ष की संक्षिप्त चर्चा इस लेख में की है। हम आशा करते हैं कि पाठकों के लिए यह लेखयह लाभप्रद होगा। ओ३म् शम्। 

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः09412985121 


रामदुलार यादव ने मनाई लोकबन्धु राजनारायण की 34वीं, पुण्यतिथि





धनसिंह—समीक्षा न्यूज

गाजियाबाद। समग्र क्रान्ति के अग्रदूत, स्वतंत्रता सेनानी, भारतीय राजनीति के धूमकेतु, समाजवादी चिन्तक, संघर्ष के प्रतीक, निर्भीकता की प्रतिमूर्ति लोकबन्धु राजनारायण की 34वीं, पुण्यतिथि “लोकबन्धु राजनारायण स्मृति संस्थान” द्वारा जे ब्लाक सेक्टर-9 विजय नगर, गाजियाबाद के प्रांगण में आयोजित की गयी| गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, “वर्तमान राजनीति के बदलते परिवेश में लोकबन्धु राजनारायण की भूमिका”| अध्यक्षता समाजवादी पार्टी के वरिष्ट नेता, समाजवादी चिन्तक राम दुलार यादव ने, आयोजन लोकतंत्र सेनानी, महासचिव महबूब लारी ने, संचालन जहीर अहमद पत्रकार ने किया| कार्यक्रम को संस्था के अध्यक्ष नाहर सिंह यादव, मुकेश शर्मा, प्रो0 के0 पी0 सिंह, डा0 अखलाक, महेश यादव एडवोकेट ने भी सम्बोधित किया| कार्यक्रम में राजनारायण जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण किया गया| संस्था के महासचिव महबूब लारी ने कार्यक्रम में शामिल सभी महानुभावों का आभार व्यक्त किया| महिला उत्थान संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिन्दू राय ने गीत प्रस्तुत किया| 

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राम दुलार यादव ने कहा कि संपन्न परिवार में पैदा हुए राजनारायण विपन्न, वंचित, शोषित, पीड़ित, उपेक्षितों के नेता निर्भीकता की प्रतिमूर्ति रहे, स्वतंत्रता आन्दोलन में बनारस के रेलवे स्टेशन को आग लगा दिया, ब्रिटिश हुकूमत ने उन पर 5000/=रुपये का इनाम घोषित किया, कि जिन्दा या मुर्दा पकड़ने पर दिया जायेगा| स्वतंत्र भारत में भी यदि कोई नेता देश की जनता के सवालों के समाधान के लिए संघर्ष करता हुआ जेल गया वह नाम राजनारायण ही है, उन्होंने 17 साल जेल में राजनीतिक सन्यासी का जीवन जिया| उनके पास जो भी सहयोगी मित्र धन की व्यवस्था कर जाते वह जरूरतमंद कार्यकर्ताओं और जनता में बाँट देते थे अपने पास नहीं रखते थे, फक्कड़ ही रहते थे, उन्होंने अपने हिस्से की जमीन भूमिहीनों और गरीबों में दान कर दी थी| काशी विश्वनाथ मन्दिर में अनुसूचित जाति के लोगों को मन्दिर में प्रवेश के लिए आन्दोलन चलाया उनका कहना था कि किसी के साथ अन्याय, अत्याचार न हो, शोषण और जातिवाद के घोर विरोधी थे, लेकिन इतिहास लिखने वालों ने उनके साथ न्याय नहीं किया नहीं तो वे विश्व नेताओं में एक उदहारण स्वरुप जाने जाते| उन्होंने शक्तिशाली नेता इन्दिरा गाँधी को कोर्ट में वोट में हरा जनता पार्टी की सरकार बनवाने में अग्रणी भूमिका निभायी लेकिन जनसंघ, घटक और आरएसएस की सरकार में नापाक दखलंदाजी का विरोध कर दोहरी सदस्यता नहीं चलेगी, धूर्तता नहीं चलेगी का विरोध किया, जनता पार्टी को तोड़ दिया, और चौधरी चरण सिंह को प्रधान मंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी उन्होंने सिद्धांतों से समझौता कभी नहीं किया| डा0 लोहिया के वे परम सहयोगी शिष्य थे उन्होंने कहा था कि जब तक राजनारायण जिन्दा हैं, लोकतंत्र को कोई भी ताकत ख़त्म नहीं कर सकती| वह उन्होंने करके दिखा दिया| 

आज राजनीति उन्ही विचारों पर काम कर रही है जिसका लोकबन्धु राजनारायण ने विरोध किया, देश में किसान आत्महत्या कर रहा है तथा नये कृषि कानूनों का जो उसकी मौत का वारंट है वापस लेने के लिए 36 दिन से कड़कती ठंढ में दिल्ली के सारे बार्डरों पर धरनारत है| मजदूरों के अधिकारों को वर्तमान सरकार कुचल रही है, नोटबंदी, जीएसटी, लॉकडाउन ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है, बेरोजगारी बढ़ती जा रही है करोड़ों लोगों को बेरोजगारी का दंश झेलना पड रहा है| गरीबों के सामने दो जून की रोटी का संकट पैदा हो गया आज सच में राजनारायण जी जैसे राजनीतिक योद्धा की जरुरत है| हमें राजनारायण जी के बताये मार्ग पर चलकर लोगों की मदद करनी चाहिए, तथा सांप्रदायिक शक्तियों को हतोत्साहित कर देश में सद्भाव, भाईचारा कायम करते हुए समता, सम्पन्नता के लिए काम करना चाहिए तभी लोकतंत्र में जन-जन की आस्था बनी रहेगी| 

कार्यक्रम में शामिल प्रमुख साथियों ने लोकबन्धु के चित्र पर पुष्प अर्पित किया प्रमुख रहे, राम दुलार यादव, नाहर सिंह यादव, महबूब लारी, मुकेश शर्मा, संजू शर्मा, बिंदु राय, ताहिर अली, रवि चौहान, डा0 अखलाक अहमद, वरिष्ट पत्रकार फरमान अली, आंशू चौधरी, राजीव गुर्जर, सुशील शर्मा, नरेन्द्र चौधरी, वशीम अहमद चौधरी, अतुल सोम, सौरव शर्मा आदि रहे।

सत्संग से आत्म साक्षात्कार" पर गोष्ठी सम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज     

खुद से खुद की मुलाकात कर तभी साक्षात्कार-डॉ. जयेन्द्र आचार्य (नोएडा)

अकेले में स्वयं को जानना भी है आवश्यक-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य 

गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "सत्संग से आत्म साक्षात्कार" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन जूम पर किया गया।

आर्ष गुरुकुल नोएडा के प्राचार्य डॉ जयेन्द्र आचार्य ने "सत्संग से आत्म साक्षात्कार" विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सत्संग का अर्थ है ईश्वर का संग। मनुष्य को सत्संग से अनेक लाभ होते हैं।इससे आत्मा के दुगुर्ण, दुर्व्यसन और दुःख दूर होते हैं। आत्मा का ज्ञान निरन्तर बढ़ता जाता है।ईश्वर के सान्निध्य में रहने से दुःख दूर तो होते ही हैं,आनन्द स्वरूप ईश्वर के सान्निध्य में आनन्द की अनुभूति होती है।मनुष्य जितनी अधिक मात्रा में सत्संग करेगा और उस सत्संग से प्राप्त विवेक को महत्व देगा उतना ही अधिक मात्रा में उसके काम - क्रोध आदि विकार नष्ट होंगे।बाद में सत्संग से जागृत विवेक को महत्व देने से वह विवेक ही तत्वज्ञान में परिवर्तित हो जाता है।फिर दूसरी सत्ता का अभाव होने से विकार रहने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि सत्संग व उपासना दोनों का उद्देश्य व लक्ष्य समान है। दोनों के द्वारा हम ईश्वर व आत्मा की चर्चा व चिन्तन करते हुए ईश्वर से एकाकार होने का प्रयत्न करते हैं।ईश्वर व आत्मा दोनों का पृथक अस्तित्व व सत्ता है।दोनों मिलकर कभी एक नहीं होते परन्तु उपासना से दोनों में समीपता व निकटता स्थापित हो जाती है और जीवात्मा को ईश्वर के आनन्द का अनुभव व आनन्द की प्राप्ति हो जाती है।वैदिक विधि से उपासना करने का नाम ही सत्संग है।इसलिये कि उपासना में ही आत्मा व ईश्वर का मेल होता है।आत्मा को ईश्वर से मिलाने का उपासना के अतिरिक्त अन्य कोई उत्तम साधन नहीं है।कभी कभी अकेले में स्वयं से भी बात कर लेनी चाहिए।

स्वागताध्यक्ष आर्य समाज अशोक विहार,दिल्ली के प्रधान प्रेम सचदेवा ने कहा कि सत्संग से उपासना होती है और उपासना में ही आत्मा व ईश्वर का मेल होता है।आत्मा को ईश्वर से मिलाने का उपासना के अतिरिक्त अन्य कोई उत्तम साधन नहीं है।

गायिका प्रीति आर्या,अनु आर्या, कविता आर्या,किरण सहगल, रविन्द्र गुप्ता,प्रतिभा सपरा आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्य रूप से प्रवीण आर्य (महामंत्री उत्तर प्रदेश), देवेन्द्र गुप्ता,जीवन लाल आर्य,आशा भटनागर,विजय हंस,सतीश शास्त्री,देवेन्द्र भगत,आनन्द प्रकाश आर्य,राजेश मेहंदीरत्ता, सौरभ गुप्ता,शिवम मिश्रा, चन्द्रकान्ता आर्या,उर्मिला आर्या आदि उपस्थित थे।

अखिल भारतीय अमन कमेटी ने कृषि कानून पर बीजेपी सरकार को दिया समर्थन




धनसिंह—समीक्षा न्यूज

गाजियाबाद। बीजेपी जिला गाजियाबाद के जिलाध्यक्ष सतपाल प्रधान ने अखिल भारतीय अमन कमेटी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष डॉ आर के सक्सेना जी और पार्टी के पदाधिकारियों से मुलाकात कर कृषि कानून पर वार्तालाप की। पार्टी के अध्यक्ष सक्सेना जी ने सतपाल जी की बात को समझते हुए कृषि कानून पर मोदी सरकार के लिए अपनी पार्टी का पूर्ण समर्थन दे दिया और अध्यक्ष जी ने कहा की मोदी सरकार देशहित और राष्ट्रहित के लिए कार्य करती है मेरा और मेरी पार्टी के समस्त पदाधिकारीगण का मोदी सरकार के कृषि कानून पर पूरा समर्थन है और साथ ही अध्यक्ष जी ने ये भी कहा अन्य राजनैतिक पार्टिया किसानो को बहला फुसला कर सिर्फ अपना उल्लू सीधा कर रही है सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीती को चमकाने की कोशिश कर रही है तथा किसानो को गुमराह करके देश का माहौल बिगड़ने की कोशिश की जा रही है।  

मोदी सरकार किसानो को पूरा आश्वासन दे रही है की जो कृषि कानून लाया गया है वो सिर्फ किसानो के पक्ष में है ना की किसानो के विरुद्ध है पार्टी के अध्यक्ष ने कहा देशहित और राष्ट्रहित में जो मोदी सरकार कार्य कर रही है और आगे भी करती रहेगी मेरी पार्टी का पूर्ण समर्थन मोदी सरकार के साथ रहेगा।  

इस अवसर पर अखिल भारतीय अमन कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष ओम प्रकाश कनोजिया, प्रदेश मुख्य महासचिव दिपांशु राय, प्रदेश महासचिव राजेंद्र सक्सेना, जिला गाजियाबाद के उपाध्यक्ष उत्तम वर्मा, महासचिव मनीष माथुर, सचिव दीपक कुमार, सहसचिव महिपाल शर्मा, विवेक मौर्य, वरिष्ठ सदस्य मामचंद, मुख्य कानूनी सलाहकार शैलेन्द्र यादव तथा स्थानीय लोग मौजूद रहे।  

Wednesday, 30 December 2020

“नव वर्ष 2021 को भारतीय परम्पराओं के अनुरूप मनाना उचित”



आगामी 1 जनवरी, 2021 को हम नये आंग्ल वर्ष सन् 2021 में प्रवेश कर रहे हैं। इस अवसर पर लोग अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने के लिये इसका उत्सव के रूप में स्वागत करते और एक दूसरे से मिलकर, फेसबुक, व्हटशप, इमेल आदि पर शुभकामनायें सन्देश अपने प्रिय जनों को प्रेषित करते हैं। कार्यालयों में भी इस दिन लोग एक दूसरे से मिलकर ‘हैपी न्यू इयर’ बोलते हैं। आज की परिस्थितियों में विचार करने पर किसी प्रकार की प्रसन्नता के अवसर पर परस्पर शुभकामनायें देने में कोई अनौचित्य नहीं है। सभी के प्रति सद्भाव रखना वैदिक परम्परा है। हम प्रतिदिन सन्ध्या, यज्ञ व शान्तिपाठ आदि करते ही हैं। उसमें भी हमारी समाज व देश का उपकार करने तथा सबका हित व जीवन सफल होने की कामना की भावना निहित होती है। यह बात भी सत्य है कि आर्य हिन्दुओं का अपना संवत्सर व वर्ष पृथक है जो सृष्टि के आदिकाल से ही प्रवृत्त है। बाद में कुछ नई घटनाओं के जुड़ने से हमने सृष्टि संवत् सहित इससे जुड़े विक्रमी संवत्सर को मनाना भी आरम्भ किया है। हिन्दी नव संवत्सर चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन मनाया जाता है। इसे वर्ष का सबसे शुभ एवं महत्वपूर्ण दिन कह सकते हैं। हमारी परम्परा में शुक्ल पक्ष को शुभ माना जाता है और प्रायः सभी शुभ कार्य व विवाह एवं अन्य संस्कारों को शुक्ल पक्ष में करने का ही विधान है। वर्ष 2021 में नये विक्रमी संवत्सर वा वर्ष का आरम्भ 13 अप्रैल, 2021 को होगा। इस दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि तथा संवत् 2078 होगा। इसी दिन सृष्टि संवत् 1,96,08,53,122 आरम्भ होगा। हम 1 जनवरी से आरम्भ अंग्रेजी संवत्सर को मनाये तो हमें इसे भी भारतीय परम्पराओं में ढालकर ही मनाना चाहिये। इससे जो लाभ होता है वह विदेशी तौर तरीके व परम्पराओं से मनाने से नहीं होता। किसी भी पर्व को मनाने में हमारे मन में प्रसन्नता का भाव होना चाहिये और उसको मनाने का तरीका हमारी प्राचीन ज्ञान व तर्कपूर्ण परम्परायें भी होनी चाहियें। उनका त्याग उचित नहीं है। 


नव वर्ष के प्रथम दिन हम इस संसार के रचयिता व पालक ईश्वर का ध्यान करें और उसके उपकारों को स्मरण कर उसको अपने जीवन तथा सभी शुभ कार्यों का समर्पण करें। इससे हमारा मन व आत्मा दृण व बलवान होता है तथा हम ईश्वर के उपकारों को स्मरण कर धन्यवाद करने से उसके प्रति कृतज्ञ होते हैं। इस कारण से हम पर कृतघ्नता का दोष या पाप नहीं लगता। जो लोग ऐसा न कर केवल घर व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की साज सजावट, अच्छे आकर्षक वस्त्र पहनने, अच्छा भोजन करने व पार्टी आदि करने सहित एक दूसरे को शुभकामनायें देते हैं वह अधूरी खुशी मनाते हैं और कुछ महत्वपूर्ण बातों की उपेक्षा कर देते हैं जिनका किया जाना आवश्यक होता है। हमें सभी शुभ अवसरों पर अपने बड़ों से आशीर्वाद प्राप्त करने सहित परमात्मा का भी विधिवत आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिये जिसके लिये उसकी स्तुति, प्रार्थना तथा उपासना करना आवश्यक होता है। उपासना ईश्वर के गुणों व उपकारों का ध्यान, उसकी स्तुति तथा प्रार्थना सहित देवयज्ञ अग्निहोत्र द्वारा वायु की शुद्धि एवं शुभकर्म, परोपकार तथा दूसरे निर्धन व साधनहीन लोगों को धन, भोजन व अन्न आदि का दान करके होती है। अतः नये आंग्ल वर्ष 2021 के प्रथम दिन 1 जनवरी को हमें अन्य कार्यों को करते हुए ईश्वर की सन्ध्या-उपासना सहित पुण्य कर्मों को करने पर भी ध्यान देना चाहिये। हम इस दिन अपने धर्म एवं संस्कृति को गौरव व जीवन्तता देने वाले महापुरुष राम, कृष्ण तथा दयानन्द जी के जीवन चरितों व गुणों का भी स्मरण करें और उनसे ईश्वर भक्ति, देशभक्ति तथा देश के शत्रुओं से देश व समाज को मुक्त कराने की प्रेरणा ग्रहण कर इसका संकल्प लें, तभी हमारा परिवार, समाज, देश, धर्म व संस्कृति सुरक्षित रह सकते हैं और हम व हमारी भावी पीढ़िया सुख व आनन्द से युक्त हो सकते हैं। अतः इस रूप में हमें नये वर्ष का स्वागत करने के साथ इस पर्व को 1 जनवरी तथा आगामी 13 अप्रैल, 2021 को मनाना चाहिये। 


ईश्वर ने सब मनुष्यों को अपने जीवन के सभी निर्णय लेने की स्वतन्त्रता दी है। सभी ऐसा करते भी हैं तथापि समाज के अग्रणीय पुरुष व विद्वान लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए उन्हें अपनी ओर से कुछ सुझाव भी देते हैं जिससे भम्रित बन्धुओं का मार्गदर्शन हो जाये। इस दृष्टि से वर्षान्त 31 दिसम्बर के दिन सायंकाल अपने अपने घरों को स्वच्छ कर उसे सजा कर उसमें प्रकाश आदि के लिए तेल के दिये व विद्युत के बल्ब आदि जला कर घर को सुसज्जित किया जा सकता है। अच्छे पकवान बना कर उनका परिवार सहित उपभोग किया जा सकता है। अपने इष्ट मित्रों को घर में बने पकवान व फल वितरित भी किये जा सकते हैं। निर्धनों व भिखारियों को भोजन व फल सहित वस्त्र भी वितरित किये जा सकते हैं। इस दिन अपनी पसन्द का संगीत भी कुछ देर सुना जा सकता है। दूरदर्शन पर ऐसे कार्यक्रम होने चाहियें जिसमें महापुरुषों के जीवन की प्रेरक घटनायें प्रस्तुत की जायें। इससे हमारा जीवन सुधरता व उन्नति को प्राप्त होता है। जीवन निर्माण में प्रेरणाओं का महत्व होता है। वह प्रेरणायें महापुरुषों के जीवन व शास्त्रों की वर्तमान में प्रासंगिक शिक्षाप्रद बातों का श्रवण व देखने से आंशिक रूप से पूरी होती हैं। हमें इस दिन अभद्र नृत्य व मदिरा पान आदि का व्यवहार कदापि नहीं करना चाहिये। ऐसा करने से हमारा शारीरिक एवं चारित्रिक पतन होता है। जो लोग करते हैं उनको जीवन के उत्तर काल वृद्धावस्था आदि में हानि व दुःख उठाने पड़ते हैं। 


नववर्ष के प्रथम दिन गायत्री मन्त्र की मधुर धुन व शब्दों को भी आंखे बन्द कर सुना जा सकता है और उसके अर्थ पर विचार करते हुए अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने की परमात्मा से प्रार्थना की जा सकती है। नूतन वर्ष के प्रथम दिन हमें प्रातः 4.00 बजे व उसके कुछ समय बाद जल्दी जाग जाना चाहिये। कुछ देर ईश प्रार्थना व उसका ध्यान कर उससे शारीरिक, आत्मिक एवं सामाजिक उन्नति की प्रार्थना करनी चाहिये। अपनी रूचि के धार्मिक सद्ग्रन्थों का पाठ भी करना चाहिये। व्यायाम हमारे जीवन का आवश्यक अंग होना चाहिये और इस दिन तो अवश्य ही करना चाहिये जिससे जीवन में व्यायाम करने का संस्कार बने। हो सके तो इस दिन शाकाहारी जीवन व्यतीत करने सहित मांस व मदिरा छोड़ने का सत्संकल्प भी लेना चाहिये। इससे हमें जीवन भर लाभ होगा। हम अनेक रोगों से बच सकते हैं और दीर्घायु को प्राप्त हो सकते हैं। इससे हमें शारीरिक कष्ट भी कम होंगे और रोगों पर व्यय होने वाला धन भी बच सकता है। नये वर्ष में हमें ईश्वर के सत्यस्वरूप का पाठ कर उससे आत्मा की उन्नति, दुःखों की निवृत्ति तथा सुख व आनन्द की प्राप्ति की प्रार्थना करनी चाहिये। यही सार्वभौम ईश्वर की स्तुति व पूजा है। सबको राग-द्वेष तथा मत-मतान्तर के आग्रह से ऊपर उठकर इस कार्य को करना चाहिये। हमें अपने सभी मित्रों, परिवारजनों, कुटुम्बियों तथा साथ में काम करने वाले सभी बन्धुओं को हृदय से शुभकामनायें देनी चाहिये। नववर्ष के प्रथम दिन को पर्व के रूप में मनाने के लिये अपनी इच्छानुसार इसमें सात्विक परिवर्तन किये जा सकते हैं। यदि हम ऐसा करते हैं तो इससे देश व समाज का हित होगा और हमें भी लाभ होगा। 


आंग्ल वर्ष का 1 जनवरी को आरम्भ किसी खगोलीय व ऋतु परिवर्तन जैसी घटना से जुड़ा हुआ नहीं है। इसके विपरीत वैदिक संवत्सर सृष्टि के आरम्भ के प्रथम दिन तथा वेदोत्पत्ति सहित महाराज युधिष्ठिर और महाराज विक्रमादित्य जी के राज्यारोहण के दिन से जुड़े हुए पर्व हैं। 1 जनवरी को देश के अधिकांश भागों में ठण्ड का प्रकोप रहता है जिससे पर्व मनाने में कठिनाई आती है वहीं वैदिक संवत के प्रथम दिन चैत्र मास में ऋतु अत्यन्त सुहावनी होती है। वसन्त ़ऋतु में नाना प्रकार के पुष्पों के दर्शन होने सहित वनस्पतियां सर्वत्र नये पत्तों को धारण किये हुए होती हैं। मौसम न अधिक ठण्डा और न अधिक गर्म होता है। भोजन के मुख्य अन्न गेहूं की फसल भी तैयार रहती है। किसान व श्रमिक प्रसन्न रहते हैं। ऐसा समय ही वस्तुतः नववर्ष मनाने के लिए आदर्श समय होता है। हमें लगता है कि हमें 1 जनवरी सहित चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भी नववर्ष मनाकर अपने बुद्धि कौशल का परिचय देना चाहिये। यदि हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष को उत्सव के रूप में आयोजित करने में उपेक्षाभाव रखते हैं तो यह उचित नहीं है। इससे हमारा पक्षपात व अज्ञानता प्रकट होता है। 1 जनवरी नववर्ष के रूप में विश्व में प्रचलित एवं मान्य दिवस है। सभी इसको प्रेम, श्रद्धा व उत्साह से मनायें। इस नववर्ष 2021 की हम सब पाठक मित्रों को शुभकामनायें देते हैं। ओ३म् शम्। 

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001/फोनः09412985121 


ग्रामीण महिलाओं एवं युवाओं को स्वरोजगार (स्वावलंबी) हेतु कौशल विकास प्रशिक्षण के प्रमाण पत्रों का वितरण




धनसिंह—समीक्षा न्यूज

दादरी। एनटीपीसी दादरी के सीएसआर के अंतर्गत समीपवर्ती ग्राम मुठियानी की 30 महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के उद्देश्य से सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम के सम्पन्न होने के उपरांत 30 दिसंबर, 2020 को प्रमाण पत्र प्रदान किये गये। 

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि अपर महाप्रबंधक (ईएमजी) श्री पर्वतलाल ने कहा कि सीएसआर के अंतर्गत महिला सशक्तिकरण हेतु स्वरोजगार के लिए महिलाओं को स्वाबलमबन बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है और स्वयं सहायता समूह बनाकर इसका लाभ उठाया जाना चाहिए। ग्राम मुठियानी में 30 महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण प्रमाण पत्र वितरित किए गए।  

समूह महाप्रबंधक (सम्मेलन कक्ष) में एनटीपीसी दादरी के समीपवर्ती 09 ग्रामों के 30 युवाओं को स्वरोजगार, स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से एनटीपीसी दादरी के सीएसआर के अंतर्गत मोबाइल रिपेयरिंग प्रशिक्षण प्रमाण पत्र भी वितरित किये गये। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम यू पी इडंस्ट्रियल लिमिटेड के सहयोग से कराया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाप्रबंधक       (गैस), श्री पी के उपाध्याय ने युवाओं को मोबाइल रिपेयरिंग प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र प्रदान किए। श्री उपाध्याय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए युवाओं को मार्गदर्शन दिया और इस प्रशिक्षण के उद्देश्य बताया।

इसी के साथ अपर महाप्रबंधक (मानव संसाधन) श्री के एस मुर्ति ने एनटीपीसी सीएसआर की गतिविधियों के बारे में बताया और सीएसआर द्वारा ग्राम विकास के लिए एनटीपीसी के योगदान पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर एनटीपीसी दादरी के अपर महाप्रबंधक (गैस) वी के सिंह, वरिष्ठ प्रबन्धक (सीएसआर)  कन्हैया लाल, अधिकारी (सीएसआर)  बीरेन्द्र सिंह, कार्यपालक (सीएसआर) सुश्री पुजा भेले सहित ग्राम प्रधानपति  (मुठियानी) नवल सिंह एवं अन्य ग्रामवासी उपस्थित रहे। कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम में महिलाओं एव युवाओं को खादी मास्क भी वितरित किये गये।

कैसे हो आने वाले वर्ष मेरे यार



टिवंकल टिवंकल लिटिल स्टार

कैसे हो आने वाले वर्ष मेरे यार

बचपन यही लय सुन बड़ा हुआ
बचकाना प्रश्न आज भी है तैयार

पिछली बार आये कोरोना लेकर
अब कौतुक मेरा मेरे प्रश्न हज़ार

क्या स्वागत करूँ कैसे करूँ मैं
कैसे खोलूँ खुशी से अपना द्वार

पिछले बरस रुलाया तुमने बहुत
खोए मैने तुझमे अपने कई यार

मेरे मन को उत्साहित करता तू
हाओ आई वंडर व्हाट यू आर

प्रश्नों की माला लेकर हाथ मे मैं
तेरे आने का कर रहा हुँ इंतजार

ए बीस इक्कीस खुशियां लाना
सच कहता फिर मुझे तू स्वीकार

करना ज्ञान पथ पे तु अग्रसर हमें
गफ़लत से निकाल मुझे इस बार

गफलत से निकाल मुझे

अशोक सपड़ा हमदर्द

साहिबाबाद विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी की बैठक आयोजित



धनसिंह—समीक्षा न्यूज

गाजियाबाद। साहिबाबाद विधानसभा के शहीद नगर में बहुजन समाज पार्टी की मीटिंग हुई जिसमें मुख्य अतिथि देवेंद्र वर्मा विशिष्ट अतिथि विधानसभा प्रभारी मदन सेन मंगलू जाटव एवं महासचिव सतीश सेन पूर्व पार्षद प्रत्याशी बिजेंद्र बौद्ध सेक्टर अध्यक्ष ओम प्रकाश बिट्टू जाटव सैफी जी खान साहब मदन जाटव जी व अन्य कार्यकर्ता उपस्थित हुए मीटिंग में माननीय बहन जी के जन्मदिन मनाने और बहुजन समाज पार्टी को मजबूत करने पर सभी ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।

रंगारंग कार्यक्रम के साथ वर्ल्ड आफ विजडम की वेबसाइट प्रारंभ



धनसिंह—समीक्षा न्यूज

गाजियाबाद। वर्ल्ड ऑफ़ विजडम ने 28 दिसंबर को अपनी दिसंबर माह की मासिक पत्रिका के साथ अपनी वेबसाइट www.worldofwisdom.co.n का उद्घाटन किया। अब ये संस्था एक रजिस्टर्ड संस्था है। जिसके संस्थापक और अध्यक्ष डॉ अजय कुमार है, उपाध्यक्ष  आशीष माथुर, सचिव और कोर्स डायरेक्टर मोनिका कौशल तथा कोषाध्यक्ष सुरिंदर मोहन कौशल है। इस अवसर पर  प्रस्तुत कार्यक्रम में स्वर सागर ग्रुप की कलाकार  अनंया तोमर  ने अपनी सुरीली आवाज़ से सबका मन मोह लिया तथा माधव मल्होत्रा की प्रस्तुति को दर्शको ने खूब सराहा। साथ ही अगर्त्ता वर्मा ने वायलन पर अपना वादन प्रस्तुत किया । सुनीता बेगम और सुनील गोस्वामी ने नये- पुराने गीत सुनाये। इस अवसर पर स्वर सागर ग्रुप के डायरेक्टर गौरव शर्मा और निवेदिता शर्मा शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन महिमा माथुर ने किया।  इस अवसर पर  प्रश्नोत्तरी  और  तम्बोला  का आयोजन भी किया गया जिसे लोगो ने खूब सराहा ।यह ग्रुप रोज़ रात  को आनलाइन फ्री रेकी  हीलिंग करता है तथा 1 जनवरी से यह ग्रुप शाम को भी अपना रेकी और मैडिटेशन का सेशन शुरू करने जा रहा जिसमे 5 दिन फ्री हीलिंग की जाएगी। जो लोग जो इस अवसर का लाभ उठाना चाहते है वह डॉ. अजय कुमार  से उनके मोबाइल नं. 9810747142  पर संंपर्क कर सकते है।

प्रभु मिलन की राह" विषय पर गोष्ठी सम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज   

वेद मार्ग से ही प्रभु मिलन सम्भव-दर्शनाचार्या विमलेश बंसल

निष्काम व निस्वार्थ भक्ति से ही प्रभु से होगा मिलन-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "प्रभु मिलन कि राह" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन जूम पर किया गया। यह कोरोना काल में परिषद का 142वां वेबिनार था ।

वैदिक विदुषी दर्शनाचार्या विमलेश बंसल ने "प्रभु मिलन की राह" विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि प्रभु से मिलना है तो सही मार्ग अपनाना होगा,मार्ग का सही ज्ञान होना आवश्यक है,और ज्ञान का एक मात्र सच्चा रूप वेद है।वेदों की आज्ञा का पालन करके उसका आचरण करके ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है।परमात्मा से मिलने के लिए पहले आत्मा को शुद्ध करना अनिवार्य है मनुष्य सांसारिक व्याधियों से मुक्ति चाहता है तो उसे निष्काम और नि:स्वार्थ भाव से प्रभु का स्मरण करना चाहिए।यदि वास्तविक आनंद चाहते हैं तो भारतीय संस्कृति को अपनाएं और प्रतिदिन प्रभु का स्मरण करें।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि वेदानुकूल शिक्षा का अनुसरण करने से ही जीवन में उन्नति व ईश्वर का सच्चा भक्त बनना सम्भव है।अपनी आत्मा को ज्ञानवान बनाना तथा ईश्वर के उपकारों को स्मरण कर उनके प्रति कृतज्ञता के भाव रखते हुए उसकी उपासना करना कर्तव्य होता है।साथ ही अन्य प्राणियों के प्रति भी हमारे मन में कृतज्ञता के भाव होने चाहियें और उनको सुख पहुंचाने की भावना होनी चाहिये।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आर्य नेत्री विनीता खन्ना  ने कहा कि आज मनुष्य को ईश्वर के सत्यस्वरूप व उपकारों का ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है जिससे वह पाखंड अंधविश्वास से बच सके।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा की वेद परमात्मा की वाणी हैं।वेदों में दी गयी शिक्षाओं का आचरण करना ही ईश्वर की आज्ञा का पालन करना है।

योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि योग में अष्टांग योग के माध्यम से मनुष्य अपने चित्त की वृत्तियों का निरोध कर ईश्वर से मिलन करने का पात्र बन सकता है। 

गायिका दीप्ति सपरा,रविन्द्र गुप्ता,कीर्ति नागिया,आशा आर्या, संगीता आर्या 'गीत',डॉ रचना चावला,ईश्वर देवी (अलवर), जनक अरोड़ा आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्य रूप से आचार्य महेन्द्र भाई, आनन्द प्रकाश आर्य,यशोवीर आर्य,राजेश मेहंदीरत्ता,रविन्द्र उत्साही,अरुण आर्य,चन्द्रकान्ता आर्या,उर्मिला आर्या,वीना वोहरा आदि उपस्थित थे।

सामाजिक संगठन महिला उन्नति संस्था द्वारा साल 2020 के समापन पर समीक्षा बैठक का आयोजन




धनसिंह—समीक्षा न्यूज

नोएडा। सामाजिक संगठन महिला उन्नति संस्था (भारत) द्वारा ग्रेटर नोयडा वेस्ट के थाना इकोटेक थर्ड स्थित आईटीआई परिसर में साल 2020 के समापन पर समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्था ने वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र बच्चन को संस्था का मुख्य संरक्षक मनोनीत किया। नवनियुक्त  संरक्षक जितेंद्र बच्चन ने वर्तमान में महिलाओं और बच्चियों के साथ बढ़ती आपराधिक घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि जिस देश में गाय, प्रकृति, धरती और नदीयों को देवी के रूप में पूजा जाता है वहां शक्ति स्वरूपा नारी पर अत्याचार भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर कालिख बताया उन्होंने कार्यकर्ताओं से नारी सम्मान की अलख जगाने हेतु सर्वप्रथम अपने घर की महिलाओं का सम्मान करने पर जोर दिया। वहीं इंदु गोयल ने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए जब तक उनकी सामाजिक आर्थिक और शैक्षिक स्थिति में सुधार नहीं किया जाता तब तक महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य पूरा नहीं होगा उसके लिए कार्यकर्ताओं को प्रशासन के सहयोग से हरसम्भव प्रयास करने होंगे। बैठक  के अंत में नोयडा निवासी विजय तंवर को संस्था द्वारा 2020 के स्टार कार्यकर्ता के तौर पर शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान संस्था के संस्थापक डा राहुल वर्मा, महासचिव अनिल भाटी, रणवीर चौधरी, सरिता वर्मा, गीता भाटी, नरेश वर्मा, रेनू त्यागी, सोनू यादव, माधुरी, ओमवीर बघेल, ओमदत्त शर्मा, भूपेंद्र चंदीला, रवि कुमार, डा सागर, हंसराज और विकास सक्सेना आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।

भाजपा नेता रवि भाटी ने जन्मदिन के अवसर पर अनाथालय में बांटी खाद्यय सामग्री और वस्​त्र




धनसिंह—समीक्षा न्यूज

गाजियाबाद। भाजपा नेता रवि भाटी ( सदस्य, दूरसंचार सलाहकार समिति, भारत सरकार) के जन्मदिन के अवसर रामनगर साहिबाबाद गाजियाबाद अनाथालय मे जाकर बच्चो को कम्बल, शाल, फल वितरण किये, इस अवसर पर रवि भाटी ने सभी कार्यकर्ताओं को आभार व्यक्त किया एवं कहाँ की प्रारम्भ से ही मुझे अपना जन्मदिन बच्चों के साथ मनाने मे आंनद आता है, जो खुशी, उत्साह इन बच्चों के साथ रहकर मिलता है उसका वर्णन शब्दों मे नहीं किया जा सकता, एक बार पुनः आप सबके स्नेह एवं प्रेम के लिए धन्यवाद एवं आभार.इस मोके पर पार्षद सरदार सिंह भाटी, कालीचरण पहलवान, दीपक ठाकुर, कैलाश यादव,शिवम् चौधरी, सोमनाथ चौहान, मुन्ना सिंह, मोहित, सुदीप शर्मा, साहिल ठाकुर,राहुल, स्वास्तिक भाटी आदि सभी कार्यकर्ताओ ने कम्बल वितरण करके जन्मदिन मनाया एवम शुभकामनायें बधाई दी

सोनू सैनी ने कायम की मानवता की मिसाल बरेली से लापता हुए किशोर को परिजनों से मिलाया



धनसिंह—समीक्षा न्यूज

गाजियाबाद। सिहानीगेट थानाक्षेत्र अंतर्गत मालीवाड़ा के महात्मा ज्योतिबा फुले ब्लाक में रहने वाले सोनू सैनी समाजसेवी ने मंगलवार को मानवता की एक अच्छी मिसाल कायम की है। उन्होंने लापता हुए किशोर को उनके परिजनों से मिलवाया। जो कि कड़कड़ाती सर्दी में भूखा-प्यासा घूम रहा था। 

सोनू सैनी ने बताया कि मंगलवार शाम करीब 5 बजे एक किशोर बसंत रोड स्थित मित्तल हार्डवेयर के पास खड़ा रो रहा था जिसकी बाद उन्होंने उससे बात की तो उसने बताया कि मुझे किसी ने नशीला पदार्थ सुंघा दिया था। जिसके बाद मुझे कुछ पता नहीं रहा और अपने आप को गाजियाबाद में पाया। इसके बाद सोनू सैनी ने किशोर से उसका नाम पता पूछा। नाम मो. शरिक है तथा वह बरेली का रहने वाला है। इसके बाद मोमह्द शरिक के परिजनों से मोबाइल पर बात भी की और उसके बारे में बताया। इसके बाद बड्डा चैकी इंचार्ज बलराम सेंगर को भी इस बात की जानकारी दी। सोनू सैनी ने बताया कि किशोर को मैंने अपने पास रखा हुआ है और उसके परिजनों उसको लेने के लिए निकल चुके हैं। किशोर के परिजन उसके मिलने की बात से काफी खुश हैं..

Tuesday, 29 December 2020

‘हमारे गुरुकुल सुरक्षित रहेंगे तभी हमारा धर्म भी सुरक्षित रहेगाः वेदवसु शास्त्री’



  आर्यसमाज, राजपुर-देहरादून दिनांक 1-1-2016 को स्थापित उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून का सबसे नया आर्यसमाज है। श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी इसके यशस्वी प्रधान हैं। मंत्री श्री ओम्प्रकाश महेन्द्रू जी हैं। प्रत्येक वर्ष इस समाज के वार्षिकोत्सव होते हैं। वर्ष 2019 में भी समाज का वार्षिकोत्सव धूमधाम से सम्पन्न किया गया था। इस वर्ष भी समाज के अधिकारियों ने अपनी पूरी शक्ति से भव्यता के साथ आर्यसमाज का वार्षिक उत्सव सम्पन्न किया। आयोजन में अनेक विद्वान एवं भजनोपदेशकों सहित आर्यसमाज से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों एवं स्थानीय लोगों में उत्सव में भाग लिया। इस आयोजन की एक रिर्पोट हम कल दिनांक 27-12-2020 को प्रस्तुत कर चुके हैं। इस आलेख में हम उत्सव में सम्पन्न अन्य व्याख्यानों एवं भजनों आदि की जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं। हम समाज के उत्सव में प्रातः 9.00 बजे पहुंचे थे। वहां दो कुण्डों में यज्ञ चल रहा था। यज्ञ की ब्रह्मा द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल की आचार्या डा. अन्नपूर्णा जी थी तथा मन्त्रपाठ उनकी ब्रह्मचारिणियों द्वारा किया जा रहा था। आचार्या जी का गुरुकुल आर्यसमाज के निकट ही होने के कारण गुरुकुल की प्रायः सभी कन्यायें उत्सव में पधारी हुईं थीं जिससे उत्सव की शोभा में वृद्धि हुई। यज्ञ विधिवत् पूर्ण श्रद्धा के साथ सम्पन्न हुआ। यज्ञ की सामप्ति के बाद आयोजन में उपस्थित आर्य भजनोपदेशक श्री धर्मसिंह, सहारनपुर तथा ढोलक पर उनको संगति देने वाले आर्यबन्धु श्री नाथीराम जी ने यज्ञ प्रार्थना को बहुत ही भावविभोर होकर प्रस्तुत किया। यजमानों को आशीर्वाद की कार्यवाही भी परम्परागत विधि से सम्पन्न की गई। यज्ञ की समाप्ति पर समाज के प्रधान श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी ने आयोजन विषयक अनेक सूचनायें श्रोताओं को दीं। यज्ञ के बाद ओ३म् ध्वज फहराया गया। इस अवसर पर ध्वज गीत ‘जयति ओ३म् ध्वज व्येाम विहारी’ भी हुआ जिसे कन्या गुरुकुल की छात्राओं के साथ मिलकर सभी आगन्तुकों व धर्मप्रेमियों ने श्रद्धापूर्वक गाया। ध्वजारोहण वयोवृद्ध ऋषिभक्त श्री सुखबीरसिंह वर्मा जी के करकमलों से सम्पन्न हुआ जिसमें आर्यसमाज के प्रधान एवं मंत्री जी आदि ने भी सहयोग किया। उत्सव में स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस भी मनाया गया। इस अवसर पर पहले ऋषि भक्त प्रेम प्रकाश वर्मा ने ओ३म् ध्वज पर अपने विचार प्रस्तुत किये। उनके बाद द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल की आचार्या डा. अन्नपूर्णा जी ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि परम पिता परमात्मा का स्थान सर्वोपरि है, उनकी कोई उपमा नहीं है। परमात्मा का मुख्य नाम ओ३म् है। परमात्मा का वाचक नाम प्रणव भी है। हमें ओ३म् में स्थित होना चाहिये। परमात्मा को आचार्या जी ने नमन किया। उन्होंने कहा कि परमात्मा किसी से भेदभाव नहीं करते। हमें भी किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिये। आचार्या जी ने कहा कि परमात्मा के पास सब जीवों वा मनुष्यों के कर्मों का हिसाब है। हमने अपनी इन भावनाओं के साथ ओ३म् का ध्वज फहराया है। हम सबको मिलकर संसार का कल्याण करना है। इस सम्बोधन के बाद उत्सव में पधारे सभी लोगों ने मिलकर प्रातःराश लिया। 


उत्सव के शेष कार्यक्रमों का आयोजन समाज मन्दिर के बाहर लगाये गये भव्य पण्डाल में हुआ। प्रथम द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल की कन्याओं ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। मंगलाचरण के बाद गुरुकुल की सात कन्याओं ने एक भजन प्रस्तुत किया जिसके बोल थे ‘तेरी दया की चाह की, चाहना हम करें। मेरी कृपा की चाह में प्रार्थना हम करें।।’ कार्यक्रम की अध्यक्षता के लिए 97 वर्षीय ऋषिभक्त श्री सुखबीरसिंह वर्मा जी को चुना गया। इसी के साथ आयोजन में पधारे प्रमुख लोगों का परिचय भी कराया गया और शाल एवं ओ३म् पटके आदि से उनका सम्मान किया गया। आर्य भजनोपदेशक श्री धर्मसिंह जी ने भाव विभोर होकर और श्रद्धा में भरकर अनेक ऋषिभक्ति एवं देशभक्ति के गीत सुनायें जिससे लोग गीतों के भावों में बहते गये। सभी को गीत सुनकर आनन्द का लाभ हुआ। अनेक मित्रों ने उनको धनराशियां भेंट कर अपनी अपनी प्रसन्नता का प्रदर्शन किया। श्री धर्मसिंह जी ने जो पहला भजन प्रस्तुत किया उसके बोल थे ‘थोड़ा सा वह भाग्यहीन है जिसके घर सन्तान नहीं, मगर वह पूरा बदकिस्मत है याद जिसे भगवान नहीं।’ श्री धर्मसिंह जी ने स्वामी श्रद्धानन्द जी पर भी एक भावपूर्ण भजन की प्रस्तुति की। उनके गाये एक भजन के बोल थे ‘एक जंगल में नई बस्ती बसा दी तुन्हे, आग पत्थर में नहीं लगती लगा दी तुन्हें।’ इसके बाद आपने देशभक्ति का एक बहुत ही प्रभावशाली गीत सुनाया जिसे सुनकर श्रोता भावविभोर हो गये और अनेक लोगों ने आपको धनराशियां देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी ने श्री धर्मसिंह जी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने डाकपत्थर के पास के गांवों में धर्मसिंह जी द्वारा प्रचार कर वर्षों पूर्व 6 नये आर्यसमाज स्थापित किये थे। शर्मा जी ने इस अवसर अनेक प्रभावपूर्ण संस्मरण भी सुनाये। उन्होंने कहा कि वह रात्रि 10-11 बजे तक गांवों में प्रचार किया करते थे। उन्होंने भजनोपदेशकों की सहायता से मन्दिरों, स्कूलों तथा ग्राम पंचायत के भवनों आदि में सभायें व सत्संग आयोजित कर प्रचार किया। आज भी वह सभी आर्यसमाज संचालित हो रही हैं। 


श्री धर्मसिंह जी के बाद स्थानीय ऋषिभक्त श्री उम्मेद सिंह विशारद जी के भजन हुए। श्री विशारद ने कहा कि उन्होंने सन् 1982 में उत्तराखण्ड के पर्वतीय नगर पौड़ी में आर्य महासम्मेलन का आयोजन किया था जो अत्यन्त सफल रहा था। उन्होंने अपनी एक स्वरचित कविता की चर्चा की और उसे भजन के रूप में गाकर प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि वेद प्रचार से महत्वपूर्ण कोई कार्य नहीं हो सकता। इस वेदप्रचार के काम को ऋषि दयानन्द ने अपने समय में किया तथा आगे हमें करने का काम सौंपा था। उन्होंने चिन्ता के शब्दों में कहा कि आर्यसमाज का काम आगे नहीं बढ़ रहा है। उनके गाये हुए गीत की प्रथम पंक्ति थी ‘ये वक्त है आखिरी मेरा अब मैं यहां से जाता हूं। वेदों की शमा जलती रहे आर्यों मैं तुमसे यह चाहता हूं।’ इसके बाद स्थानीय आर्य विद्वान पुरोहित पं. वेदवसु शास्त्री का सम्बोधन हुआ। 


अपने सम्बोधन के आरम्भ में आचार्य वेदवसु शास्त्री जी ने कहा कि देश संकट की घड़ी में है। देश का उद्धार आर्यसमाज ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि यदि आर्यसमाज जाग्रत नहीं होगा तो देश की रक्षा करना कठिन हो जायेगा। पं. वेदवसु जी बंगाल की 17 दिन की यात्रा करके लौटे हैं। वहां वह अनेक स्थानों पर गये और वहां की सामाजिक स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने वहां एक आर्यसमाज भी स्थापित किया है। पंडित वेदवसु जी ने देश में उठ रही अराष्ट्रीय शक्तियों की ओर इशारा भी किया। पंडित वेदवसु जी ने कहा कि जिन लोगों ने त्याग व बलिदान देकर देश को आजाद कराया, यदि वह लोग देश की बागडोर संभाल लेते तो आज जैसे स्थिति न होती। पंडित जी ने श्री रवीन्द्र नाथ टैगोर की एक कविता भी सुनाई जो की सूर्य पर थी। इस कविता में महर्षि दयानन्द को सूर्य बताया गया था। पंडित जी ने कहा कि ऋषि दयानन्द वेदों के सूर्य के समान थे। उन्होंने संसार में वेदों का प्रकाश फैलाया है। ऋषि दयानन्द ने देश व समाज से अज्ञान व अन्धकार मिटा कर वैदिक धर्म की स्थापना की। ऋषि दयानन्द ने भारत को गौरवशाली बनाने का अनन्य प्रयास किया। पंडित वेदवसु जी ने ऋषि दयानन्द के शिष्य स्वामी श्रद्धानन्द को अमर हुतात्मा बताया। उन्होंने अन्य आर्य हुतात्माओं पं. लेखराम, महाशय राजपाल आदि के नाम भी लिये। पंडित जी ने कहा कि आर्यसमाज के त्यागी व बलिदानी महापुरुषों के पुरुषार्थ के कारण ही संसार में ओ३म् की पताका फहरा रही है। वेदवसु जी ने श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी के आर्यसमाज के प्रचार कार्यों का उल्लेख किया और उन्हें वेद प्रचार करने व प्रकाश उत्पन्न करने वाला एक दीपक कहा। 


पंडित वेदवसु जी ने दुःख भरे शब्दों में कहा कि आज की आर्यसमाजियों की युवा पीढ़ी आर्यसमाज की परम्पराओं से दूर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि आज हम सबको स्वामी श्रद्धानन्द जी के जीवन से प्रेरणा लेकर काम करने की आवश्यकता है। हमें आर्यसमाज के गुरुकुलों को महत्व देने के साथ उनसे सभी प्रकार से सहयोग करना चाहिये। पंडित जी ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द जी ने वैदिक धर्म की रक्षा पर अपनी दृष्टि केन्द्रित कर कार्य किया था। उन्होंने कहा कि यदि हमारे गुरुकुल सुरक्षित एवं क्रियाशील रहेंगे तभी हमारा समाज व देश सहित हमारी धर्म व संस्कृति भी सुरक्षित रहेगी। पंडित जी ने आर्यों को प्रतिज्ञा करने को कहा कि वह स्वामी श्रद्धानन्द जी के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। स्वामी श्रद्धानन्द जी के जीवन से प्रेरणा लेकर और अपने स्वार्थों का त्याग कर वैदिक धर्म का प्रचार करने की उन्होंने प्रेरणा की। पं. वेदवसु जी ने आर्यसमाज मन्दिर राजपुर के दाता डा. वेदप्रकाश गुप्ता जी को स्मरण किया और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि उन्होंने बंगाल में अपने घर पर आर्यसमाज की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि आर्यसमाज को स्वामी श्रद्धानन्द की स्मृति में देश व धर्म की रक्षा के लिए शुद्धि का चक्र चलाना पड़ेगा। उन्होंने बंगाल में वैदिकधर्म की स्थिति को चिन्ताजनक बताया। उन्होने देश देशान्तर में प्रभावशाली रूप से धर्म प्रचार की प्रेरणा करते हुए अपने सम्बोधन को विराम दिया। 


प्राकृतिक रोग चिकित्सक तथा ऋषि भक्त डा. विनोद कुमार शर्मा जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज सम्पूर्ण मानव जाति अनेकानेक समस्याओं में घिर चुकी है। अन्धविश्वासों में हमें फंसाया जा रहा है। हमारा स्वास्थ्य निराशाजनक स्थिति में पहुंच रहा है। देश व समाज में अधिकांश लोग अस्वस्थ हैं। पूरी मानवजाति संकट में आ चुकी है। प्रश्न है कि बीमारियां समाप्त कैसे हों? हमारी नस्लें बीमारियों से भरी पड़ी हैं। सभी खाद्य पदार्थों में मिलावट की जाती है। डर दिखा कर दवाईयां बेची जा रही हैं। अधिकांश लोग रक्तचाप, मधुमेह, घुटने में दर्द आदि अनेकानेक रोगों की दवायें ले रहे हैं। उन्होंने श्रोताओं से पूछा कि यदि हम आर्यों को दवा खानी पड़ती है तो हमारे जीवन में सन्ध्या व अग्निहोत्र करने का क्या लाभ हुआ? उन्होंने कहा कि इसका अर्थ है कि हम सही प्रकार से सन्ध्या व यज्ञ नहीं करते हैं। हमें अपने आहार पर भी ध्यान देना चाहिये। डा. विनोद कुमार शर्मा जी ने कहा कि ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज के नियम 6 में शरीर रक्षा की प्रेरणा की है। उन्होंने कहा कि आर्यसमाज तथा वैदिक सिद्धान्त पिछड़ते जा रहे हैं। हम लोग वैदिक धर्म का प्रचार बाहर के लोगों में न करके अपने वैदिक धर्मियों में ही करते हैं। ऐसा करना व्यर्थ प्रतीत होता है। प्राकृतिक रोग चिकित्सक शर्मा जी ने अनेक रोगों का उल्लेख किया और कहा कि उनके पास आने वाले गम्भीर रोगों से ग्रस्त रोगी ठीक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने निरोग भारत यूट्यूब चैनल से अरब देश के कुछ स्त्री व पुरुषों का मांस का सेवन छुडव़ाया है। शर्मा जी ने कहा कि हमें भिन्न प्रकार के टीकों व दवाईयों के द्वारा नपुसंक बनाने की साजिशें भी हो रही हैं। इनसे हमें सावधान रहना होगा। इसके लिये उन्होंने बाजारी भोजन करने में सावधानी रखने को कहा। 


प्राकृतिक चिकित्सक डा. विनोदकुमार शर्मा ने कहा कि प्राचीन काल में हमारे पूर्वज प्राकृतिक जीवन व्यतीत करते थे। उनका आहार दुग्ध, फल, अन्न एवं वनस्पतियां होती थीं। वह सब आज से अधिक आयु को प्राप्त करते थे। वनस्पतियों से ही ओषधियां बनाई जाती थी। उसी को आयुर्वेद के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजों के भारत आने के बाद हमारी जीवन शैली में परिवर्तन आया है। उन्होंने हमें साधारण रोगों में अंग्रेजी दवाईयां व गोलियां खिलानी आरम्भ की। उन्होंने कहा कि आज चाइनीज वा विदेशी भोजन अधिक खाये जाते हैं जिससे हमें अनेकानेक रोग उत्पन्न हो रहे हैं। अपने वक्तव्य को विराम देते हुए उन्होंने कहा कि यदि आप स्वयं को व अपने बच्चों को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो प्राकृतिक जीवन शैली से युक्त जीवन व्यतीत कीजिए। 


कार्यक्रम में शास्त्रीय गायन प्रस्तुत करने वाली गायिका श्रीमती मीनाक्षी पंवार जी के दो भजन हुए। दोनों ही गीत पं. सत्यपाल पथिक जी की रचनायें थी। पहला भजन था ‘हे ज्ञानवान भगवन हमको भी ज्ञान दे दो, करुणा के चार छींटे करुणानिधान दे दो।।’ उनका गाया गया दूसरा भजन था ‘प्रभु तुम अणु से भी सूक्ष्म हो, प्रभु तुम गगन से विशाल हो। मैं मिसाल दूं तुम्हें कौन सी, दुनियां में तुम बेमिसाल हो।।’ इसके बाद आर्यसमाज, राजपुर-देहरादून के मंत्री श्री ओम्प्रकाश महेन्द्रू जी ने अपने समाज की वार्षिक रिर्पोट प्रस्तुत की। आर्यसमाज राजपुर के ही सक्रिय सदस्य श्री यशवीर आर्य ने इस अवसर पर बचपन में सुना व उनका प्रिय गीत ‘धन्य है तुमको ऐ ऋषि तुम्हें हमें जगा दिया। सो सो के लुट रहे थे हम आकर हमें बचा लिया।।’ को अपने पूरे जोश एवं भावनाओं में भर कर सुनाया। सभी ने उनके व उनसे पूर्व श्रीमती मीनाक्षी पंवार जी के भजनों की सराहना की। कार्यक्रम के अन्त में कन्या गुरुकुल की छात्राओं ने शान्तिपाठ करने के बाद वैदिक धर्म की जय आदि के जयकारे लगाये। कार्यक्रम की समाप्ति के बाद सबमें मिलकर भोजन किया। कार्यक्रम सफल रहा। देहरादून नगर की आर्यसमाजों के अनेक पदाधिकारियों व सदस्यों सहित बड़ी संख्या में विद्वान व वैदिक धर्म प्रेमी समाज के उत्सव में सम्मिलित थे। ओ३म् शम्। 

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः09412985121


केशव चौक शाहदरा उत्तरी क्षेत्र उपायुक्त कार्यालय के बाहर सफाई कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन




धनसिंह—समीक्षा न्यूज

दिल्ली। केशव चौक शाहदरा उत्तरी क्षेत्र उपायुक्त कार्यालय के मुख्य द्वार पर एमसीडी पर्यावरण सहायक यूनियन द्वारा निगम में कार्यरत सफाई कर्मचारियों की लंबित पड़ी मांगों को लेकर जोरदार धरना प्रदर्शन किया गया जिसकी अध्यक्षता पूर्वी दिल्ली अध्यक्ष मोनी चंदेल जी,ने की मंच का संचालक कुलदीप चंडालिया अध्यक्ष शाहदरा क्षेत्र ने किया जिसमें मुख्य रुप से मौजूद राष्ट्रीय बाल्मीकि सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष यूनियन ने बताया कि हम पिछले कई वर्षों से निगम में लगे मजदूरों को लेकर आंदोलन करते चले आ रहे हैं लेकिन निगम में बैठे अधिकारी दिल्ली सरकार केंद्र सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है आज निगम में कार्य करते हुए 20 20 वर्ष बीत गए हैं लेकिन किसी कर्मचारिय को निमित्त नहीं किया गया नाही कोई कैशलेस कार्ड की सुविधा दी गई जो कर्मचारी 2004 से परमानेंट माने गए थे उनका भी बकाया एरियल आज तक नहीं दिया गया कुलदीप चंडालिया जी ने कहा कि अब तो कर्मचारियों की सैलरी भी समय से नहीं दी जाती बिजेंदर बागड़ी जी ने कहा कि अगर निगम का यही रवैया रहा तो हम लोग लंबी हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हो अनिल चिड़िया ना जी ने कहा कि जल्द से जल्द कच्चे कर्मचारियों को नियमित किया जाए कैशलेस कार्ड की सुविधा दी जाए जो कर्मचारी नियमित हो गए हैं उनका बकाया एरियल का भुगतान किया जाए महिला मोर्चा की अध्यक्ष सुनीता जी ने भी धरने को संबोधित किया व कर्मचारियों से अपील की कि अपनी लड़ाई हमें खुद लड़नी पड़ेगी राहुल टांक ने बताया कि अभी तक हमारे पास आई कार्ड भी नहीं है इन्हीं सब मांगों को लेकर उपायुक्त शाहदरा उत्तरी क्षेत्र से एक प्रतिनिधिमंडल मिला और अपनी समस्याओं से अवगत कराया जिसमें उपायुक्त महोदय ने बताया कि आपकी तनख्वाह बहुत ही जल्द आप ही खाते पहुंच जाएगी वह आपके बोनस के भी बिल बना दिए गए हैं और कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है जिसको सुनकर सभी कार्यकर्ताओं ने उपायुक्त साहब का धन्यवाद किया इस मौके पर मौजूद रहे मोनी चंदेल पूर्वी दिल्ली अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह चंदेल अध्यक्ष राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना अनिल चिड़िया ना दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्षसुरेश पाल बेनीवाल राजेश गांधी विजेंद्र बागड़ी सुनीता  ढलोर जोगिंदर वैद्य सूरज धीमान राकेश सूद प्रमोद टाक दयानंद टॉक प्रमोद ऊंटवाल जोगिंदर बहुत राकेश धीमान दिनेश चंडालिया संजय चंदेल महामंत्री राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना नेहा बागड़ी मधु टाक संगीता वह भारी संख्या में कार्यकर्ता वह सफाई कर्मचारी महिलाएं मौजूद रहे

Monday, 28 December 2020

“ऋषि दयानन्द ने संसार को अमृत पिलाया और स्वयं विष पी लियाः आचार्या अन्नपूर्णा”




  आर्यसमाज, राजपुर-देहरादून का वार्षिकोत्सव रविवार दिनांक 27-12-2020 को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस समाज की स्थापना 1 जनवरी, 2016 को डा. वेद प्रकाश गुप्ता जी ने आर्यसमाज के निष्ठावान सेवक श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी के साथ मिलकर की थी। आज समाज का उत्सव प्रातः आचार्या डा. अन्नपूर्णा जी, द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल के ब्रह्मत्व में दो कुण्डी यज्ञ से हुआ। उन्हीं के गुरुकुल की कन्याओं ने यज्ञ में मन्त्र पाठ किया। यज्ञ प्रार्थना आर्य भजनोपदेशक श्री धर्मसिंह एवं ढोलक वादक श्री नाथी राम जी गाकर कराई। उनके गुरुकुल की अधिकांश कन्यायें यज्ञ में उपस्थित थीं। यज्ञ के बाद ध्वजारोहण किया गया और ओ३म् ध्वज गीत गाया गया। इसके बाद प्रातःराश व अल्पाहार हुआ जिसके बाद भजन एवं व्याख्यानों का कार्यक्रम आरम्भ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता 97 वर्ष के वयोवृद्ध ऋषिभक्त श्री सुखबीर सिंह वर्मा जी ने की। संचालन आर्यसमाज राजपुर के यशस्वी प्रधान श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी ने किया। कार्यक्रम में आर्य विदुषी डा. अन्नपूर्णा जी, आर्य विद्वान डा. विनोद कुमार शर्मा, पं. वेदवसु शास्त्री, डा. नवदीप कुमार के व्याख्यान हुए। भजनों की प्रस्तुति श्री धर्मसिंह जी सहित प्रख्यात गायिक श्रीमती मीनाक्षी पंवार एवं कन्या गुरुकुल की छात्राओं के द्वारा की गई। 


कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री सुखबीर सिंह वर्मा जी ने आहार के शरीर पर होने वाले प्रभाव की चर्चा की। 97 वर्षीय श्री वर्मा ने कहा कि वह पूर्णतः स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने बचपन से गाय का दूध पीया है तथा अपने परिवार के सदस्यों को भी पिलाया है। इसी कारण से वह इस लम्बी आयु, स्वस्थ जीवन व शरीर को प्राप्त करने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने सभी काम स्वयं करते हैं। उन्होंने बताया कि उनका पुत्र अशोक उनकी निष्ठापूर्वक सेवा करता है। मेरी सेवा करने के उद्देश्य से उसने नौकरी के अच्छे प्रस्तावों को ठुकरा दिया। वर्मा जी ने श्रोताओं को कहा कि वह बाजार की बनी हुई कोई वस्तु नहीं खाते। उन्होंने सभी ऋषिभक्तों को दूध तथा सब्जी आदि का सेवन करने की प्रेरणा की। उन्होंने कहा कि हमें आर्य जीवन शैली को आगे बढ़ाना चाहिये। वर्मा जी ने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि धनवान लोग अपनी सन्तानों के आचार, विचार व व्यवहार से परेशान हैं। वर्मा जी ने श्रोताओं को यज्ञ द्वारा प्रतिदिन वायु शुद्ध करने की भी प्रेरणा की। उन्होंने सभी वक्ताओं, अतिथियों एवं श्रोताओं को कार्यक्रम में पधारने के लिये धन्यवाद दिया। वर्मा जी ने कहा कि सभी बन्धुओं को आर्यसमाज के सत्संगों व कार्यक्रमों में सम्मिलित होना चाहिये। 


आज के वार्षिकोत्सव के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री चन्द्रगुप्त विक्रम जी थे। श्री चन्द्रगुप्त विक्रम ऋषिभक्त श्री के.बी. लाल जी के पुत्र हैं। आपने अपने सम्बोधन में कहा कि हमने अपने जीवन में जो सीखा है उसको आगे ले जाने का काम हमारी युवापीढ़ी को करना है। उन्होंने  आगे कहा कि ऋग्वेद में मनुष्य के 215 गुण बतायें गये हैं। गीता में मनुष्य के गुणों को संक्षिप्त कर 15 किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें अहंकार व असत्य व्यवहार नहीं करना है। मुख्य अतिथि महोदय ने आर्यसमाज के छठे नियम की चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम अपनों व दूसरों से जो अपेक्षायें करते हैं वह सब गुण हमारे अपने भीतर भी होने चाहिये। विद्वान वक्ता ने कहा कि स्वामी दयानन्द जी की अपनी निजी आवश्यकतायें बहुत कम थीं। हमें इस विषय में स्वामी दयानन्द जी से सीखना चाहिये। हमें क्रोध एवं ईष्र्या पर नियन्त्रण करने के साथ अपने व्यवहार में समत्व लाना चाहिये। श्री चन्द्रगुप्त विक्रम जी ने स्थानीय आर्यसमाज लक्ष्मणचैक के सत्संग में सुने एक वैदिक विद्वान के प्रवचन की चर्चा की जिसमें उन्होंने द से आरम्भ होने वाले दान, दक्षिणा, दीक्षा आदि गुणों की चर्चा कर कहा था कि इन सबको अपने जीवन में उतारना चाहिये। श्री चन्द्रगुप्त विक्रम ने भारत विकास परिषद के कार्यों एवं उनके द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं की चर्चा कर बताया कि उत्तराखण्ड में उनकी 21 शाखायें हैं। उन्होंने श्रोताओं को बताया कि द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल की कन्यायें परिषद द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में पूरे उत्तराखण्ड मे प्रथम स्थान पर आयीं हैं। श्री विक्रम में कहा कि आज के बच्चों को देश व समाज से जुड़ी ज्ञान विषयक बातों का विस्तृत ज्ञान है जो हमें आश्चर्य में डाल देता है। सबका धन्यवाद करने के साथ श्री विक्रम ने अपने वक्तव्य को विराम दिया। 


वार्षिक उत्सव में आचार्या अन्नपूर्णा जी ने अपने सम्बोधन में कृण्वन्तो विश्वमार्यम् की चर्चा की। उन्होंने कहा कि पहले हम आर्य बनें और उसके बाद विश्व को आर्य बनाने का प्रयत्न करें। उन्होंने कहा कि आर्यों की कथनी व करनी एक होनी चाहिये। विदुषी आचार्या जी ने कहा कि जिस मनुष्य के जीवन में सत्य का व्यवहार होने सहित परोपकारमय जीवन होता है, वह आर्य होता है। उन्होंने कहा कि हम आर्य बनें, यह वेद का सन्देश है। डा. अन्नपूर्णा जी ने कहा कि मनुष्य समाज की उन्नति के लिये ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि ऋषि दयानन्द ने संसार को अमृत पिलाया और स्वयं विष पी लिया। आचार्या जी ने मुंशीराम जी की बरेली में स्वामी दयानंद जी से भेंट की चर्चा भी की। इस सत्संग में मुंशीराम जी ने स्वामी जी द्वारा की गई ओ३म् की व्याख्या सुनी थी। उन्होंने कहा कि परमेश्वर की विद्यमानता का विश्वास सुनने व पढ़ने से नहीं होता अपितु ईश्वर की कृपा होने पर होता है। उन्होंने कहा कि आज हम स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस भी मना रहे हैं। 


आचार्या अन्नपूर्णा जी ने बताया कि मुंशीराम जी में अनेक अवगुण थे। ऋषि दयानन्द की संगति तथा सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ के अध्ययन से मुंशीराम जी महात्मा तथा स्वामी श्रद्धानन्द बने थे। विदुषी आचार्या ने कहा कि जीवन से पाप दूर होने पर ही हमारे जीवन में कल्याण करने वाले गुण आते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में बुराईयों को छोड़ने का संकल्प करना स्वामी श्रद्धानन्द जी के बलिदान दिवस को मनाते हुए उन्हें दी जाने वाली सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है। डा. अन्नपूर्णा जी ने बताया कि सच्चा आर्य अपने सुख के लिये नहीं जीता। सच्चे आर्य दूसरों के दुःखों को दूर करने का प्रयत्न करते हैं। उन्होंने कहा कि जो दूसरों पर उपकार करता है और बदले में उनसे कुछ नहीं चाहता, ऐसा व्यक्ति ही आर्य होता है। बहिन जी ने श्रोताओं से पूछा कि क्या वैदिकधर्म की जय बोलने से वेदों की रक्षा होगी? क्या मेरा भारत महान कहने मात्र से भारत महान बनेगा? उन्होंने कहा कि वेदों की रक्षा के लिये वेदों को पढ़ना व उनका प्रचार व प्रसार करना होगा। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये स्वामी श्रद्धानन्द जी ने हरिद्वार के कांगड़ी ग्राम में गुरुकुल खोला था। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द जी ने वैदिक राष्ट्र बनाने के लिये गुरुकुल की स्थापना की थी। आचार्या जी ने गुरुकुल विषयक अनेक घटनाओं को सुनाया। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द ने अकेले ही देश का अकथनीय उपकार किया है। डा. अन्नपूर्णा जी ने कहा कि धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिये ऋषि दयानन्द एवं स्वामी श्रद्धानन्द जी का बलिदान हुआ। आचार्या जी ने श्रोताओं को वेदों का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि वेद हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वेदों के प्रचार से संसार महान बन सकता है। आचार्या जी ने कहा वेदों की बातों को न मानने से संसार पर विपत्ति पड़ी है। वेद की बातों को मानने से कल्याण होता है। आचार्या जी ने कहा कि हमें संसार को आर्य बनाना है। हम दूसरों को देना सीखें। दूसरों के अधिकारों व वस्तुओं को छीने नहीं। अपनी वस्तुयें दूसरों को देने वालों का परमात्मा भला करता है। इसी के साथ आचार्या अन्नपूर्णा जी ने अपने वक्तव्य को विराम दिया। 


डीएवी महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डा. नवदीप कुमार जी ने अपने सम्बोधन में ऋषि दयानन्द और स्वामी श्रद्धानन्द जी के बीच हुए संवाद की चर्चा की। उन्होंने कहा कि ऋषि दयानन्द ने नास्तिकता से संबंधित मुंशीराम जी के प्रश्नों का समाधान करते हुए उन्हें कहा था कि मनुष्य पर जब ईश्वर की कृपा होती है तब मनुष्य आस्तिक बनता है और उसका ईश्वर में विश्वास होता है। डा. नवदीप कुमार ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ के प्रशंसक थे परन्तु वह सत्यार्थप्रकाश पढ़कर एकदम वैदिक धर्म में विश्वास करने वाले नहीं बने थे। उन्होंने कहा कि आर्यसमाज के सभी अनुयायियों को स्वामी श्रद्धानन्द जी की आत्मकथा ‘कल्याण मार्ग का पथिक’ पढ़नी चाहिये। प्रोफेसर नवदीप कुमार जी ने स्वामी श्रद्धानन्द जी की पुत्री वेदकुमारी की मिशन स्कूल में पढ़ाई की चर्चा की। उन्होंने उस कविता को दोहराया जिसे वेदकुमारी जी ने अपने पिता स्वामी श्रद्धानन्द जी को सुनाया था। कविता थी कि ‘तू एक बार ईसा ईसा बोल तेरा क्या लगेगा मोल, ईसा मेरा राम रमैया ईसा मेरा कृष्ण कन्हैया।’ डा. नवदीप जी ने कहा कि पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी ने पौराणिकों की आरती ‘ओ३म् जय जगदीश हरे’ सन् 1870 में लिखी थी। पं. श्रद्धाराम पौराणिक कथावाचक विद्वान था। उसने बाइबिल का भी अनुवाद किया। इसी पं. श्रद्धाराम द्वारा लिखी कविता थी ‘तू ईसा ईसा बोल तेरा क्या लगेगा मोल’। डा. नवदीप कुमार ने कहा कि कविता की इन पंक्तियों ने मुंशीराम जी वा स्वामी श्रद्धानन्द जी का जीवन बदल दिया। उन्होंने इस कविता के वैदिक धर्म पर होने वाले दुष्प्रभाव को दूर करने के लिये जालन्धर में एक कन्या विद्यालय की स्थापना की थी जिससे हिन्दू आर्य बेटियां अंग्रेजी शिक्षा के दुष्प्रभाव से बच सकें। विद्वान वक्ता नवदीप कुमार जी ने आर्यसमाज में गुरुकुल व डीएवी स्कूल से जुड़ी घास पार्टी तथा मांस पार्टी की भी चर्चा की। 


ऋषिभक्त डा. नवदीप कुमार ने गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना की पृष्ठभूमि तथा उसके लिये स्वामी श्रद्धानन्द जी के धन संग्रह व त्याग विषयक अन्य प्रयत्नों व पुरुषार्थ की चर्चा कर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वामी जी के गुणों सत्यवादिता, पुरुषार्थ तथा कर्मठता पर भी प्रकाश डाला। चौधरी अमन सिंह जी से महात्मा मुंशीराम जी को गुरुकुल की स्थापना के लिए दान में 1200 बीघा भूमि के दो गांवों के प्राप्त होने का वर्णन भी उन्होंने किया। नवदीप जी ने बताया कि मुंशी राम जी ने इस भूमि को आर्य प्रतिनिधि सभा, पंजाब के नाम पर प्राप्त किया। मुंशीराम जी ने अपने जीवन के 15 वर्ष गुरुकुल कांगड़ी को समर्पित किये। उन्होंने अपनी समस्त सम्पत्ति कोठी, प्रेस आदि भी गुरुकुल को अर्पित कर दिये। डा. नवदीप जी ने स्वामी श्रद्धानन्द जी पर विचार टीवी द्वारा बनाये गये चलचित्र की भी चर्चा की। 


विद्वान वक्ता नवदीप जी ने कहा कि दिनांक 21-3-1929 को रालेट एक्ट पारित किया गया था। इसका विरोध करने का निश्चय किया गया था। स्वामी श्रद्धानन्द गांधी जी के सम्पर्क में काफी पहले आ चुके थे। उन्होंने गांधी जी द्वारा अफ्रीका में किए गए आन्दोलन की सहायतार्थ भेजी गई धनराशि की भी चर्चा की जो गुरुकुल के आचार्यों व ब्रह्मचारियों ने मजदूरी करके एकत्र की थी। दिल्ली व अन्य तीन स्थानों पर दिनांक 30-3-1919 को रालेट एक्ट के विरोघ में पूर्ण हड़ताल करने का निश्चय किया गया था। नवदीप जी ने बताया कि हड़ताल गुजराती भाषा का शब्द है जिसका प्रयोग गांधी जी ने स्वतन्त्रता आन्दोलन में किया। दिल्ली में हड़ताल का नेतृत्व करने का भार स्वामी श्रद्धानन्द जी को दिया गया था। उन्होंने बताया कि 30 मार्च की हड़ताल को बदलकर 6 अप्रैल कर दिया गया था। इसका तार न मिलने के कारण दिल्ली में पूर्व निश्चित तिथि को ही हड़ताल हुई। स्वामी श्रद्धानन्द जी ने दिल्ली में रालेट एक्ट के विरोध में एक बड़े जुलुस का नेतृत्व किया। डा. नवदीप जी ने इस जुलुस में अंग्रेजों के गुरखा सैनिकों द्वारा स्वामी जी पर संगीने ताने जाने और स्वामी श्रद्धानन्द जी द्वारा उन संगीनों के आगे अपनी छाती लगा देने की घटना को वीर रस के शब्दों में ढालकर प्रस्तुत किया। उन्होंने स्वामी श्रद्धानन्द जी की वीरता को ऋषि दयानन्द के बरेली में अंग्रेजों के विरुद्ध कहे गये शब्दों से जोड़ा और बताया कि ऋषि दयानन्द के ओजपूर्ण शब्दों को स्वामी श्रद्धानन्द जी ने अपने कर्णों से सुना था और इनसे प्रेरणा प्राप्त की थी। इसका प्रभाव स्वामी श्रद्धानन्द जी के जीवन पर पड़ा था। इस घटना के कारण गुरखा सैनिकों को अपनी संगीनें नीची करनी पड़ी थी। इस साहसपूर्ण घटना से दिल्ली के सभी लोग अत्यन्त प्रभावित हुए थे। इसके बाद स्वामी श्रद्धानन्द जी द्वारा जामा मस्जिद के मिम्बर से दिये मुस्लिम बन्धुओं को सम्बोधन का विस्तार से उल्लेख भी नवदीप कुमार जी ने किया। उन्होंने स्वामी श्रद्धानन्द जी को नमन किया और उन्हें श्रद्धांजलि देकर अपने वक्तव्य को विराम दिया। 


वार्षिकोत्सव में आर्य विद्वान श्री वेदवसु शास्त्री, प्राकृतिक रोग चिकित्सक डा. विनोद कुमार शर्मा का प्रभावपूर्ण सम्बोधन होने सहित आर्य भजनोपदेशक धर्मसिंह जी, श्रीमती मीनाक्षी पंवार जी, श्री उम्मेद सिंह विशारद जी तथा श्री यशवीर आर्य जी के भजन व गीत भी हुए। इनका वर्णन हम एक अन्य लेख द्वारा प्रस्तुत करेंगे। आर्यसमाज के मंत्री श्री ओम प्रकाश महेन्द्रु जी ने अपने कार्यकाल की रिर्पोट भी प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अन्त में शान्ति पाठ हुआ तथा समाप्ति पर सभी विद्वानों व श्रोताओं ने मिलकर भोजन किया। ओ३म् शम्। 

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः09412985121


योगीराज श्री कृष्ण की नीतियां पर गोष्ठी संम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज    

योगीराज श्री कृष्ण सर्वगुण सम्पन्न थे-आचार्य रविदेव गुप्ता

आज फिर श्री कृष्ण की नीतियां लागू करने की आवश्यकता-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "योगीराज श्री कृष्ण की नीतियां"  पर गोष्ठी का आयोजन ज़ूम पर किया गया।यह कोरोना काल में परिषद का 141 वां वेबिनार था।

आर्य विचारक आचार्य रविदेव गुप्ता ने कहा कि योगीराज श्री कृष्ण नीतिवान व सर्वगुण सम्पन्न थे।उन्होंने महाभारत युद्ध टालने का पूरा प्रयास किया लेकिन कौरवों की हट के कारण सफल नहीं हो पाए।इतिहास की अनेको घटनाएं उनकी योग्यता,नीति व कार्यकुशलता का परिचय देती हैं।उनके द्वारा दिया गया गया गीता का संदेश हर काल खंड में प्रभावी व अनुकूल प्रतीत होता है।आज फिर श्री कृष्ण की नीतियों पर चलकर ही हम देश की एकता व अखंडता की रक्षा कर सकते हैं।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी योगीराज श्री कृष्ण की नीतियों पर चलते हुए चिरकाल से लंबित अनेको असभंव समस्याओं का निदान कर रहे है।देश में विद्यमान आंतकवाद,अलगाव वाद आदि समस्याओं का हल श्री कृष्ण की नीतियों पर चलकर ही हो सकता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता आर्य नेता राजेश मेंहदीरत्ता ने की ।

प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने योगीराज श्री कृष्ण को अत्यंत नीतिवान व बुद्धिमान बताया।

गायिका उर्मिला आर्या,पुष्पा चुघ, दीप्ति सपरा,रवीन्द्र गुप्ता,प्रतिभा कटारिया,जनक अरोड़ा,पुष्पा शास्त्री आदि ने भजन प्रस्तुत किये।

आचार्य महेन्द्र भाई, यशोवीर आर्य,सौरभ गुप्ता,आंनद प्रकाश आर्य,ओम सपरा,शकुंतला नागिया,सुरेन्द्र शास्त्री आदि उपस्थित थे।

सर्वसम्मत्ति से के के अरोड़ा - अध्यक्ष व दयानन्द शर्मा बने महामंत्री



धनसिंह—समीक्षा न्यूज    

गाज़ियाबाद। अखिल भारतीय ध्यान योग संस्थान रजिस्टर्ड की साधारण सभा की बैठक चांसलर क्लब,चिरंजी विहार में अध्यक्ष श्री के के अरोड़ा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।

संस्थान की बैठक में विचार विमर्श के बाद पदाधिकारियों की नियुक्तियां की गई।

चुनावी प्रक्रिया में सर्वसम्मत्ति से के के अरोड़ा को अध्यक्ष,दयानन्द शर्मा को महामंत्री,अशोक शास्त्री को वरिष्ठ उपाध्यक्ष व सुभाष चंद गर्ग को कोषाध्यक्ष,कुलदीप कुमार कोहली को ऑडिटर,प्रदीप गुप्ता को सूचना प्रभारी व मीडिया प्रभारी की जिम्मेवारी प्रवीण आर्य को मिली।

इसके अतिरिक्त सर्वश्री लक्षमण कुमार गुप्ता,डा आर के पोद्दार,डा रतन लाल गुप्ता व अशोक मित्तल को संरक्षक बनाया गया।

नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्री के के अरोड़ा ने बैठक में भाग लेने वाले साधकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा आपने जो जिम्मेदारी मुझे अध्यक्ष बनाकर सौंपी है, मैं आपकी आशाओं पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा, कोरोना काल में ऑनलाइन योग कक्षाएं चलेंगी तथा ग्रीष्मावकाश में विभिन्न पार्कों में बाल योग एवं संस्कार शिविर लगाए जाएंगे।

कार्यकारिणी का विस्तार करते हुए महानगर गाज़ियाबाद के पूर्वी,पश्चिमी,उत्तरी, दक्षिणी व केन्द्रीय ज़ोन के उपाध्यक्ष क्रमशः सर्वश्री हरिओम सिंह,राजेश शर्मा,सीमा गोयल, मोहन लाल शर्मा व मनमोहन वोहरा बनाए गए।

श्री एस पी एस तौमर,राज सिंह व देवेन्द्र बिष्ठ को संगठन मंत्री चुना गया।

महिला प्रकोष्ठ की वरिष्ठ उपाध्यक्षा श्रीमती प्रमिला चौधरी व उपाध्यक्षा वीना वोहरा को बनाया गया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से श्रीमती मीता खन्ना,डा ममता त्यागी,अर्चना शर्मा,नर्वदा गर्ग,सुधा गर्ग,विजय चौधरी,विकास चौधरी,संत राम,अशील व राकेश चौधरी आदि उपस्थित रहे।


मापनी‌ : गालगा गालगा गालगा गालगा

 स्रग्विणी (मापनी युक्त मात्रिक) छंद पर आधारित एक मुक्तकमाला

विधान :-


(२१२  २१२  २१२  २१२ )


शीर्षक: विदा 2020


वर्ष का अंत है साँस नव लीजिये।

हर बुरी याद को त्याग अब दीजिये।

तीन दिन बाद ही है नया साल अब।

आप स्वागत नये जोश से कीजिये।1


अंत अब तो विपद का निकट आ गया।

नव सबक देश को एक सिखला गया।

हार मानें नहीं जब चुनौती मिले।

फायदा धैर्य का वक्त बतला गया।2


भिन्न संकट रहे सामना कर लिया।

अवसरों में विपद को बदल भी दिया।

कीर्ति के नित्य प्रतिमान गढ़ते रहे।

एक नेतृत्व नूतन जगत को दिया।3


हम सबक लें चुनौती कहीं से मिले।

दूर कर दें सभी आज शिकवे-गिले।

खुशदिली से नया वर्ष स्वागत करें।

हम प्रगति के गढ़ें नित्य नव सिलसिले।4


कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 28 दिसंबर 2020

भविष्य फाऊंडेशन ने रिक्शाचालकों को शॉल वितरित किये




धनसिंह—समीक्षा न्यूज

गाजियाबाद: शहर के पुराना गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर भविष्य एजूकेशन एण्ड परफ़ॉरमिंग आर्ट फाऊंडेशन के सौजन्य से रिक्शाचालकों को सर्दी में कुछ राहत देने के उद्देश्य से शॉल का वितरण किया गया।

संस्था की गाजियाबाद अध्यक्षा शाँति सिंह जी ने बताया कि सर्दी के प्रकोप को देखते हुए संस्था द्वारा कुछ राहत पहुँचाने की कोशिश की गयी है।

उपाध्यक्ष सुधा सिंह जी ने कहा कि संस्था का उद्देश्य समाज में किसी भी भेदभाव को मिटाकर पीड़ित की हर संभव मदद करना है।

नीतू चौधरी ने बताया कि यह प्रयास संस्था के सभी साथियों का संयुक्त प्रयास है और हम इसे केवल और केवल सामाजिक कार्यों की सूची में शामिल करने के लिये कटिबद्ध हैं, हमें किसी भी साथी को इस कार्य का कोई श्रेय नही चाहिए ।

कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष दीपक गुप्ता, अनिल गुप्ता, कुलदीप जान्गिड़, रजनी शर्मा, सविता शर्मा, कनन शुक्ला, पूजा गिल्होत्रा, नमिता भल्ला, मनोज अग्रवाल, सन्जुक्ता राठ, अंजलि शर्मा, गगन शर्मा, भावना, सीमा कुशवाहा, अमित चौधरी आदि ने विशेष सहयोग प्रदान किया।

जिला स्तरीय युवा संसद प्रतियोगिता का किया गया आयोजन

 




स्नोवर खा

ग़ाज़ियाबाद। नेहरू युवा केन्द्र, ग़ाज़ियाबाद के तत्वावधान में भारत सरकार खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव के अंतर्गत जिला स्तरीय युवा संसद का आयोजन आभासी रूप से किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत नेहरू युवा केन्द्र ग़ाज़ियाबाद को नोडल केंद्र की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभाते हुए जनपद ग़ाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, अलीगढ़ एवं बुलंदशहर की युवा संसद को सफल रूप से सम्पन्न कराया। इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर्ण ऐसे पहले सभी जनपदों में, गौतमबुद्धनगर- श्री जी एस राघव जियुअ, एवं डा० शीला गुप्ता का० अधि० रा० से० यो०, बुलन्दशहर- श्री आकर्ष दीक्षित, जियुअ एवं डा० विवेकानंद का० अधि० रा० से० यो०, अलीगढ़- सुश्री तन्वी, जियुअ, एवं डॉ० सुनीता गुप्ता का० अधि० रा० से० यो०, एटा- सुश्री सोनाली नेगी, जियुअ एवं डा0 सुनील विप्रा, गाजियाबाद एवं हापुड़- श्री देवेन्द्र कुमार एवं डा0 योगेन्द्र का0 अधि0 रा0 से0 यो0 द्वारा स्क्रीनिंग की गई और उसमें से कुछ चुनिंदा प्रतिभागियो को प्रतिभाग करने के लिए चुना। नेहरू युवा केन्द्र ग़ाज़ियाबाद के जिला युवा अधिकारी देवेन्द्र कुमार ने बताया कि इस संसद में 80 से अधिक प्रतिभागियो ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: भारत मे शिक्षा को बदल देगी, शून्य बजट प्राकृतिक खेती किसानों के लिए वरदान है, उन्नत भारत अभियान : समुदाय की शक्तियों को बढ़ावा देना तथा उनके उत्थान के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना, एवं नए सामान्य की परिस्थिति में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के ताले खुलना आदि विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किये। निर्णायक मंडल के रूप में श्रीमती नेहा मिश्रा सदस्य डीएसीवाईपी, एवं राजनितिज्ञ, श्री परवेज़ अली पत्रकार, दूरदर्शन, डा0 गौतम बनर्जी, प्रौफेसर, एम एम एच कालेज, श्री जीवन शर्मा, कलाकार, क्राइम पेट्रोल  सीरियल एवं बालीवुड, श्री अबधेश कुमार सेवा निवृत्त वारंट आफीसर,  भा.वा.से. ने सभी प्रतिभागियों के मूल्यांकन पूर्ण निष्पक्षता के साथ किया। कार्यक्रम को सफल रूप से सम्पन्न कराने में श्री महीपाल सिंह, एपीए अलीगढ़, श्री सुरेन्द्र कुमार एपीए बुलन्दशहर, श्री विशाल सिंह, एपीए एटा, श्री फरमूद अख्तर एपीए गौतमबुद्धनगर, मुकन्द वल्लभ शर्मा एपीए गाजियाबाद/हापुड़ का विशेष सहयोग रहा।

पंजाबी सभा गाजियाबाद रजि. ने किया लंगर का आयोजन




धनसिंह—समीक्षा न्यूज

गाजियाबाद। पंजाबी सभा गाजियाबाद रजि. द्वारा इ​न्दिरापुरम न्याय खण्ड में सुखमानी साहिब पथ एवं शहीदी दिवस पर लंगर का आयोजन किया गया। इस दौरान सभा के अध्यक्ष हरमीत बख्शी, वीके नय्यर उपाध्यक्ष, राकेश आहूजा उपाध्यक्ष, मनबीर सिंह भाटिया महासचिव,​ रिषभ राणा कोषाध्यक्ष, रविन्द ​कपूर सचिव, नरेश आहूजा सचिव, अनिल आदि मौजूद थे।

श्रध्ये स्व श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाया



धनसिंह—समीक्षा न्यूज

गाजियाबाद। विश्व की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी भाजपा परिवार का संगम विहार मण्डल मंत्री व मीडिया प्रभारी होने के नाते मण्डल के अनेको सेक्टरो, सेक्टर न. 11, 13, 14, के बूथों पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न, स्व श्री अटल जी की जयंती के अवसर पर जाना हुआ । जिसमें मौजूदा सेक्टर संयोजको व बूथ अध्यक्षो के साथ मिलकर स्व अटल जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर, आस पास के क्षेत्रो में स्वच्छता अभियान चलाया व लोगो की समस्याएं आदि सुनकर, फल इत्यादि वितरण कर सुशासन दिवस के रूप में मनाया व मोदी जी की मन की बात भी सुनी ।

इस अवसर पर मण्डल मंत्री अभिषेक शर्मा, भाजपा नेता वरुण नागर, सेक्टर संयोजक अरविंद गुप्ता, अजय पंवार, बूथ अध्यक्ष निशान्त प्रजापति, हर्ष प्रजापति, अभी मिश्रा, लवकुश, निशान्त, हर्ष, अंकित, ऋषिकेष गुप्ता, अरुण तिवारी, अमित कुमार, मनीष, वरुण त्यागी, दिवाकर, पुनीत, दीपक, रोहित, करण बंसल, देव कुमार, सतीश बंसल, व अन्य स्थानीय लोग मौजूद रहे ।

Sunday, 27 December 2020

“सत्यार्थप्रकाश ग्रंथ अविद्या दूर करने के लिये लिखा गया ग्रंथ है”



ऋषि दयानन्द सरस्वती जी का सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ देश देशान्तर में प्रसिद्ध ग्रन्थ है। ऋषि दयानन्द ने इस ग्रन्थ को क्यों लिखा? इसका उत्तर उन्होंने स्वयं इस ग्रन्थ की भूमिका में दिया है। उन्होंने लिखा है कि ‘मेरा इस ग्रन्थ के बनाने का मुख्य प्रयोजन सत्य-सत्य अर्थ का प्रकाश करना है, अर्थात् जो सत्य है उस को सत्य और जो मिथ्या है उस को मिथ्या ही प्रतिपादन करना सत्य अर्थ का प्रकाश समझा है। वह सत्य नहीं कहाता जो सत्य के स्थान में असत्य और असत्य के स्थान में सत्य का प्रकाश किया जाये। किन्तु जो पदार्थ जैसा है, उसको वैसा ही कहना, लिखना और मानना सत्य कहाता है। जो मनुष्य पक्षपाती होता है, वह अपने असत्य को भी सत्य और दूसरे विरोधी मतवाले के सत्य को भी असत्य सिद्ध करने में प्रवृत्त रहता है, इसलिये वह सत्य मत को प्राप्त नहीं हो सकता। इसीलिए विद्वान् आप्तों का यही मुख्य काम है कि उपदेश या लेख द्वारा सब मनुष्चों के सामने सत्यासत्य का स्वरूप समर्पित कर दें, पश्चात् वे स्वयम् अपना हितअहित समझ कर सत्यार्थ का ग्रहण और मिथ्यार्थ का परित्याग करके सदा आनन्द में रहें।’ इसी क्रम में ऋषि दयानन्द ने भूमिका में ही यह भी कहा है कि ‘मनुष्य का आत्मा सत्यासत्य का जानने वाला है तथापि अपने प्रयोजन की सिद्धि, हठ, दुराग्रह और अविद्यादि दोषों से सत्य को छोड़ असत्य में झुक जाता है। परन्तु इस ग्रन्थ (सत्यार्थप्रकाश) में ऐसी बात नहीं रक्खी है ओर न किसी का मन दुखाना वा किसी की हानि पर तात्पर्य है, किन्तु जिससे मनुष्य जाति की उन्नति और उपकार हो, सत्यासत्य को मनुष्य लोग जान कर सत्य का ग्रहण और असत्य का परित्याग करें, क्योंकि सत्योपदेश के विना अन्य कोई भी मनुष्य जाति की उन्नति का कारण नहीं है।’

ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ की रचना सत्य सत्य अर्थ का प्रकाश करने के लिए की है। यह इसलिये आवश्यक हुई है कि उनके समय में संसार में अनेकानेक मत-मतान्तर प्रचलित थे जिसमें सत्य को असत्य व असत्य को सत्य माना जाता था। आवश्यकता थी कि सत्य व असत्य दोनों को मनुष्यों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाये जिससे लोग सत्य व असत्य को जानकर सत्य का ग्रहण और असत्य का त्याग कर अपनी आत्मा व जीवन की उन्नति कर सकें। ऐसा करना इसलिए आवश्यक था क्योंकि सत्य के ज्ञान, इसके ग्रहण व धारण सहित सत्य के आचरण व पालन करने से ही मनुष्य की उन्नति और ऐसा न करने से पतन होता है। असत्य के प्रसार से मनुष्य सहित समाज व देश को भी हानि होती है। अतः सत्य का उद्घाटन करने तथा असत्य को भी जन साधारण को बताने के लिये ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश की रचना की थी। इसको इस प्रकार भी कह सकते हैं कि ऋषि दयानन्द ने अविद्या का नाश कर विद्या की वृद्धि करने के लिये इस ग्रन्थ की रचना की जिससे सभी समुदायों व सम्प्रदायों के लोग लाभान्वित हो सकें और अपने अपने जीवन की उन्नति कर सकें। ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ में चैदह समुल्लासों में अपनी समस्त सामग्री को प्रस्तुत किया है। 10 समुल्लास पूर्वार्द्ध में हैं जिनमें वैदिक मान्यताओं को प्रस्तुत कर उनका मण्डन किया गया है। यह सभी मान्यतायें उन्हें स्वीकार्य थी और ऐसा ही सबको करना चाहियें क्योंकि यह मान्यतायें ईश्वर के ज्ञान वेदों पर आधारित हैं। ईश्वर ने ही अपने सर्वज्ञता, सर्वव्यापकता तथा सर्वशक्तिमतता से इस सृष्टि को बनाया है तथा वही इसका पालन पोषण कर रहा है। ईश्वर को सृष्टि बनाने व चलाने का पूरा पूरा ज्ञान है। अतः उसका प्रदान किया हुआ वेदज्ञान सर्वांश में सत्य तथा अविद्या आदि दोषों से सर्वथा मुक्त है। सत्यार्थप्रकाश के उत्तरार्ध के चार समुल्लास में स्वदेशीय तथा नास्तिक, बौद्ध व जैन मतों की समीक्षा सहित ईसाई व यवन मत की प्रमाणों के साथ परीक्षा व समीक्षा की गई है। इससे यह लाभ होता है कि साधारण मनुष्य इसे पढ़कर सत्य को प्राप्त हो सकते हैं और वह अपने विवेक व हिताहित का विचार कर असत्य का त्याग और सत्य का ग्रहण कर अपने जीवन को सार्थक व सुखी कर सकते हैं। सत्यार्थप्रकाश की समाप्ति पर ऋषि दयानन्द ने परिशिष्ट रूप में ‘स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश’ के अन्तर्गत वेदों पर आधारित अपने 51 सत्य सिद्धान्तों को संक्षिप्त परिभाषा देकर प्रस्तुत किया है। इसमें मनुष्य, ईश्वर, वेद, धर्म, अधर्म, जीव, ईश्वर-जीव सम्बन्ध, अनादि पदार्थ, सृष्टि का प्रवाह से अनादि होना, सृष्टि, सृष्टि रचना का प्रयोजन, बन्धन, मुक्ति, मुक्ति के साधन आदि कुल 51 विषयों को परिभाषित किया गया है। 

ऋषि दयानन्द को सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ लिखने की आवश्यकता इसलिए हुई क्योंकि सभी मत-मतान्तर एक दूसरे का विरोध करते थे और प्रायः सभी में असत्य व अविद्या से युक्त मान्यतायें, कथन व सिद्धान्त विद्यमान थे। बहुत सी आवश्यक ज्ञान पूर्ण बातों का मत-मतान्तरों की शिक्षाओं में अभाव भी था। इस आवश्यकता को ऋषि ने सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ लिखकर पूरा किया है। सत्यार्थप्रकाश के प्रथम समुल्लास में ईश्वर के एक सौ से अधिक नामों की व्याख्या है। दूसरे समुल्लास में बाल शिक्षा तथा भूत प्रेत निषेद्ध का वर्णन किया गया है। तृतीय समुल्लास में अध्ययन-अध्यापन, गुरुमन्त्र व्याख्या, प्राणायाम, सन्ध्या व अग्निहोत्र, उपनयन, ब्रह्मचर्य उपदेश, पठन पाठन की विशेष विधि, ग्रन्थों के प्रमाण व अप्रमाण का विषय तथा स्त्री व शूद्रों के अध्ययन व अधिकार आदि का विषय विस्तार से प्रस्तुत किया है। चतुर्थ समुल्लास में समावर्तन, विवाह, गुण-कर्म-स्वभाव के अनुसार वर्णव्यवस्था, स्त्री पुरुष व्यवहार, पंचमहायज्ञ, पाखण्डियों के लक्षण, गृहस्थधर्म, पण्डित के लक्षण, मूर्ख मनुष्यों के लक्षण, पुनर्विवाह, नियोग आदि विषयों का सयुक्तिक प्रमाणिक विवरण है। पांचवे समुल्लास में वानप्रस्थ तथा संन्यास आश्रम पर प्रकाश डाला गया है। छठे समुल्लास में राजधर्म, दण्ड व्यवस्था, राजपुरुषों के कर्तव्यों, युद्ध, देश की रक्षा, कर ग्रहण तथा व्यापार आदि का वर्णन है। सातवें समुल्लास में ईश्वर, ईश्वर स्तुति, प्रार्थना, उपासना सहित ईश्वरीय ज्ञान, ईश्वर के अस्तित्व, जीव की स्वतन्त्रता तथा वेदों के विषयों पर वैदिक मान्यताओं को प्रस्तुत कर युक्ति एवं तर्कों के साथ उनका पोषण किया गया है। सत्यार्थप्रकाश के आठवें समुल्लास में सृष्टि की उत्पत्ति, सृष्टि के उपादान कारण प्रकृति, मनुष्यों की आदि सृष्टि के स्थान का निर्णय, आर्य मलेच्छ व्याख्या तथा ईश्वर के द्वारा जगत को धारण करने का विषय प्रस्तुत किया गया है। ग्रन्थ के नवम् समुल्लास में विद्या तथा अविद्या एवं बन्ध व मोक्ष विषय को प्रस्तुत किया गया है। दसवें समुल्लास में आचार व अनाचार तथा भक्ष्य व अभक्ष्य पदार्थों की सारगर्भित व्याख्या की गई है। इन दस समुल्लासों में जो ज्ञान है, ऐसा ज्ञान संसार के किसी ग्रन्थ में नहीं मिलता। इस कारण यह ग्रन्थ संसार का दुर्लभ, महत्वपूर्ण एवं प्रामाणिक ग्रन्थ है जिसमें मनुष्य के लिए जानने योग्य उन सभी बातों का जो अन्यत्र उपलब्ध नहीं होती, उन सबका प्रामाणिक वर्णन किया गया है। सत्यार्थप्रकाश के उत्तरार्द्ध के चार समुल्लासों में संसार के प्रायः सभी मत-मतान्तरों की अविद्यायुक्त बातों को प्रस्तुत कर उनकी समीक्षा व विद्या के आधार सत्यासत्य का विवेचन किया गया है। इसका कारण जन साधारण को सत्य व असत्य का ज्ञान कराना व सत्य का ग्रहण करने में सहायता करना है। 

सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ के लेखन व प्रचार से ही मत-मतान्तरों की अविद्या कुछ कम व कुछ दूर हुई है। वर्तमान में सत्यार्थप्रकाश का पाठक ईश्वर, जीव तथा प्रकृति के सत्यस्वरूप सहित इनके गुण, कर्म व स्वभावों से भी परिचित है। सृष्टि उत्पत्ति का प्रयोजन तथा सृष्टि के उपादान तथा निमित्त कारण का भी हमें ज्ञान है। उपासना की आवश्यकता तथा उपासना की विधि सहित उपासना से होने वालें लाभों का ज्ञान भी सत्यार्थप्रकाश को पढ़कर प्राप्त होता है। सत्यार्थप्रकाश के अध्ययन से गुण, कर्म व स्वभाव पर आधारित वैदिक वर्ण व्यवस्था सहित जन्मना जाति प्रथा की निरर्थकता का बोध भी होता है। विवाह क्यों किया जाता है व विवाह में वर वधु का चयन करते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिये, इसका ज्ञान भी सत्यार्थप्रकाश कराता है। सत्यार्थप्रकाश से जिन विषयों का ज्ञान होता है उनका उल्लेख लेख में किया जा चुका है। इसका पूरा ज्ञान तो सत्यार्थप्रकाश को एकाग्रता से पढ़कर ही किया जा सकता है। सत्यार्थप्रकाश की प्रमुख विशेषता यह भी है इसमें विद्या तथा अविद्या एवं बन्धन व मोक्ष का विस्तार से वर्णन किया गया है। ऐसा वर्णन संसार के किसी ग्रन्थ व मत-पन्थों के ग्रन्थों में उपलब्ध नहीं होता। बन्धन व मोक्ष का वर्णन पूर्णतः तर्क एवं युक्तियों पर आधारित है। अतः सत्यार्थप्रकाश धर्म संबंधी सभी विषयों पर वेद प्रमाणों सहित वेदानुकूल ऋषियों के वचनों एवं तर्क तथा युक्तियों के द्वारा विषय का प्रतिपादन करता है। सत्यार्थप्रकाश के सभी विचार व सिद्धान्त अकाट्य हैं। आज का भारत मध्यकाल की तुलना में अति विकसित एवं ज्ञान विज्ञान सम्पन्न है। इस उन्नति में ऋषि दयानन्द एवं सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का उल्लेखनीय योगदान है। यदि ऋषि दयानन्द न आते और ज्ञान व विज्ञान से युक्त सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, ऋग्वेद आंशिक तथा यजुर्वेद सम्पूर्ण वेदभाष्य आदि ग्रन्थों का लेखन न करते तो आज का संसार ज्ञान विज्ञान व सामाजिक व राजनीतिक दृष्टि से जितना विकसित आज है, उतना विकसित सम्भवतः न होता। संसार से अविद्या दूर करने में सत्यार्थप्रकाश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और जो अविद्या शेष है, वह भी सत्यार्थप्रकाश सहित वेदों के प्रचार से ही दूर होगी। इसके लिये हम ऋषि दयानन्द व उनके ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश का अभिनन्दन करते हुए ऋषि को सादर नमन करते हैं। 

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः09412985121